मोटी महिलाएं मां बनना चाहती हैं तो हो जाएं सावधान. पहले आपको अपना वजन घटाना होगा फर आप बन सकती हैं मां एक नए अध्ययन के मुताबिक,  भारत में मोटापे की दर तेजी से बढ़ रही है. भारतीय महिलाएं पुरुषों से ज्यादा मोटी होती हैं.

सिर्फ भारत ही नहीं महिलाओं के मोटापे की समस्या हर जगह है. हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में जहां 2 करोड़ महिलाएं मोटी थीं, वहीं पुरुषों की संख्या 98 लाख ही थी.

ओबेसिटी यानि मोटापा कई तरह की बीमारियों का घर है. इंफर्टिलिटी,  डायबिटीज,  सांस की दिक्कत से ले कर दूसरी छोटीबड़ी समस्याएं मोटापे से जुड़ी हैं.

सत्तर फीसदी महिलाओं को अधिक वजन होने की वजह से गर्भधारण करने में दिक्कत होती है.

महिलाओं का समय पर गर्भधारण न कर पाना बहुत ज्यादा गंभीर विषय है क्योंकि समाज में मातृत्व को नारीत्व से जोड़ कर देखा जाता है. इसके साथ ही परिवार को आगे बढ़ाने के लिए भी महिलाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. समाज में स्त्रीत्व व मातृत्व को अलगअलग नहीं माना जाता है. इसी सोच की वजह से महिला जब गर्भधारण करने में असमर्थ होती है तो वह बहुत ज्यादा मानसिक प्रताड़ना झेलती है.

आईओएसआर जनरल आफ नर्सिंग व हेल्थ साइंस में प्रकाशित 2014 के रिसर्च अध्ययन के परिणामों के अनुसार महिलाओं में मोटापा और बांझपन के साथ मानसिक तनाव उनके जीवन और यौन कार्यक्षमता को प्रभावित करता है.

इस बारे में नई दिल्ली स्थित बीएलके सुपर स्पेशैलिटी अस्पताल के सर्जिकल गैसट्रोइंटरो विभाग, बैरीऐट्रिक और मिनिमल एक्सेस सर्जरी के डायरेक्टर डा. दीप गोयल का कहना है कि  ‘‘दुबली महिलाओं के मुकाबले मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में बांझपन की समस्या का रिस्क तीन गुना ज्यादा होता है. ज्यादा वजन महिलाओं को प्रजनन के प्रत्येक स्टेज को प्रभावित करता है.’’

विभिन्न अध्ययनों से यह बात सामने आयी है कि शरीर में वसा जमा होने पर पुरुष हार्मोन एंड्रोजन उत्पन्न होने लगता है जिस से फालीक्यूलर परिपक्वता पर असर पड़ता है और इस से बांझपन की संभावना हो सकती है. अध्ययनों के अनुसार गर्भधारण करने से पहले मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को अतिरिक्त चर्बी को कम करने की आवश्यकता है जिस से उन के गर्भधारण की संभावना बढ़ सके.

शारीरिक गतिविधियों और डाइट को नियंत्रित करके काफी हद तक वजन नियंत्रित किया जा सकता है, आधुनिक तकनीक बैरीऐट्रिक सर्जरी की मदद से भी स्थिर वजन कम किया जा सकता है.

बैरीऐट्रिक सर्जरी में पेट के आकार को छोटा कर दिया जाता है जिस से रोगी को कम खाना खा कर भी पेट भरे होने का एहसास होता है. इसके साथ अन्य मेटाबॉलिक बदलाव भी होते हैं क्योंकि पेट और छोटी आंत वजन कम करने में सहायक होते हैं. यह प्रक्रिया पर निर्भर करता है कि सर्जरी के बाद रोगी 85 से 90 प्रतिशत अतिरिक्त वजन कम कर सकते हैं और 70 से 80 फीसदी तक मेटाबॉलिक विकारों में सुधार कर सकता है.

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