सवाल
मैं 32 साल की स्त्री हूं. पिछले 2-3 साल से जब भी खाना खाती हूं कुछ मिनट बाद खाना मुंह में आ जाता है और मुंह जहर की तरह कड़वा हो जाता है. मुंह और खाने की नली में खट्टास भर जाती है.  बताएं क्या करूं?     

जवाब
आप की समस्या गैस्ट्रोइसोफेजिअल रिफ्लक्स की है. यह विकार हार्टबर्न के नाम से भी जाना जाता है. हमारी खाने की नली और आमाशय के बीच 1 एकतरफा खुलने वाला कुदरती वाल्व लगा होता है. यह वाल्व खाने को आगे आमाशय की ओर तो जाने देता है, लेकिन आमाशय में आ चुके भोजन को खाने की नली में नहीं लौटने देता. कुछ लोगों में यह वाल्व कमजोर पड़ जाता है और ठीक से काम नहीं करता. ऐसे में आमाशय में आया भोजन और आमाशय में पाचन के लिए बिना हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड पलट कर खाने की नली में जाने लगता है. खाने की नली की अंदरूनी सतह हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड के तीव्र ऐसिडिक गुण को सह नहीं पाती. नतीजतन कलेजे में अगन लगने लगती है, मुंह में खट्टा खारा पानी भर आता है.

भोजन में जरूरत से ज्यादा मिर्चमसाले, बदपरहेजी, 5-6 प्याले चायकौफी किसी स्वस्थ व्यक्ति के कलेजे में भी गैस्ट्रोइसोफेजिअल रिफ्लक्स उपजा कर जलन उत्पन्न कर सकती है.

हार्टबर्न का खानपान से गहरा संबंध है. तली चीजें, अधिक घी, चरबी वाले व्यंजन, टमाटर, प्याज, लालमिर्च, कालीमिर्च, संतरा, मौसमी, चौकलेट आदि खाने की नली पर लगे वाल्व की ताकत घटाते हैं, इसलिए इन से परहेज अच्छा है. इसी प्रकार चायकौफी और कोल्ड ड्रिंक्स भी कम से कम लेने में भलाई है. सिगरेटबीड़ी, खैनी, तंबाकू, पानमसाले से जितना दूर रहें उतना ही अच्छा है.

भोजन करने के बाद अगले 2-3 घंटों तक न तो लेटें और न ही झुकें. या तो सीधे बैठें या टहल सकें तो टहल लें. लेटने और झुकने से गुरुत्वीय प्रभाव के कारण भोजन आमाशय से खाने की नली में लौटने की प्रवृत्ति रखता है. देर रात में भोजन करने और भोजन करते ही सो जाने से रात भर परेशानी हो सकती है. इस के अलावा भरपेट भोजन करने के बजाय एक समय पर थोड़ाथोड़ा खाने की आदत बनाएं. पेटू होने से वजन तो बढ़ता ही है, चाह कर भी आमाशय अपने भीतर भोजन नहीं संभाल पाता.

सदा ढीले व आरामदेह वस्त्र पहनें. तंग कसी हुई पैंट या जींस फैशनेबल दिख सकती है, पर पेट की सेहत के लिए ठीक नहीं. पेट के अधिक कसने पर खाने की नली का वाल्व ठीक से काम नहीं कर पाता.

हर आधेआधे घंटे पर पानी पीते रहें. पानी पीने से खाने की नली धुलती रहेगी और हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड उस पर बुरा असर नहीं डाल सकेगा.

सोते समय पलंग का सिरहाना 6 इंच ऊपर उठा कर रखें. इस के लिए सिरहाने पर ईंट लगा लें. अपने वजन पर अंकुश रखें. पेट पर चरबी जमने से डायफ्राम पेशी छितरा जाती है और पेट उचक कर छाती में बैठ सकता है. ऐसे में भोजन के पलट कर खाने की नली में जाने पर पूरी रोकटोक ही हट जाती है.

पेंटाप्राजोल, लैंसोप्राजोल या ओमेप्राजोल जैसी अम्लरोधी दवाएं लेने से लाभ पहुंचता है. इन में से कोई भी एक दवा सुबह उठते ही खाली पेट लेना अच्छा है. जरूरत पड़ने पर डाइजीन, म्यूकेन, जेल्यूसिल सरीखी ऐंटासिड भी लाभ दे सकती हैं.

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