इस टी-20 विश्वकप में टीम इंडिया के लिए विराट कोहली बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं. लगातार हर मैच में शानदार बल्लेबाजी करके कोहली ने टीम की जीत की नींव रखी. चार मैच में दो में उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब भी दिया जा चुका है.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोहली ने जबरदस्त दबाव के बीच खुद को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ टी-20 बल्लेबाज साबित करके दिखाया. वहीं धोनी के चौके ने टीम को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया.

मैं शब्दों में नहीं कर सकता बयां

जीत के बाद कोहली ने मैच में अपनी रणनीति और अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि धोनी ने जब चौका मारा तो वह पल मेरे लिए काफी भावुक था, मैं बता नहीं सकता कि क्या कहूं.

मुझे लग गया था कि हम टूर्नामेंट से बाहर हो सकते हैं

10 ओवर के बाद मुझे लगा कि हम इस टूर्नामेंट से बाहर हो गये हैं, ऐसे में खेल में वापस आने के लिए धोनी के साथ पारी को बढ़ाया, मुझे नहीं पता ये कैसे हुआ. बल्लेबाजी करते वक्त भी मुझे नहीं समझ आया कि ये कैसे हुआ.

हर खिलाड़ी का सपना होता है टीम को जीतते देखना

कोहली ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि टीम के लिए मैं यह कर सका और यही वजह है कि आप इस खेल को खेलते हैं. आप बतौर खिलाड़ी हमेशा यही करना चाहते हैं. आपकी टीम के लिए यह जबरदस्त पल होता है. कोहली ने कहा कि अपने साथी खिलाड़ियों को जश्न मनाते देखना जबरदस्त अनुभव होता है.

मेरे दिमाग में हर वक्त बाउंड्री थी

मैच के दौरान बाउंड्री लगाने के लिए मेरे दिमाग में हमेशा खयाल आ रहा था. मुझे शत प्रतिशत इस बात का यकीन था कि मुझे जेम्स फॉकनर के 18वें ओवर में हमला बोलना था.

हमें बड़े ओवर की तलाश थी

तीन ओवर में 39 रन बनाने थे और उसमें से एक ओवर में बड़ा स्कोर करना बहुत जरूरी था, जिसमें कम से कम 15 रन आये. लेकिन हमें उससे बड़ा (19) ओवर मिला.

पिच उतनी फ्लैट नहीं थी

16वें ओवर से पहले मैंने सोचना शुरु कर दिया था कि अगर हमें बहुत बाउंड्री नहीं मिलती है तो हमें आखिरी में जूझना पड़ सकता है. पिच उतनी फ्लैट नहीं थी जितनी लग रही थी, धीमी गेंद रुक रही थी, ऐसे में गैप में शॉट्स खेलना काफी जरूरी था. आउटफील्ड काफी तेज था, ऐसे में अगर मैं गैप में खेल पाता तो बाउंड्री जरूर मिलेगी.

धोनी ने निभायी अहम जिम्मेदारी

जब युवराज सिंह पैरों में खिचाव के चलते जूझ रहे थे, उस वक्त कोहली के लिए मुश्किलें बढ़ गयी थी. कोहली कहते हैं कि मैंने इससे पहले कोई ऐसी पारी नहीं खेली जब तीन ओवर में 39 रन चाहिए, लेकिन धोनी के साथ यह करने में मैं सफल रहा.

दो-दो रन लेकर हमने बनाया ऑस्ट्रेलिया पर दबाव

धोनी ने जिस तरह से जबरदस्त रनिंग की उसने दो रन लेने में हमें काफी मदद दी, जिसके चलते ऑस्ट्रेलिया काफी मुश्किल में आ गयी. उन्हें पता था कि हम बिना चौका मारे भी हर गेंद पर दो रन लेकर एक ओवर में 12 रन बना सकते थे, यही वजह थी कि गेंदबाज बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो गये.

धोनी ने मुझे हमेशा शांत रखा

धोनी ने मुझे शांत रहने में काफी मदद की, इसके लिए उनको पूरा श्रेय जाता है. धोनी मुझसे हमेशा कहते रहे कि अपने क्षेत्र को ढूंढो, इतनी गेंदो पर इतने ही रन चाहिए. वह कभी नहीं चाहते थे कि मैं अपना आपा या संतुलन गंवाउं.

जीत का श्रेय पूरी टीम को, मैंने सिर्फ 82 रन ही बनायें

हर तरफ लोग हाथ मिला रहे थे, गले लग रहे थे, भारतीय खेमा खुशी से झूम रहा था. जीत के बाद यह नजारा काफी भावुक था. कोहली कहते हैं कि मैं नहीं जानता कि इस पारी को मैं किस स्थान पर रखूंगा, यह लोगों पर निर्भर है कि वह इस पारी को कहां रखते हैं. यह एक टीम प्रयास था, मैंने 82 रन बनाये हैं जबकि बाकी के रन अन्य बल्लेबाजों ने बनाये हैं. इसका श्रेय उन्हें भी मिलना चाहिए.

 

 

 

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