पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट से पहले हुई बैठक में किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से किसानों के लिए किए गए वादों को पूरा करने के लिए कहा. बैठक में किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन के लिए ऊंची आय का वादा किया था. किसानों ने कहा कि बीते 2 सालों से सूखे की वजह से काटन, चावल और कई दूसरी फसलों पर बुरा असर पड़ा है.
किसानों ने याद दिलाया कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने इस बात का वादा किया था कि किसानों को उत्पादन की लागत से कम से कम 50 फीसदी तक का मुनाफा हो. किसानों की मांगों को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने अगले 5 सालों में सिंचाई परियोजनाओं पर 5 सौ अरब रुपए खर्च करने का वादा किया.
किसान नेता और कृषि विशेषज्ञों ने वित्त मंत्रालय से 4 फीसदी ब्याज दर पर 5 लाख रुपए तक का कृषि ऋण देने की भी मांग जोरशोर से की.
किसानों ने यूरिया की सब्सिडी को सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजने और पिछले 3 सालों की बकाया सब्सिडी के भुगतान के लिए बजट में 50 हजार करोड़ रुपए आवंटित करने की मांग की.
कृषि विशेषज्ञों ने कृषि उत्पादक संगठनों और कृषि सहकारी संगठनों की आय को आयकर के दायरे से बाहर रखने, मिल्क पाउडर के लिए बफर स्टाक बनाने और रबर आयात पर सुरक्षात्मक शुल्क लगाने की सिफारिश की. इस मौके पर अरुण जेटली ने कहा कि भारतीय कृषि के सामने मौजूद चुनौतियों में ज्यादा उपज देने वाली व प्रतिरोधी किस्म के बीजों से जुड़ी तकनीक से फायदा उठाते हुए उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत भी शामिल है.
जेटली ने आगे कहा कि इसी तरह पानी के सही इस्तेमाल की जरूरत पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है. बोआई और कटाई जैसे कामों को भी नई तकनीकों के मुताबिक ही करना मुनासिब होगा. जेटली ने कहा कि समय पर बाजार संबंधी सूचनाएं मुहैया करा कर किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ कराना भी कृषि की मौजूदा चुनौतियों में शामिल है.
वित्त मंत्री ने चर्चा आगे बढ़ाते हुए कहा कि खेती से जुड़े प्रोत्साहन ढांचे में तब्दीली कर के उत्पादकता बढ़ाने, बरबादी घटाने और आमदनी बढ़ाने पर जोर देना होगा. इस के साथ ही कृषि उत्पादों के व्यापार में बेहतरी के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करना जरूरी है. जेटली ने कृषि के क्षेत्र में और ज्यादा पैसा लगाने की जरूरत पर जोर दिया. बहरहाल, बजट से पहले की बैठक में मोदी के वादे को याद दिला कर किसानों ने सही काम किया है. लगातार 2 सालों से सूखे व अन्य कुदरती आपदाओं से तबाह किसानों ने सरकार से आगामी बजट में सिंचाई सुविधा से जुड़ी आवंटन राशि बढ़ाने की गुजारिश की है. इस के अलावा किसानों ने अपनी फसलों के खरीद मूल्यों में भी इजाफा करने की मांग की है.
अब गेंद मोदी के पाले में है. अपनी कुरसी मजबूत करने के लिए उन्हें किसानों का भला तो करना ही होगा. आने वाले चुनावों में अपना सिक्का कायम रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों का खयाल रखना ही होगा.