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सीतापुर और लखीमपुरी खीरी की सीमा पर बहने वाली शारदा नहर पर बने रिक्शा पुल के नीचे एक लावारिस काला बैग पड़ा था. चूंकि नहर में पानी ज्यादा नहीं था, इसलिए वह जगह सूखी थी. यह क्षेत्र सीतापुर जनपद के हरगांव थाना क्षेत्र में आता है.

14 जनवरी की सुबह 7 बजे कबीरपुर गांव के बच्चों ने वहां बैग पड़ा देखा तो उत्सुकतावश खोल कर देखा. उस के अंदर एक बच्ची की लाश थी. यह देख बच्चे घबरा गए और गांव जा कर लोगों को बताया. गांव के लोग तुरंत वहां पहुंच गए.

लाश देख कर गांव वालों के साथ पहुंचे कबीरपुर गांव के चौकीदार ने इस मामले की सूचना हरगांव थाने को दे दी. हरगांव थाने के थानाप्रभारी अश्विनी कुमार पांडेय ने एक दिन  पहले ही थाने का चार्ज संभाला था. उन्होंने सोचा भी नहीं था कि आते ही उन का वास्ता किसी बड़ी घटना से पड़ जाएगा. सूचना मिलते ही वह सबइंसपेक्टर राजकिशोर यादव और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

घटनास्थल पर पहुंच कर अश्विनी कुमार ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक बच्ची की उम्र करीब 10-11 साल रही होगी. उस की लाश काले बैग के अंदर एक टाट के बोरे में लिपटी हुई थी. बैग में 2 ईंटों के साथ नमक भी पड़ा हुआ था. मृतका के मुंह पर 2 इंच चौड़ा टेप चिपका था. गले पर कसे जाने के निशान मौजूद थे.

लाश का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने अनुमान लगाया कि किसी चीज से बच्ची का गला घोंटने के बाद लाश को किसी वाहन से यहां ला कर डाला गया होगा. नमक इसलिए डाला गया ताकि लाश जल्दी गल जाए. जबकि ईंटें डालने का सबब यह रहा होगा कि लाश पानी की सतह पर ऊपर न आ पाए. अनुमान था कि हत्यारों ने लाश रात में फेंकी होगी. जल्दबाजी या कोहरे के कारण वे यह नहीं देख सके होंगे कि जिस जगह पर लाश फेंक रहे हैं, वहां पानी नहीं है.

इसी बीच पुलिस को रिक्शा पुल से 3 किलोमीटर दूर शारदा नहर पर बने उमरिया पुल के पास एक और बच्ची की लाश मिलने की सूचना मिली. इस पर थानाप्रभारी अश्विनी कुमार ने 2 सिपाहियों को घटनास्थल पर छोड़ा और बाकी सिपाहियों के साथ उमरिया पुल के पास पहुंच गए. वहां उन्हें टाट के एक बोरे में लिपटी हुई एक बच्ची की लाश मिली.

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मृतका की उम्र करीब 8 साल रही होगी. उस के पूरे चेहरे पर टेप लगा हुआ था और गले पर भी गहरे निशान थे. उन्होंने दोनों लाशों की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन लाशों की शिनाख्त नहीं हो सकी. इस पर पुलिस ने दोनों लाशों के फोटो करवा लिए और लाशों को सीलमुहर करवा कर पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

थाने लौट कर उन्होंने एसआई राजकिशोर यादव की लिखित तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धाराओं 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

देर रात 3 डाक्टरों के पैनल ने दोनों लाशों का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि दोनों बच्चियों की हत्या प्लास्टिक की किसी पतली रस्सी या तार से गला घोंट कर की गई थी. साथ ही पहले मिली बच्ची के साथ रेप किए जाने की भी पुष्टि हुई. डाक्टरों ने विस्तृत जांच के लिए स्लाइड तैयार कर के रख ली थी.

बेटियों के साथ मां विभा भी लापता, आखिर क्या था रहस्य?

कुछ लोगों ने लाश व घटनास्थल के वीडियो बना कर वाट्सऐप पर डाल दिए थे, जिन के वायरल होते देर नहीं लगी. वीडियो देख कर सीतापुर के आलमनगर, गदियाना मोहल्ले के कुछ लोग शहर कोतवाली पहुंचे और कोतवाली का कार्यभार देख रहे एसएसआई अनिल तिवारी को बताया कि दोनों लाशें आलमनगर, गदियाना मोहल्ले में रह रही विभा पांडेय की बेटियों काव्या और कामना (परिवर्तित नाम) की हैं.

12 जनवरी की रात से विभा और उस की दोनों बेटियां घर से लापता थीं. विभा का भी पता नहीं चल रहा था. एसएसआई तिवारी ने इस संबंध में हरगांव थानाप्रभारी अश्विनी कुमार को अवगत कराया. इस के बाद इस बारे में उच्चाधिकारियों को सूचना दे दी गई.

कुछ ही देर में डौग स्क्वायड के साथ पुलिस टीम विभा के घर पहुंच गई. एसपी आनंद कुलकर्णी और एएसपी मधुबन सिंह ने वहां पहुंच कर घर का निरीक्षण किया. विभा का भाई नवीन, जोकि तरीनपुर मोहल्ले में रहता था, से भी पूछताछ की गई. उस ने बताया कि वह पहले इसी मकान के दूसरे हिस्से में रहता था. लेकिन बहन विभा से विवाद होने के बाद काफी समय से वह तरीनपुर में किराए के मकान में रह रहा था.

नवीन ने यह भी बताया कि विभा का पति प्रवीन पांडेय विभा को 4 साल पहले छोड़ कर चला गया था. तब से वह एक बार भी विभा या बच्चों को देखने नहीं आया. विभा के साथ अधिकतर उस का करीबी दोस्त नवीन उर्फ विमल गुप्ता रहता था. विमल का खुद का घर आवास विकास कालोनी में है, लेकिन वह अधिकांश समय विभा के साथ ही गुजारता था. इसी मकान में विभा ब्यूटीपार्लर चलाती थी और विमल ने सीसीटीवी कैमरे लगाने की दुकान खोल रखी थी.

विमल से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 12 जनवरी की शाम को विभा उस के साथ कुछ सामान खरीदने बाजार गई थी. शाम 7 बजे तक वह उस के साथ रही. उस के बाद वह औटो से घर चली गई तो वह अपने घर लौट आया. बाद में उस ने विभा को फोन मिलाया तो उस का फोन बंद मिला.

लेकिन सवाल यह उठता था कि जब 2 दिन से मांबेटियां घर से लापता थीं तो उन के करीबियों व घर वालों ने पुलिस को इस की सूचना क्यों नहीं दी? घर वालों से भी ज्यादा विभा का करीबी विमल था. उसे विभा और बच्चियों की चिंता क्यों नहीं हुई.

उस ने विभा को तलाशने या थाने में सूचना देने की जहमत भी नहीं उठाई थी. पुलिस के शक के दायरे में आने वाला सब से पहला शख्स विमल ही था. इस के अलावा पुलिस ने विभा के कुछ और करीबियों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया.

खुले मिजाज की विभा पति से अलग रह कर स्वतंत्र जिंदगी जीती थी

पुलिस को यह भी पता चला कि विभा खुले मिजाज की युवती थी, वह किसी से भी बात करने या मिलनेजुलने में गुरेज नहीं करती थी. उस के पास कई ऐसे लोग आते थे, जो उस की छवि को दागदार बनाते थे. लेकिन विभा को इस सब की कोई चिंता नहीं थी.

विभा के करीबियों में सलीम नाम का एक व्यक्ति भी शामिल था. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. सभी से पूछताछ के बाद पुलिस ने एक बार फिर से विमल को निशाने पर लिया. इस पूछताछ के दौरान विमल कुछ ऐसा बोल गया, जिस ने उसे संदिग्ध बनाने में और इजाफा किया.

उस ने जो कहा वह विभा की हत्या से संबंधित था. इस के बाद पुलिस ने सख्ती दिखाई तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने विभा की भी हत्या कर देने की बात बताई. इस तिहरे हत्याकांड को अंजाम देने में उस का साथ उस के 5 दोस्तों ने दिया था. जबकि एक अन्य व्यक्ति ने लाशों को ठिकाने लगाने में मदद की थी.

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अन्य हत्याभियुक्तों में दिलीप शर्मा निवासी भवनापुर थाना कोतवाली शहर, राहुल निवासी आनंद नगर थाना कोतवाली शहर, मुकेश निवासी रमपुरा थाना कोतवाली शहर, जुबेर निवासी महमूदपुर थाना खैराबाद, पंकज निवासी गणेशपुर थाना खैराबाद शामिल थे. लाशों को ठिकाने लगाने के लिए जाइलो कार का इस्तेमाल किया गया था. उस कार का मालिक राजेश लोध निवासी ग्राम नानकारी थाना खैराबाद था.

विमल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. दिलीप शर्मा और जुबेर को 16 जनवरी को गिरफ्तार किया गया. इस के बाद 17 जनवरी को विमल की निशानदेही पर विभा की लाश सीतापुर के थाना कोतवाली शहर के अंतर्गत आने वाले खुजरिया गांव के पास सरायन नदी से बरामद कर ली गई. लाश का पोस्टमार्टम कराया गया तो पता चला कि उस की मौत भी गला घोंटने से हुई थी. उस के साथ रेप किए जाने की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन आशंका के चलते विस्तृत जांच हेतु स्लाइड बना कर रख ली गई थी.

18 जनवरी को पुलिस द्वारा शेष अभियुक्तों राहुल, मुकेश, पंकज और राजेश को भी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस की पूछताछ के बाद जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

खुल गया मांबेटियों की हत्या का राज

सीतापुर के थाना कोतवाली शहर के अंतर्गत आने वाले आलमनगर, गदियाना मोहल्ले में अशोक कुमार गोयल अपनी पत्नी अनीता, बेटे नवीन और 2 बेटियों विभा और रजनी के साथ रहते थे. अशोक प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते थे.

उन के बेटे नवीन का विवाह हो चुका था. नवीन लाइटिंग का काम करता था. विभा ने इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्राप्त की, उस के बाद उस का मन पढ़ाई में नहीं लगा. विभा काफी खूबसूरत और खुले विचारों की युवती थी. वह किसी को भी बहुत जल्दी अपना दोस्त बना लेती थी. लेकिन उस दोस्ती को वह अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं रहती थी.

खूबसूरत युवती की दोस्ती हर कोई पाने की चाहत रखता है. विभा इसी चाहत का फायदा उठाती थी. मोहल्ले के कई लड़के उस के आगेपीछे घूमते थे. मांबाप व भाई उसे रोकतेटोकते भी थे, लेकिन उस पर इस का कोई असर नहीं होता था.

एक दिन वह भी आया जब मोहल्ले में रहने वाले प्रवीण पांडेय से उस की आंखें लड़ गईं. प्रवीण पेशे से ड्राइवर था. दोनों का प्यार इस तरह परवान चढ़ा कि दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया. इस की भनक उन्होंने अपने घर वालों तक को नहीं लगने दी. विवाह कर के विभा प्रवीण के साथ रहने लगी.

कालांतर में विभा ने 2 बेटियों काव्या और कामना को जन्म दिया. फिलहाल काव्या 10 साल की थी और कामना 8 साल की. काव्या कक्षा 4 में और कामना कक्षा 2 में पढ़ रही थीं.

विवाह और 2 बेटियों के जन्म के बाद भी विभा के स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया था. वह पहले की तरह अपने दोस्तों से मिलतीजुलती, हंसतीबोलती थी. विभा की यह हरकत प्रवीण को बहुत नागवार गुजरती थी. इसी को ले कर दोनों में लगभग हर रोज झगड़ा होता था. धीरेधीरे बात इतनी बढ़ गई कि 5 साल पहले प्रवीण उसे हमेशा के लिए छोड़ कर चला गया. जाने के बाद उस ने कभी भी विभा और अपनी बेटियों का हाल जानने की कोशिश नहीं की.

पति के छोड़ देने के बाद विभा अपने मायके वाले मकान में आ कर रहने लगी. मकान के एक हिस्से में वह अपनी बेटियों के साथ रहती थी, जबकि दूसरे हिस्से में उस का भाई नवीन मातापिता के साथ रहता था.

विभा ने खोला ब्यूटीपार्लर

घर चलाने के लिए विभा ने अपने घर में ब्यूटीपार्लर खोल लिया और अपना काम करने लगी. यहीं काम करने के दौरान उस की मुलाकात विमल उर्फ नवीन गुप्ता से हुई, जो आवास विकास कालोनी में रहता था. वह सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम करता था. विमल के पिता विजय कुमार गुप्ता भारतीय खाद्य निगम में नौकरी करते थे. विमल का एक भाई था कमल, वह एफसीआई के पास चाय की कैंटीन चलाता था.

विमल से मुलाकात के बाद तो विभा की लौटरी ही लग गई. विमल उस पर खूब पैसे खर्च करने लगा. इस की वजह यह थी कि वह विभा को पहली ही नजर में दिल दे बैठा था. वह विभा की हर जरूरत का खयाल रखता था. दूसरी ओर विभा की जान अपनी बेटियों में बसती थी. वह घर से किसी काम के लिए निकलती थी तो जल्दी से जल्दी काम निपटा कर अपनी बेटियों के पास लौट आती थी.

वह कभी भी उन्हें ज्यादा देर तक अकेला नहीं छोड़ती थी. बेटियों की खुशी के लिए वह कुछ भी कर सकती थी. बेटियों की खुशी के लिए ही उस ने विमल का हाथ थामा था. विभा जानती थी कि विमल उस से क्या चाहता है. उस ने विमल की जरूरत को पूरा किया तो विमल उस की जरूरत पूरी करने लगा.

विभा इसे सिर्फ ‘गिव ऐंड टेक’ का मामला समझ कर चल रही थी लेकिन विमल कुछ और ही सोच रहा था. वह विभा और उस की दोनों बेटियों की जिम्मेदारियां इसलिए उठा रहा था ताकि विभा से शादी कर के अपना परिवार बसा सके.

विमल ने विभा से बात करने के बाद उस के मकान में ही अपनी दुकान खोल ली. दोनों ने एकदूसरे के काम में हिस्सेदारी भी कर ली. हालांकि विमल जो भी कमाता था, वह सब विभा और उस की बेटियों पर ही खर्च कर देता था.

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विभा के चाहने वालों की कमी नहीं थी. दिन भर कोई न कोई उस के घर आता रहता था. विभा भी उन से ऐसे बात करती थी कि कोई भी शरीफ इंसान उसे गलत समझ सकता था. मोहल्ले के लोग भी तरहतरह की बातें करते थे. विभा के भाई व मांबाप को यह सब बहुत बुरा लगता था.

इसी बात को ले कर विभा और उस के भाई नवीन में विवाद होता रहता था. एक दिन ऐसा भी आया, जब नवीन मांबाप के साथ घर छोड़ कर चला गया. वह तरीनपुर मोहल्ले में किराए का मकान ले कर रहने लगा. उस ने फिर कभी उस मोहल्ले में झांकने तक की जहमत नहीं उठाई.

विभा से सलीम की नजदीकियां पसंद नहीं थीं विमल को 

विभा की नजदीकियां सलीम नाम के युवक से भी थी. विमल को विभा और सलीम का मिलना नागवार गुजरता था. उस ने विभा को कई बार समझाया, लेकिन वह अपनी मनमानी करती थी. अपने अलावा वह अपनी बेटियों के अलावा किसी की परवाह नहीं करती थी. उस ने अपने पति, मांबाप अथवा  भाई की नहीं सुनी तो विमल क्या चीज था. वह तो सिर्फ उस की जरूरतों को पूरा करने का एक जरिया मात्र था. सलीम की पत्नी को सलीम और विभा के संबंधों की भनक लगी तो वह भी पति को छोड़ कर चली गई.

विमल ने विभा पर पानी की तरह पैसा बहाया था. यहां तक कि उस की बड़ी बेटी काव्या के दिमागी बुखार से पीडि़त होने पर उस ने उस के इलाज पर हैसियत से ज्यादा पैसा खर्च किया था. इस के बाद भी विभा किसी और के साथ नजदीकियां बढ़ा रही थी. उस ने विभा से शादी की बात की तो उस ने शादी करने से साफ इनकार कर दिया. इस पर विमल का माथा ठनक गया. वह अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा था. आखिर उस ने विभा को सबक सिखाने की ठान ली.

उस ने सोच लिया कि विभा उस की नहीं हुई तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. विभा की हरकतें उस के दिमाग में कौंधती रहती थीं. वह विभा की हत्या को कैसे अंजाम दे, यह सोच कर उस ने कई हौलीवुड फिल्में और टीवी पर क्राइम बेस्ड सीरियल देखे. उन्हीं सब के आधार पर उस ने सोचविचार कर विभा की बरबादी की पूरी योजना तैयार की. उसे इस काम के लिए दोस्तों की मदद की जरूरत थी. उन्हें इस सब के लिए कैसे राजी करना है, यह भी उस ने सोच लिया था.

उस ने अपने शहर के ही भवनापुर में रहने वाले अपने दोस्त दिलीप शर्मा से बात की. दिलीप अपने घर में ही मोबाइल शौप चलाता था. इस से पहले वह फार्मासिस्ट का काम कर चुका था. दिलीप का भी विभा के साथ पैसों के लेनदेन का कोई विवाद था. विमल के कहने पर वह उस का साथ देने को तैयार हो गया. इस के बाद विमल ने उसे पूरी योजना बता दी.

फिर उस ने अपने दूसरे दोस्तों राहुल, मुकेश, जुबेर और पंकज से अलगअलग बात कर के उन्हें भी अपनी योजना में शामिल कर लिया. इस के लिए उस ने हर दोस्त को 10 हजार रुपए देने की बात कही थी. कुछ दोस्ती के नाते और कुछ 10 हजार रुपए के लालच में वे लोग उस का साथ देने को तैयार हो गए.

सारे दोस्तों को तैयार कर के उस ने सब के साथ बैठ कर इस योजना पर काम किया. इस बैठक में यह बात भी उठी कि विभा की हत्या के बाद उस की बेटियां उन के लिए खतरा बन सकती हैं, जबकि वे लोग कोई भी खतरा नहीं उठाना चाहते थे. इसलिए विभा के साथ उस की बेटियों की हत्या करने की बात भी तय हो गई. दिलीप ने अस्पताल के कुछ पुराने परिचितों के जरिए 2 इंच चौड़े टेप का इंतजाम कर लिया.

ऐसे दिया गया तिहरे हत्याकांड को अंजाम

12 जनवरी की शाम 7 बजे दुकान का कुछ सामान खरीदने के बहाने विमल विभा को बाइक से दिलीप की दुकान पर ले गया. वहां विमल के सभी दोस्त मौजूद थे. उन्होंने विभा को दबोच लिया और उस के मुंह को टेप से बंद कर दिया, जिस से वह चिल्ला न सके. फिर उन लोगों ने कंप्यूटर के केबल से विभा का गला घोंट कर उस की हत्या कर दी.

इस के बाद विमल फिर विभा के घर गया और उस की दोनों बेटियों को अपने साथ ले आया. उन दोनों को दबोच कर उन के मुंह पर भी टेप लगा दिया गया. इस के बाद विभा की तरह ही उस की बेटियों काव्या और कामना की भी कंप्यूटर केबल से गला घोंट कर हत्या कर दी गई. विमल के दोस्त मुकेश ने मासूम काव्या के शव के साथ संबंध बनाए.

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सुबह होने पर विमल और दिलीप ने आधेआधे पैसे मिलाए और बाजार जा कर एक बैग, 3 टाट के बोरे, रस्सी और नमक खरीद कर ले आए. आगे की योजना यह थी कि तीनों लाशों को जमीन में दफना दिया जाए. इस के लिए पंकज के खैराबाद थाना क्षेत्र के गांव गणेशपुर स्थित खेत को चुना गया. आननफानन में गड्ढा खोदने के लिए जेसीबी भी तय कर ली गई. इस के बाद खेत में खुदाई का काम चालू कर दिया गया. यह देख कर पंकज के घर वालों और गांव वालों ने पूछताछ की तो पंकज ने बताया कि खाद बनाने के लिए गड्ढा खुदवा रहा है.

लोगों द्वारा की गई इस पूछताछ के बाद पंकज की हिम्मत जवाब दे गई. उस ने अपने खेत में लाशों को दफनाने से साफ इनकार कर दिया. घटना का पहला दिन इसी सब में गुजर गया. तीनों लाशें दिलीप की दुकान में पड़ी रहीं. पंकज के विरोध के बाद विमल और उस के अन्य दोस्तों को अपना प्लान बदलने को मजबूर होना पड़ा.

इसी बीच विमल को याद आया कि उस के साथी राहुल की रिश्तेदारी में जाइलो कार है, जिस का इस्तेमाल किया जा सकता है. जाइलो कार सीतापुर के खैराबाद थाना क्षेत्र के नानकारी गांव निवासी राजेश की थी. चूंकि वह राहुल का रिश्तेदार था, इसलिए वह इस काम के लिए तैयार हो गया. उस ने 10 हजार रुपए के एवज में यह काम अपने हाथ में ले लिया.

कार में डाल कर तीनों लाशें लगाईं ठिकाने

योजना बदलने के बाद विभा और कामना की लाश को टाट के बोरे में लपेटा गया. साथ ही काव्या की लाश को बोरे में लपेट कर बैग में रखा गया. तीनों लाशों के साथ नमक और 2-2 ईंटें भी रख दी गईं. इस तैयारी के बाद तीनों लाशों को कार में लाद दिया गया. रात में कोहरा अधिक था, जिस की वजह से उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई.

सभी कार में बैठ कर थाना कोतवाली शहर के अंतर्गत आने वाले खजुरिया गांव के पास सरायन नदी पर पहुंचे. विभा की लाश नदी में डाल दी गई. इस के बाद ये लोग बारीबारी से शारदा नहर के रिक्शा पुल और उमरिया पुल पर पहुंचे और काव्या और कामना की लाश को नहर में डाल दिया.

लेकिन यहां कोहरा उन के लिए विलेन बन गया. कोहरे के कारण ये लोग ठीक से नहीं देख सके. नहर में ज्यादा पानी नहीं था, वह सूखी थी. नहर में पानी होता तो लाश पानी में डूब जातीं, लेकिन सूखी होने के कारण ऐसा न हो सका. अपने काम को अंजाम देने के बाद सब दोस्त अपनेअपने घर लौट आए.

लेकिन अगले दिन 14 जनवरी की सुबह काव्या व विभा की लाशें मिलते ही उन की उल्टी गिनती शुरू हो गई. आखिर जल्द ही वे सभी पुलिस की गिरफ्त में आ गए.

राजेश की जाइलो कार यूपी53ए एल2905 भी उस के घर के बाहर से बरामद हो गई. हत्या में इस्तेमाल कंप्यूटर केबल भी पुलिस ने बरामद कर लिया. थानाप्रभारी अश्विनी कुमार ने मुकदमे में भादंवि की धाराएं 147, 376 व 34 और बढ़ा दीं.

सातों अभियुक्तों का मैडिकल कराने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से सब को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक सभी अभियुक्त जेल में थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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