लड़की और लड़के के प्रति समाज की दोयम दरजे की सोच के चलते ग्रामीण इलाकों में रहने वाली लड़कियां उचित मार्गदर्शन और संसाधनों के अभाव में उच्चशिक्षा से वंचित रह जाती हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ विलक्षण प्रतिभाएं ऐसी भी होती हैं, जो ऐसे माहौल में अपने लक्ष्य से नहीं डगमगातीं. वे अपनी मेहनत से सफलता का ऐसा परचम लहराती हैं कि सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं. ऐसी प्रतिभाएं दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनती हैं.
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक छोटे से गांव जोबा की रहने वाली तपस्या परिहार ने अपनी लगन और मेहनत से सफलता का वो मुकाम हासिल किया कि गांव वालों ने ही नहीं, बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उसे बधाई दी. तपस्या ने सिविल सर्विस परीक्षा में देश में 23वीं रैंक ला कर न सिर्फ अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया बल्कि नरसिंहपुर जिले की पहली महिला आईएएस बन कर प्रदेश का भी गौरव बढ़ाया है.
जोबा गांव के एक किसान परिवार में जन्म लेने वाली तपस्या की प्राथमिक शिक्षा करेली तहसील के सरस्वती शिशु मंदिर में हुई थी. केंद्रीय विद्यालय नरसिंहपुर से हायर सेकैंडरी परीक्षा मेरिट में पास करने के बाद वह कानून की पढ़ाई करने के लिए पुणे चली गई. घर वालों से कोसों दूर अकेले रह कर उस ने पुणे के आईएलएस कालेज से 5 साल तक कानून की पढ़ाई की.
वकालत करने के बाद तपस्या का रुझान सिविल सर्विस परीक्षा की ओर हो गया. वह आईएएस बनना चाहती थी. इस के बाद उस ने 2 साल तक आईएएस की कोचिंग की. दूसरे प्रयास में उस ने यह मुकाम हासिल कर लिया.
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