एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, टेनिस में पिछले 10 साल में फिक्सिंग के कई मामले सामने आए, लेकिन किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. अब वर्ल्ड नंबर वन नोवाक जोकोविक ने फिक्सिंग पर एक तरह से मुहर लगाते हुए कहा है कि उन्हें भी फिक्सिंग के लिए अप्रोच किया गया था.
जोकोविक के मुताबिक, कॅरियर की शुरुआत में उन्हें भी मैच फिक्सिंग का ऑफर मिला था. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जोकोविक को मैच फिक्सिंग के लिए 2 लाख डॉलर (करीब 1 करोड़ 35 लाख रुपए) ऑफर किए गए थे. उन्होंने कहा कि “मुझे डायरेक्ट अप्रोच नहीं किया गया. 2007 में मेरे साथ जो लोग काम करते थे उनके जरिए अप्रोच किया गया. मैंने फौरन इनकार कर दिया. वो लोग मेरे पास आना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका.”
“पिछले छह या सात साल में मैंने फिर कभी फिक्सिंग के बारे में नहीं सुना. कुछ लोगों के बारे में बातें होती रही हैं लेकिन इनसे उन्हीं लोगों को निपटना है. इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता.” “इस अप्रोच से मैं कुछ डर गया था. क्योंकि मैं इसे किसी गलत काम में शामिल नहीं होना चाहता था.”
किसने किया मैच फिक्सिंग का दावा
बीबीसी और बजफीड ने रविवार शाम को मैच फिक्सिंग से जुड़ी सीक्रेट फाइलें देखने का दावा किया. दावे के मुताबिक, बीते 10 साल में 50 टॉप रैंकिंग प्लेयर्स में 16 ऐसे हैं, जो कथित तौर पर मैच फिक्सिंग में शामिल रहे हैं. बीबीसी के मुताबिक, इन 16 प्लेयर्स ने कई मैच पैसे लेकर हारे. इसकी जानकारी टेनिस इंटेग्रिटी यूनिट (टीआईयू) को भी है.
रिपोर्ट में कहा गया है, जिन प्लेयर्स पर आरोप लगे, उनमें ग्रैंड स्लैम जीतने वाले भी शामिल हैं. लेकिन इनमें से किसी को भी खेलने से रोका नहीं गया. यह रिपोर्ट इसलिए और अहम हो जाती है, क्योंकि सोमवार से ही ग्रैंड स्लैम सीजन का पहला टूर्नामेंट ऑस्ट्रेलियन ओपन शुरू हो रहा है.
और क्या है दावा?
रिपोर्ट के मुताबिक, टेनिस की गवर्निंग बॉडी एटीपी ने 2007 में इस मामले की जांच भी की थी. एटीपी की जांच में पता लगा कि मैच फिक्सिंग सिंडिकेट रूस, इटली और सिसली से ऑपरेट होता है. इसमें हजारों लाखों डॉलर का हेर-फेर होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, विम्बलडन के भी तीन मैच फिक्स किए जा चुके हैं. हालांकि, इनकी डिटेल नहीं दी गई है. 2008 में एटीपी ने 28 प्लेयर्स की जांच के ऑर्डर दिए थे, लेकिन इसके बाद कोई एक्शन नहीं लिया गया. 2009 में एटीपी ने एंटी-करप्शन कोड बनाया, लेकिन लीगल एडवाइस लेने के बाद पुराने मामलों को दबा दिया गया.
कैसे होती थी मैच फिक्सिंग?
रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े टूर्नामेंट्स के दौरान मैच फिक्सिंग होटल रूम में होती थी. प्लेयर्स को 50 हजार डॉलर तक दिए गए. एटीपी चीफ क्रिस करमोड आरोपों को गलत बताते हुए कहते हैं, "मैं भरोसा दिला सकता हूं कि टेनिस को हल्के में नहीं लिया जाएगा."