इस बार फिर से लालू यादव की कुर्ता फाड़ होली का रंग और धमाल देखने को मिल सकता है. होली के लोक गीतों पर थिरकते लालू और उनके संगी-साथियों का रंग देखने को मिलेगा. पिछले 10 सालों से बिहार की सत्ता से दूर होने के बाद लालू की होली का रंग भी बेरंग हो गया था. साल 2005 में उनके अभी के सियासी साथी और तब के सियासी दुश्मन नीतीश कुमार ने ही उनके 20 साल के शासन के रंग में भंग डाल दिया था. बिहार की सत्ता गंवाने के बाद लालू के आवास पर होली का हुड़दंग बंद हो गया था और वह दिल्ली में ही होली मनाने लगे थे. बिहार की सत्ता पर एक बार फिर रंग जमाने के बाद लालू इस बार फिर से होली का रंग जमाने की तैयारियों में लग गए हैं.

साल 1990 में जब लालू यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तो उसके बाद से 2005 तक हर साल मुख्यमंत्री आवास में कुर्ता फाड़ होली का आयोजन होता था. लालू मंत्रिमंडल के सभी मंत्री और उनके दल के सारे विधायकों, सीनियर नेताओं समेत विरोधी दलों के नेताओं का मजमा एक-अणे मार्ग में लगता था. सारी सियासी दुश्मनी और सरकारी फाइलों के बोझ को भुला कर सभी एक रंग में रंग जाते थे.

होली के दिन मुख्यमंत्री आवास में सारे भेद-भाव और ऊंच-नीच का भाव खत्म हो जाता था और भांग के घूंट के साथ जोगीरा सरारारा…सारारारा… के लोकगीत पर सभी जम कर धमाल मचाते. भांग और रंग का सुरूर चढ़ते ही लोगों में एक दूसरे का कुर्ता फाड़ने की होड़ सी मच जाती थी. लालू कभी ढोल बजाते, तो कभी मंजीरा उठा कर बजाने लगते और लोकगीतों पर सारे नेताओं को ठुमके लगाने के लिए मजबूर कर देते. बिहार की राजनीतिक गलियारों में लालू की बोली और लालू की होली की चरचा हमेशा होती रहती थी.

पिछले विधानसभा चुनाव में लालू और नीतीश के गठजोड़ ने साबित कर दिया है कि उनके पास मजबूत वोट बैंक है. 243 सदस्यों वाले बिहार विधान सभा में 178 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. इसमें जदयू की झोली में 71, राजद के खाते में 80 और कांग्रेस के हाथ में 27 सीटें हैं. नीतीश की पार्टी जदयू को 16.8, राजद को 18.4 और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले, जो कुल 41.9 फीसदी हो जाता है.

इतनी बड़ी सियासी ताकत किसी को भी इतराने के लिए काफी है. लालू भले ही इस बार मिली सियासी जीत के बाद अपने पुराने गवंई और लठ्मार राजनीति के रंग में नहीं लौटे हैं, पर होली का रंग उनपर चढ़ चुका है. होली के बहाने एक बार फिर से लोगों को गवंई और हुड़दंगी लालू का रंग देखने को मिल सकेगा. राजद के एक बड़े नेता बताते हैं कि लालू यादव एक बार फिर होली में अपने असली रंग में लौटेंगे और जम कर होली का मजा लेंगे. लालू की कंर्ता फाड़ होली की इस बार वापसी होने वाली है. ‘होली में बुढ़वा देवर लागे रे’… और ‘झामलाल बुढ़वा पीटे कपार हमरे करम में जोरू नहीं’ जैसे गीतों पर ठुमकने और थिरकने के लिए लालू और उनके समर्थकों की टोली लिए तैयार हैं. जोगीरा….सा…रा..रा…

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...