सरकार की उदासीनता ने किसानों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है. दरअसल 17 साल पहले देश में वनीला की खेती करने के लिए बड़े जोरशोर से मुहिम चलाई गई थी. इस का असर यह हुआ कि कुछ समय में ही दक्षिण भारत के 3 राज्यों ने दुनिया के सब से महंगे मसालों में शुमार वनीला की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया. साल 2000 में बड़ी उम्मीद के साथ वनीला की खेती शुरू की गई थी, लेकिन डेढ़ दशक बाद ही इस की खेती पर खतरा मंडराने लगा है.

भारतीय मसाला बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सब  से ज्यादा लोकप्रिय फ्लेवर वनीला का है. यहां तक कि दुनियाभर में जितनी भी आइसक्रीम बनती हैं, उन में से 40 फीसदी वनीला फ्लेवर की ही होती हैं. वनीला एक फल है. दक्षिण भारत के 3 राज्यों में इस की खेती होती है. वनीला आइसक्रीम के अलावा केक, कोल्डड्रिंक, परफ्यूम और अन्य सौंदर्य प्रसाधनों में भी इस्तेमाल होता है.

इस की खेती से किसानों को काफी फायदा हो रहा था, लेकिन सरकार की उदासीनतापूर्ण नीति इस के किसानों को भुगतनी पड़ रही है. किसानों को वनीला की खेती से शुरुआत में अन्य फसलों के मुकाबले काफी फायदा हुआ, लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार वनीला की खेती से किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है. इसी के चलते दक्षिण भारत के प्रमुख वनीला उत्पादक राज्यों तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के किसानों ने बड़े पैमाने पर हो रही वनीला की खेती से अब मुंह मोड़ लिया है.

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जानकारों का मानना है कि यदि सरकार इस तरफ ध्यान दे, तो किसान फिर से सरकार की तरफ से प्रोत्साहन मिलने से वनीला की खेती में दिलचस्पी दिखाएंगे. वनीला की मांग देश के साथसाथ विदेशों में भी काफी ज्यादा है. जब तक वनीला का निर्यात किया जाता रहा तब तक तो किसानों को फायदा होता रहा, लेकिन अब पिछले 3 सालों से निर्यात बंद है. सरकार की उदासीनता का यह हाल तब है, जब पूरी दुनिया में वनीला की सब से ज्यादा मांग है. यदि सरकार इस पर ध्यान दे तो देश में वनीला की खेती और ज्यादा की जा सकती है, लेकिन सरकार की तरफ से ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

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एक समय देश में वनीला की खेती करने वाले किसानों को 1 किलोग्राम वनीला के बीजों की कीमत 3500 रुपए मिलती थी, जो आज घट कर मात्र 50 रुपए प्रति किलोग्राम रह गई है. देश में जब किसानों ने वनीला की खेती शुरू की थी, उस समय इस की विदेशों में काफी मांग थी और कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही थी.

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वनीला का देश में औसत उत्पादन तब 1200 टन था, जो अब काफी घट गया है. पिछले 3 सालों में भारत ने वनीला का निर्यात भी नहीं किया है. ऐसा नहीं है कि उत्पादन बढ़ जाने से मांग कम हुई हो, बल्कि सरकार की नीतियों के चलते भारतीय किसानों को वनीला की खेती का मोह छोड़ना पड़ रहा है.

वनीला मूलरूप से दक्षिणपूर्वी मैक्सिको, ग्वाटेमाला और मध्य अमेरिका के कुछ हिस्सों में पाया जाने वाला पौधा है. जावा, मेडागास्कर, ताहिती, जंजीबार, युगांडा, टांगो, जमैका और वेस्टइंडीज में इस की खेती की जाती है. भारत में वनीला की खेती आमतौर पर लघु किसानों के अलावा सीमांत किसान अन्य फसलों के साथ करते हैं. इस तरीके से किसानों को एकसाथ ज्यादा लाभ मिल जाता है.

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देश में वनीला की सब से ज्यादा खेती केरल के एर्णाकुलम जिले में की जाती थी. किसानों को जब इस की फसल से ज्यादा लाभ हो रहा था, तब तकरीबन 2 लाख किसान इस की खेती से जुड़े थे, लेकिन आज हालत यह है कि 100 से भी कम किसान इस की खेती कर रहे हैं.

– इरफान खान

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