दुनिया में हर तीसरे सेकंड एक शख्स भुलक्कड़ बनता जा रहा है. भागती-दौड़ती जिंदगी के तनाव, सही खानपान व कसरत की कमी और बढ़ती उम्र जैसे कई कारण हमारी याददाश्त छीनने में लगे हुए हैं. डिमेंशिया के ही एक प्रकार अल्जाइमर में खासतौर से बुजुर्ग धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगते हैं. हालांकि सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी इस बीमारी की गिरफ्त में आने लगे हैं. विश्व अल्जामइर दिवस के मौके पर आइए जानते हैं इस खतरे के बारे में.
दुनिया का हाल
– 4.68 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित
– 7.47 करोड़ मरीजों की संख्या 2030 तक पहुंचने की आशंका
– 13.15 करोड़ तक पहुंच सकती है यह संख्या 2050 तक
भारत की स्थिति
– 40 लाख भारतीय डिमेंशिया से पीड़ित वर्तमान में
– 16 लाख इनमें से अकेले अल्जाइमर के शिकार
एशिया में समस्या ज्यादा
– 2.29 करोड़ डिमेंशिया के मरीज एशिया में
– 98 लाख लोग दक्षिण एशिया में इस बीमारी से ग्रस्त
– 1.05 करोड़ के साथ यूरोप दूसरे नंबर पर
– 94 लाख इस बीमारी के शिकार अमेरिका द्वीप में
– 40 लाख अफ्रीकी भी डिमेंशिया की चपेट में
चीन-अमेरिका के बाद भारत का नंबर
देश मरीज (लाख में)
चीन 95
अमेरिका 42
भारत 41
जापान 31
ब्राजील 16
जर्मनी 16
रूस 13
इटली 12
इंडोनेशिया 12
फ्रांस 12
मध्यम और उच्च आय वाले देशों पर खतरा
68 % मामले मध्यम आय वर्ग देशों में होंगे 2050 तक 58 फीसदी मामले इन्हीं देशों से थे 2015 तक
देश की कुल अर्थव्यवस्था जितना खर्च
1 लाख करोड़ रुपये का बोझ साल 2018 में 81,800 करोड़ डॉलर का बोझ था 2015 में इस बीमारी की वजह से 18वीं बड़ी अर्थव्यवस्था होती दुनिया में अगर यह बीमारी एक देश होती
इन कंपनियों से भी बड़ी
74,200 करोड़ डॉलर की कंपनी एप्पल की
36,800 करोड़ डॉलर से ज्यादा कीमत गूगल की
क्या है अल्जाइमर
अल्जाइमर डिमेंशिया का ही एक रूप है, जिसका असर याददाश्त पर होता है. यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है, जो मस्तिष्क कोशिकाओं के लगातार नुकसान के कारण होती है.
डिमेंशिया के खतरों को करें कम
भूलने की बीमारी से बचने के लिए तनाव से दूर रहने के अलावा नियमित तौर पर शारीरिक व मानसिक व्यायाम करें. स्वस्थ आहार के साथ शराब व धूम्रपान से भी दूर रहें.
(स्रोत : विश्व अल्जाइमर रिपोर्ट-2015)