पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान अजित वाडेकर (77 वर्ष) का बुधवार रात मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन हो गया. वह लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. वाडेकर की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में पहली बार टेस्ट मैच और पहली बार टेस्ट सीरीज जीती थी. वाडेकर ने मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी के दौरान भारतीय टीम के मैनेजर के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई थी. बाद में वह मुख्य चयनकर्ता भी बने.
आठ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में बायें हाथ के बल्लेबाज वाडेकर ने कुल 37 टेस्ट मैच खेले. 1971 से 1974 के दौरान उन्होंने 16 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की, जिसमें से चार मैच जीते, चार हारे, जबकि आठ मैच ड्रा रहे. उन्होंने दो वनडे मैच भी खेले और दोनों में भारतीय टीम की कमान संभाली. वनडे क्रिकेट में वह भारतीय टीम के पहले कप्तान थे. हालांकि वनडे कप्तान के रूप में उन्हें दोनों मैचों में हार का सामना करना पड़ा.
उन्होंने टेस्ट में 46, वनडे में एक और प्रथम श्रेणी करियर में 271 कैच लपके. टेस्ट करियर में उन्होंने एकमात्र शतक न्यूजीलैंड के खिलाफ 1968 में वेलिंगटन में लगाया. इस टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 143 रन बनाए थे. भारत ने यह टेस्ट आठ विकेट से जीता था. वाडेकर चार बार नर्वस नाइंटीज का भी शिकार बने, जिसमें एक बार वह 99 रन पर आउट हुए थे. रणजी ट्राफी में 17 वर्षो के करियर में उन्होंने 73 मैचों में कुल 4288 रन बनाए जिनमें उनका औसत 57.94 था. उन्होंने 1966-67 में मैसूर के खिलाफ रणजी ट्राफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया. उन्होंने 18 दलीप ट्राफी मैच खेले, छह में वह पश्चिम क्षेत्र के कप्तान रहे.
वाडेकर की उपलब्धियां : अजित वाडेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान थे जिन्होंने लगातार तीन टेस्ट सीरीज जीती थीं. इनमें से एक सीरीज वेस्टइंडीज में, एक इंग्लैंड में और एक इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेली गई थी. अजित वाडेकर खिलाड़ी, कप्तान, कोच या मैनेजर और चयन समिति के अध्यक्ष पद पर रहने वाले चुनिंदा लोगों में शामिल थे. उनसे पहले लाला अमरनाथ और चंदू बोर्डे ही यह मुकाम हासिल कर सके थे.
वाडेकर ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का इकलौता शतक (143) न्यूजीलैंड के खिलाफ 1968 के वेलिंगटन टेस्ट में बनाया था. उस टेस्ट में भारत को जीत हासिल हुई थी. अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री सम्मान के अलावा उन्हें बीसीसीआइ द्वारा सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया. वाडेकर की कप्तानी में भारत ने जो वेस्टइंडीज में पहली टेस्ट जीत हासिल की थी वह दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर के करियर का पदार्पण टेस्ट था.