और एक झटके में ही राजद सुप्रीमो लालू यादव अपने धुर विरोधी बाबा रामदेव के पतंजलि उत्पादों के ब्रांड एंबेसेडर बन गए. सच ही कहा गया है कि राजनीति में कोई भी रिश्ता परमानेंट नहीं होता है. लालू और रामदेव दोनां ही यादव जाति के हैं, पर दोनों के बीच हमेशा से 36 का आंकड़ा वाला रिश्ता रहा है. लालू कई मौकों पर रामदेव को पूंजीपति और ठग तक करार दे चुके हैं, लेकिन आज रामदेव को लेकर लालू के सुर बदले-बदले नजर आए. आज अचानक दिल्ली में रामदेव लालू के घर पहुंच गए और उन्हें 21 जून को अपने फरीदाबाद योग जलसे में आने का न्यौता दिया.

लालू ने भी रामदेव, उनके योग और उनके प्रोडक्टस की जम कर तारीफ की. रामदेव ने लालू के और करीब पहुंचते हुए उनके गालों पर पतंजलि का गोल्ड क्रीम लगा डाला. उत्तर प्रदेश के चुनावी मौसम के बीच लालू और रामदेव के इस बेमेल मिलन के कई अर्थ और अनर्थ निकाले जाने लगे हैं. ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब लालू ने रामदेव की जम कर पोल-पट्टी खोली थी. पिछले 14 अप्रैल को ही डाक्टर भीमराव अंबेडकर की 125 जयंती के मौके पर राजद कार्यालय में आयोजित जलसे में लालूू ने बाबा रामदेव समेत रविशकर, आसाराम सहित तथाकथित ध्र्मगुरूओं पर जम कर निशाना साध था. रामदेव पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा था कि रामदेव खुद को संत और योग गुरू कहते हंै पर वह आज सबसे बड़े उद्योगपति और पूंजीपति बने बैठे हैं. उनसे बड़ा मौकापरस्त तो चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा.

जब उत्तर प्रदेश में उन्हें अपना योग और जड़ी-बूटियों की दूकान चलानी थी तो वह मुलायम सिंह यादव के गुण गाते नहीं थकते थे और आज अपना उद्योग चलाने और फैलाने के लिए नरेंद्र मोदी की गोद में जा बैठे हैं. ऐसा आदमी बाबा कैसे हो सकता है? उसी रामदेव और उनके प्रोडक्टस की तारीपफ करते हुए आज लालू कह रहे हैं कि रामदेव के प्रोडक्टस काफी बेहतरीन और खास बात यह है कि रामदेव उसकी शुद्धता की गारंटी भी देते है. रामदेव के प्रोडक्टस की कामयाबी की वजह से कई लोग उन्हें तिरछी नजरों से देखते हैं. रामदेव की वजह से कई लोगों की दूकानें बंद हो गई हैं.

लालू ने यह भी माना की रामदेव के बताए योगासन को करने से उन्हें काफी पफायदा मिला था. भाजपा और नरेंद्र मोदी से करीबी के चलते रामदेव भाजपा विरोधी दलों के निशाने पर रहे हैं. जब तक वह केवल योग गुरू थे तो हर राज्य की सरकारें उन्हें सम्मान देती थी. बिहार में योग शिविर लगाने कई बार रामदेव पहुंचे तो राज्य सरकार ने उन्हें स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया था. जब से रामदेव बिजनेसमैन और राजनेता बनने की कोशिश में लगे तो कई दलों के निशने पर आ गए. लालू और रामदेव के मिलन और एक दूसरे की तारीपफ में कसीदे पढ़ने के मामले को उत्तर प्रदेश के विधन सभा चुनाव से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. कहीं यह यादव वोट के ध््रुवीकरण के लिए सोची-समझी राजनीति तो नहीं है. बात कुछ भी हो पर रामदेव को बगैर एक फूटी कौड़ी खर्च किए अपने प्रोडक्टस के लिए गांवों लेकर नेशनल और इंटरनेशनल लेबल पर मशहूर लालू यादव जैसा ब्रांड एंबेसेडर तो फ़िलहाल मिल ही गया है. लालू ने भी रामदेव के सुर में सुर मिलते हुए कहा कि वह तो उनके लाइपफ टाइम ब्रांड एंबेसेडर हैं.

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