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किस तरह आनंद लोन के लिए उस से मिली नीली आंखों वाली लड़की के लिए सबकुछ करने को तैयार है. एक आकर्षण से बंधे आनंद अपने परिवार से भी झूठ बोल कर एक अलग व रहस्यमयी लड़की की दुनिया में खोया है. यह असल में कोई प्यार है या धोखे की बिसात,
जानने के लिए पढ़ें आगे…
मीठी मेरी बांहों में थी. उस ने कोई विरोध नहीं किया. मैं जैसे ही और आगे बढ़ने लगा तो उस ने रोक दिया, ‘‘प्लीज सर, आज नहीं, फिर कभी जब आप चाहें,’’ कहती हुई उस ने खुद को अलग कर लिया और मैं हड़बड़ा कर संभल गया.
‘‘अच्छा, अब मैं चलता हूं, दिल्ली पहुंचते ही अपनी मां की तबीयत के बारे में फोन पर जरूर बताती रहना. अगर तुम कहो तो मैं सुबह तुम्हारे साथ दिल्ली चलूं,’’ अपनापन और आत्मीयता दर्शाते हुए मैं ने कहा.
‘‘नहीं सर, मैं सबकुछ मैनेज कर लूंगी. एंजियोप्लास्टी के बाद मैं किसी तरह पैसों का जुगाड़ कर के गहने छुड़ा लूंगी. मैं नहीं चाहती कि मम्मी को गहनों के बारे में कुछ पता चले.’’
मैं उस के घर से निकला तो घर पहुंचतेपहुंचते 11 बज चुके थे. साधना हैरानपरेशान थी. मुझे देखते ही उस की सांस में सांस आई, ‘‘मेरी तो जान ही निकल गई थी और ऊपर से आप का मोबाइल स्विच औफ…’’
‘‘और फिर जमाना भी ठीक नहीं है,’’ उस के आगे कुछ और बोलने से पहले मैं ने कहा तो वह मुसकरा पड़ी.
‘‘हां, सच ही तो कहती हूं कि जमाना ठीक नहीं है. चलो, अब जल्दी से चेंज करो, मैं खाना गरम करती हूं,’’ कहती हुई वह रसोई में चली गई.
उस ने खाना लगा दिया. लेकिन मेरा मन खाने में नहीं, बल्कि उस नीली आंखों वाली में लगा था. आज कितना अच्छा मौका हाथ से फिसल गया. मुझे कोफ्त हुई. चलो, फिर कभी सही. उस ने औफर तो कर ही दिया है, सोच कर मन में गुदगुदी सी हो गई.
दूसरे दिन बैंक गया. मन खुशगवार था. शाम को ही उस का फोन आ गया, ‘‘सर, मम्मी की एंजियोप्लास्टी हो गई है. वे अब ठीक हैं. 2 दिन यहीं रहना पड़ेगा, तीसरे दिन आ जाएंगे.’’
इन 2 दिनों फोन पर हमारी नियमित बातें होती रहीं. ऐसा लगा जैसे हमारा परिचय पुराना है.
जब वे लोग अलीगढ़ वापस आए तो मैं उस की मां को देखने उस के घर गया. मां को देखने का तो मात्र बहाना था.
उस की मां ने मेरा आभार प्रकट किया, ‘‘आनंदजी, आप ने 3 लाख रुपए हमें वक्तजरूरत पर उधार दे कर बहुत बड़ा उपकार किया है. हम जल्दी से जल्दी आप के रुपए लौटा देंगे.’’
‘‘अरे नहींनहीं, इतनी भी को जल्दी नहीं है. जब व्यवस्था बन जाए तब दे देना,’’ मैं ने सांत्वना दी.
उस रोज पहली बार मैं ने उस के घर में चाय पी. दूसरे दिन भी उस से फोन पर हलकीफुलकी औपचारिक बातें हुईं. तीसरे दिन सुबह ही उस का फोन आया, ‘‘सर, आज मैं बहुत खुश हूं.’’
‘‘क्या कोई लौटरी खुल गई है?’’ मैं ने चुटकी ली.
‘‘हां सर, हमारे समय की लौटरी खुल गई है.’’
‘‘साफसाफ बताओ, आखिर माजरा क्या है?’’
‘‘सर, फोन पर नहीं बता सकती. आज शाम 6 बजे आप मुझ से सैंटर पौइंट के कौफीहाउस में मिलो.’’
मुझे दाल में कुछ काला नजर आया, ‘‘घर पर क्यों नहीं?’’
‘‘सर, खबर ही कुछ ऐसी है. मम्मी की अभी एंजियोप्लास्टी हुई है. सुन कर वे खुशी बरदाश्त नहीं कर सकेंगी. मैं नहीं चाहती कि उन्हें कुछ भी तकलीफ हो.’’
उस का जवाब सुन कर मैं संतुष्ट हो गया. बैंक की ड्यूटी करने के बाद मैं सीधे सैंटर पौइंट के कौफीहाउस पहुंच गया. वह मेरा इंतजार कर रही थी. खुशी उस के चेहरे से साफ झलक रही थी. सच में, जब इंसान अंदर से खुश होता है तो उस के चेहरे का नूर बढ़ जाता है. वह पहले से अधिक हसीन और जवान नजर आ रही थी. उसे देख कर लगा, शायद आज मेरी हसरत पूरी हो जाएगी.
‘‘सर, प्लीज बैठिए,’’ कहती हुई उस ने 2 कप कौफी का और्डर कर दिया.
‘‘क्या बात है मीठी, आज तो तुम कोयल की तरह चहक रही हो?’’ मैं ने शरारती लहजे में कहा.
‘‘आज खुशी ही ऐसी मिली है कि मैं कोयल की तरह चहक रही हूं और मोरनी की तरह नाच रही हूं.’’
‘‘बताओ तो सही. या यों ही चहकती रहोगी?’’
‘‘सर, कल पापा का फोन आया था.’’
‘‘क्या?’’ मैं अचानक चौंक पड़ा, ‘‘लेकिन उन्होंने तो तुम दोनों से रिश्ता ही खत्म कर लिया था.’’
‘‘हां, यह सच है लेकिन पापा मुझ से बहुत प्यार करते हैं. जब मैं पैदा हुई थी, उन की तरह मेरी भी नीली आंखें थीं. मम्मी को बताए बगैर हम बापबेटी फोन पर बात करते रहते थे. मैं ने उन्हें मम्मी की तबीयत के विषय में नहीं बताया था लेकिन कल उन्होंने बेचैनीभरे स्वर में पूछा, ‘मीठी, ममता कैसी है? सपने में मैं ने उसे बहुत तकलीफ में देखा है’.
‘‘मैं कुछ छिपा न सकी और उन्हें सबकुछ सचसच बता दिया. उन्होंने तुरंत अपने किसी भारतीय मित्र से कह कर मेरे अकाउंट में 3 लाख रुपए डलवा दिए और बोले, ‘मीठी, मैं तुम दोनों का गुनाहगार हूं, तुम से माफी मांगता हूं. मेरे और सेरेना के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा. मुझे तुम दोनों की बहुत याद आती है. सेरेना से तलाक ले कर मैं तुरंत भारत आ जाऊंगा. फिर हम सब साथ रहेंगे पहले की तरह. मैं ने पैसा भी खूब कमा लिया है.’’
वह अपने पर्स में से नोटों की गड्डियां निकाल कर मुझे देती हुई बोली, ‘‘ये पूरे 3 लाख रुपए हैं. आप मेरे गहने ले आइए.’’
नोटों की गड्डियां मेरे हाथों में थीं. समस्या यह थी कि मैं इन्हें रखूं कहां? मुझे उलझन में देख कर वह बोली, ‘‘मैं काउंटर से एक कैरी बैग ले कर आती हूं.’’
उस के जाते ही मैं ने तुरंत नोटों की गड्डियों को अच्छी तरह उलटपलट कर देखा और खुद को आश्वस्त कर लिया कि वे असली ही हैं और पूरे 3 लाख हैं.
रुपए ले कर ज्वैलर के यहां जाने लगा तो सोचा, यहां से उस की दुकान दूर है, रात का समय है, कल लंचटाइम में उस को पैसा दे आऊंगा और गहने ले कर, बैंक के बाद शाम को मीठी के घर दे आऊंगा. पैसों के विषय में साधना से कह दूंगा कि एक परिचित के हैं. बैंक में जमा कराने आए थे लेकिन देरी की वजह से जमा न हो सके. कल जमा कर दूंगा.
घर पहुंचतेपहुंचते रात हो गई थी. साधना गुस्से में बैठी थी. मैं जानता था कि देर से आने की वजह से यह गुस्सा है. मैं ने उसे मनाने के उद्देश्य से कहा, ‘‘मानता हूं जमाना ठीक नहीं है लेकिन एक पार्टी के साथ मीटिंग में इतना व्यस्त हो गया कि तुम्हें फोन भी न कर सका.’’
‘‘आप की पार्टी तो बहुत खूबसूरत होती हैं.’’
‘‘तुम्हारे कहने का मतलब क्या है?’’ मैं थोड़ा सकपका गया.
‘‘ईमानदार बैंक मैनेजर साहब, मेरे कहने का मतलब यह है कि आप ने एक लड़की को लोन दिलाने के एवज में रिश्वत ली है.’’
‘‘तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है. मैं ने कोई रिश्वतविश्वत नहीं ली है.’’
‘‘तो फिर इस कैरीबैग में क्या है?’’
‘‘इस में तो एक परिचित के पैसे हैं. कल बैंक में जमा करने हैं. आज वे देर से आए थे.’’
‘‘अब आप एक झूठ छिपाने के लिए और झूठ मत बोलो. वह बेचारी तो आत्मनिर्भर बनने के लिए अपना ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती थी, इसलिए आप के बैंक से लोन लेना चाहती थी. और आप ने उस का लोन पास करवाने के लिए रिश्वत ली. उस वक्त कहां सैर करने चले गए थे आप के गांधीवादी विचार?’’
‘‘तुम से किस ने कहा?’’
‘‘मैं ने खुद अपनी आंखों से देखा सैंटर पौइंट के कौफीहाउस में.’’
यह सुन कर मेरे होश उड़ गए. साधना गुस्से की वजह से सोफे पर लेट गई. उस ने खाना तो दूर, चायपानी तक को न पूछा. मैं सिर पकड़ कर बैठा था, आखिर साधना को खबर किस ने की? तभी व्हाट्सऐप पर एक वीडियो आया जिस में मेरी और मीठी की वही प्रणयदृश्य वाली क्लिपिंग थी जो उस के घर पर क्षणिक आवेश में हुआ था. अभी मैं यह देख ही रहा था कि व्हाट्सऐप पर वे फोटो भी आ गए जिन में मीठी मुझे नोटों की गड्डियां दे रही है.
मैं सन्न रह गया. तो यह सब करतूत मीठी की है. गुस्से में उसे फोन लगाने लगा लेकिन उस से पहले ही एक अंजान नंबर से फोन आया, ‘‘सर, आप ने व्हाट्सऐप पर वीडियो और फोटो तो देख लिए हैं. इन्हें डिलीट करने के लिए सिर्फ 25 लाख रुपए आप मेरे अकाउंट में डाल दीजिए. अपना अकाउंट नंबर आप को मैसेज कर दूंगी,’’ कह कर फोन काट दिया.
यह आवाज तो मीठी की नहीं थी लेकिन मुझे विश्वास था कि यह करतूत उसी की है. मुझे खुद पर गुस्सा आया. इतनी सावधानी, सतर्कता और चतुराई बरतने के बावजूद मैं उस फ्रौड लड़की के जाल में फंस गया. इधर, साधना की नजरों में भी गिर गया. ‘न घर का न घाट का’ जैसी स्थिति हो गई मेरी. मैं फूटफूट कर रो पड़ा.
रोता देख कर शायद साधना को मुझ पर तरस आ गया, आ कर बोली, ‘‘मैं कहती थी न, जमाना ठीक नहीं है. यह सुन कर आप हंसते थे लेकिन पता नहीं क्यों आप को इस तरह रोता देख कर मुझे ऐसा लग रहा है कि आप बेकुसूर हो, आप को फंसाया गया है. प्लीज, मुझे सबकुछ साफसाफ बताओ.’’
‘‘साधना, तुम्हें कैसे पता चला कि मैं सैंटर पौइंट के कौफीहाउस में हूं.’’
‘‘शाम को 4 बजे के लगभग एक लड़की का फोन आया था. उसी ने बताया और मुझे कौफीहाउस पहुंचने को कहा था. लेकिन मुझे आप पर पूरा भरोसा था कि आप ऐसा कर ही नहीं सकते, जरूर वह लड़की झूठ बोल रही है. फिर मन में लगा, कभीकभी जब हम किसी पर अपने से ज्यादा भरोसा करते हैं तो वही उस के भरोसे को तोड़ भी देता है. इसलिए सोचा, जाने में क्या हर्ज है?’’
‘‘साधना, मैं अपनी एक क्षणिक कमजोरी की वजह से बुरी तरह फंस गया हूं,’’ कहता हुआ उस से लिपट कर फफकफफक कर रो पड़ा. पहली बार बैंक में मीठी से मिलने से ले कर कौफीहाऊस तक के पूरे घटनाक्रम को मैं ने साफसाफ बता दिया.
‘‘अब वह चालाक लड़की मुझे ब्लैकमेल कर के 25 लाख रुपए अपने अकाउंट में डालने को कह रही है. उस के खिलाफ पुलिस में भी रिपोर्ट नहीं कर सकता क्योंकि उस के पास अंतरंग क्षणों का वीडियो और उस से नोटों की गड्डियां लेते हुए फोटो हैं. मैं क्या करूं, मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा.’’
‘‘लगता है यह सब पूर्व नियोजित ढंग से रची हुई साजिश है जिस में वह लड़की अकेली नहीं, कोई और भी शामिल है,’’ पूरी कहानी सुनने के बाद साधना बोली.
‘‘हां, लग तो ऐसा ही रहा है लेकिन अब मैं क्या करूं? उसे फोन लगाता हूं तो स्विचऔफ जाता है.’’
‘‘आप कुछ मत करो, शांत बैठो.’’
‘‘तुम पागल हो गई हो? अगर उस के अकाउंट में पैसा न डाला तो वह वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएंगे. वह सिरफिरी लड़की जोनल औफिस में मेरे खिलाफ शिकायत भी कर देगी क्योंकि उस के पास सुबूत हैं. नौकरी से तो हाथ धोना ही पड़ेगा, साथ ही जेल की हवा और बदनामी अलग. हमारी बेटी से शादी कौन करेगा? जब वह वीडियो मेरी बेटी देखेगी तो मैं कहां मुंह छिपाऊंगा?’’ मैं रोंआसा हो उठा.
‘‘वह ऐसा कुछ नहीं करेगी. 25 लाख रुपए की रकम कोई मामूली नहीं होती. उस को आप की बदनामी से ज्यादा रकम प्यारी है. अकाउंट में पैसा न आने पर वह आप से संपर्क जरूर करेगी.’’
‘‘साधना, यह बहुत बड़ा रिस्क है.’’
‘‘रिस्क तो लेना ही पड़ेगा. मान लो उस के अकाउंट में पैसा डाल दिया और उस ने वह सबकुछ डिलीट न किया तो? और आगे भी ब्लैकमेल करती रही तब?’’
साधना बात तो ठीक कह रही थी. मैं ने बैंक से 2 दिनों की छुट्टी ले ली और सांस थामे मीठी के फोन का इंतजार करने लगा.
साधना की भविष्यवाणी सच साबित हुई. दूसरे दिन रात को उस का फोन आ गया, ‘‘सर, आप ने मेरा काम नहीं किया?’’
स्पीकर औन था. ‘‘मीठी, तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया?’’
‘‘सर, क्या कह रहे हैं आप? मैं ने धोखा किया है आप के साथ? यह तो आप सरासर झूठ बोल रहे हैं. आप ने ही तो मेरा लोन पास करवाने के लिए पैसे की मांग की थी और इस के लिए आप ने मुझे सैंटर पौइंट के कौफीहाऊस में बुलाया था और मैं ने आप को पैसा भी दे दिया लेकिन आप ने मेरा काम नहीं किया.’’
‘‘प्लीज मुझे 2 दिनों का समय दो,’’ कह कर मैं ने फोन काट दिया.
बहुत शातिर दिमाग लड़की है, फोन पर कोई ऐसी बात नहीं की जिस से उस का कोई क्लू पकड़ा जाए. जानती है आजकल फोन पर कुछ ऐसावैसा बोल दिया तो रिकौर्डिंग के जरिए खेल खत्म हो सकता है. यह बात साधना सच कह रही थी.
‘‘तीसरे दिन सुबह ही उस का फोन आ गया,’’ सर, 2 दिन हो गए लेकिन आप ने मेरा काम नहीं किया.
‘‘मैं तुम से मिलना चाहता हूं.’’
‘‘किसलिए?’’
‘‘वह तो मैं तुम्हें मिलने पर ही बताऊंगा.’’
‘‘ठीक है. लेकिन मिलने की जगह मैं बताऊंगी. बस, एक गुजारिश है कि आप कुछ ऐसावैसा मत करना. नुकसान आप का ही होगा क्योंकि आप की अमानत…’’
‘‘नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगा. और अकेला ही आऊंगा.’’
‘‘तो ठीक है, आज शाम 8 बजे रेलवेस्टेशन के पूछताछ काउंटर के पास हमारी मुलाकात होगी.’’
यह सुन कर मुझे और साधना को आश्चर्य हुआ कि भीड़भाड़ वाले रेलवेस्टेशन पर बुला रही है. हम तो सोच रहे थे फिल्मों की तरह किसी सुनसान जगह पर बुलाएगी. इतने चिंतित महौल में भी हम पतिपत्नी मुसकरा पड़े.
‘‘साधना, हम ने उसे बोल तो दिया है लेकिन उस से बात क्या करनी है?’’
‘‘कुछ नहीं, बिलकुल चुप रहना. सिर्फ उस की नीली आंखों को ताकना.’’
‘‘यहां जान पर बनी है और तुम्हें मजाक सूझ रहा है.’’
‘‘जैसा मैं कह रही हूं वैसा ही करना. वह बोले तो कहना, मीठी, मैं आखिरी बार तुम से आलिंगन करना चाहता हूं और उस वक्त धीरे से कहना, तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो. मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.’’
‘‘अगर वह आलिंगन के लिए राजी न हुई तो?’’
‘‘मैनेजर साहब, यह सब वह पैसे के लिए कर रही है तो उसे आलिंगन से परहेज क्यों होगा? और वैसे भी, वह आप के साथ…’’
‘‘प्लीज साधना, वह भयानक हादसा मुझे याद मत दिलाओ. मैं कांप जाता हूं.’’
‘‘आप अपनेआप को दोषी महसूस मत करो. वह सब क्षणिक आवेश में हुआ था,’’ उस ने मुझे सांत्वना दी.
‘‘सच साधना, तुम बहुत अच्छी हो तुम्हारी जगह कोई और होती तो शायद मुझे कभी माफ नहीं करती,’’ उसे बांहों में भर कर मैं ने भीगे स्वर में कहा.
‘‘पतिपत्नी का रिश्ता इतना कमजोर नहीं होता कि एक झटके में टूट जाए. पूरे 28 साल गुजारे हैं आप के साथ. कौफीहाउस वाली घटना को देख कर लगा कि शायद आप भटक गए हो लेकिन जब आप की आंखों में देखा तो उस में सचाई नजर आई.’’
शाम के 6 बजे से ही घबराहट शुरू हो गई. रेलवेस्टेशन घर से आधे घंटे की दूरी पर था. ठीक 7 बजे मैं घर से रेलवेस्टेशन के लिए रवाना हो गया. स्कूटी पार्क कर के प्लेटफौर्म का टिकट ले कर यों ही स्टेशन पर टहलने लगा. चाय की स्टौल और बुक स्टौल दोनों ही मेरी पसंदीदा जगहें थीं. इंतजार के क्षणों में चाय के साथ पत्रिका पढ़ने का आनंद लेता था. लेकिन आज चाय और पत्रिका में भी मन नहीं लगा.
8 बजने में जैसे ही 10 मिनट शेष रह गए, मैं पूछताछ खिड़की के पास आ गया. वह ठीक 8 बजे पूछताछ खिड़की पर कुछ पूछताछ करती नजर आ गई. मेरी धड़कनें तेज हो गईं. माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगीं.
जैसे ही उस ने अपनी नीली आंखों के इशारे से मुझे अपने पास आने को कहा तो मैं चाबी जैसे खिलौने की तरह उस की तरफ चल पड़ा और एकटक उस की नीली आंखों को ताकने लगा.
‘‘कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो? जो कहना है जल्दी कहो,’’ यह बात वह मोबाइल पर बोल रही थी लेकिन मुझे पता था मुझ से कह रही है.
उस की तरह मैं ने भी मोबाइल पर कहा, ‘‘मैं तुम से आलिंगन करना चाहता हूं.’’
‘‘ठीक है, ठीक है, जल्दी करो,’’ कहती हुई वह एक कोने में आ गई.
‘‘तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो? मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?’’
‘‘मैं ने कुछ नहीं किया है. मैं बेकुसूर हूं,’’ कहते हुए सैकंड्स में अलग हो गई और तुरंत वहां से चली गई.
हम पतिपत्नी की नींद और भूख दोनों ही उड़ चुकी थी. मामला और पेचीदा होता जा रहा था.
‘‘साधना, अब क्या करें?’’ मैं ने बेचैन स्वर में पूछा.
‘‘आप कुछ मत करो. वह ही संपर्क करेगी क्योंकि जरूरत उस की है. रकम उसे चाहिए.’’
‘‘कहीं ऐसा न हो वह चिढ़ जाए और वीडियो व फोटो जोनल औफिस ले जाए.’’
‘‘वह ऐसा भूल कर भी नहीं करेगी. वह शतरंज की माहिर खिलाड़ी है और जानती है अगली चाल कब और कैसे चलनी है,’’ साधना ने यह कहा तो इतने तनाव में होने के बावजूद मैं हंस पड़ा और बोला, ‘‘लगता है अब तुम ने भी अपनी कमर कस ली है उस से पंगा लेने के लिए.’’
‘‘आप निर्दोष हो. वह जरूर पकड़ी जाएगी और उस का खेल खत्म हो जाएगा. चलो, अब चैन की नींद सोते हैं. 4-5 दिनों से तो ढंग से सो भी नहीं पाए हैं. घर भी अस्तव्यस्त पड़ा है. गंदे कपड़े का ढेर हो गया है.’’
सुबह साधना ने चाय का कप पकड़ाते हुए कहा, ‘‘आप चिंतामुक्त हो कर बैंक जाओ. मैं बाई के साथ मिल कर पूरा घर व्यवस्थित कर लूंगी क्योंकि इन दिनों मौके का फायदा उठा कर उस ने भी खूब लापरवाही बरती थी.’’ यह कह कर उस ने वाश्ंिग मशीन में पानी का पाइप लगा दिया और कपड़े इकट्ठा करने लगी.
मेरी पैंट और शर्ट धोने से पहले उन की जेबें वह जरूर चैक करती थी. जैसे ही उस ने पैंट की जेब टटोली तो उस में एक मुड़ातुड़ा विजिटिंग कार्ड निकला जिस पर लिखा था- नैना ब्यूटीपार्लर. साथ ही पता और मोबाइल नंबर भी था. दूसरी तरफ जल्दबाजी में पैंसिल से लिखा था- ‘सर, मैं बेकुसूर हूं. भरोसा कीजिए मुझ पर.’
यह विजिटिंग कार्ड मेरी जेब में कैसे आया? तभी ध्यान आया कल शाम को रेलवेस्टेशन पर आलिंगन करते वक्त मीठी ने रख दिया होगा यानी मीठी निर्दोष है. उस से यह सब कोई करा रहा है. विजिटिंग कार्ड पर लिखा मोबाइल नंबर मिलाया तो वह स्विचऔफ था.
‘‘साधना, हमें तुरंत ब्यूटीपार्लर चलना चाहिए. शायद, वहां कुछ पता चले.’’
‘‘ठीक है, मैं अभी तैयार होती हूं.’’
लेकिन तभी मेरा मोबाइल नंबर बज उठा, ‘‘सर, क्यों लेट कर रहे हैं आप? नुकसान आप का ही होगा. प्लीज, आप हमारा काम कर दीजिए. हम सबकुछ मिटा देंगे. आप भरोसा करें मुझ पर.’’
‘‘मीठी, मैं कैसे यकीन करूं कि तुम सबकुछ डिलीट कर दोगी. हो सकता है रकम मिलने के बाद भी भविष्य में तुम मुझे ब्लैकमेल कर के पैसे ऐंठती रहो?’’
‘‘मैं अपनी मां की कसम खा कर कहती हूं, काम हो जाने के बाद सबकुछ खत्म कर दूंगी.’’
‘‘मुझे तुम्हारी झूठी कसम पर भरोसा नहीं है. अगर तुम इतनी बड़ी रकम मांग रही हो तो मेरी भी एक शर्त है. अगर तुम उसे मानोगी, तब ही मैं तुम्हारे अकाउंट में पैसा डालूंगा.’’
‘‘क्या शर्त है?’’
‘‘फोन पर नहीं बता सकता, इसलिए तुम्हें मुझ से मिलना होगा.’’
‘‘लेकिन आप मेरी बताई हुई जगह पर ही मुझ से मिलने आएंगे. कब, कहां और कितने बजे आना है, यह मैं आप को मैसेज कर दूंगी. लेकिन अकेले आना और मोबाइल मत लाना और न ही कोई होशियारी दिखाना. अगर आप ने जरा भी स्मार्टगीरी दिखाई तो…आगे आप खुद ही समझदार हैं,’’ इस बार उस का स्वर चेतावनी से भरा था.
‘‘मीठी, जैसा तुम कहती हो वैसा ही होगा. मैं 2 लाख रुपए कैश ले कर भी आऊंगा. अगर तुम्हें मेरी शर्त मंजूर होगी तो वह 2 लाख रुपए तुम्हें एडवांस दे दूंगा और बाकी दूसरे दिन बैंक खुलते ही…’’
2 लाख रुपए का दाना उस के सामने डालने का आइडिया साधना ने इसलिए दिया था जिस से वह लालच के जाल में फंस जाए.
‘‘कहीं वह नकली हुए तो?’’
‘‘इस की जांच के लिए तुम अपने किसी भरोसेमंद इंसान को ला सकती हो लेकिन मैं अकेला ही आऊंगा. और हां, बैंक के समय पर नहीं आ सकता क्योंकि क्लोजिंग का महीना है, काम ज्यादा है. इसलिए सुबह 9 बजे के पहले या शाम 5 बजे के बाद.’’
‘‘ठीक है, मैं आप को बता दूंगी.’’
‘‘साधना, कहीं यह सीआईडीगीरी करतेकरते हम लोग ही न फंस जाएं?’’
‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा.’’
‘‘कहीं, वह 2 लाख रुपए ले कर ही रफूचक्कर हो गई तो?’’
‘‘इस समय उस के दिमाग में 2 लाख रुपए नहीं, 25 लाख रुपए फीड हैं, इसलिए वह कोई गलत कदम नहीं उठाएगी.’’
शाम को उस का मैसेज आ गया. इस बार उस ने एक मंदिर में रात 9 बजे बुलाया था.
उस का बुलाना, मेरा जाना यह सब चूहेबिल्ली का खेल सा लगने लगा था. मैं मानसिक रूप से परेशान हो उठा था लेकिन साधना ने मुझे हौसला देते हुए कहा, ‘‘उस के सामने शर्त रखते वक्त यह बिलकुल भी मत दर्शाना कि आप अपनी बदनामी से डर रहे हो.’’
एक छोटे से कैरीबैग में रुपए रख कर मैं मंदिर चला गया. मंदिर में भीड़ ठीकठाक थी. मंदिर के बाहर चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन वह कहीं नजर नहीं आई. मैं मंदिर के अंदर गया तो वहां एक कोने में आंखें मूंद कर प्रार्थना सी करती बैठी थी वह. वहां एक पुजारी भी बैठा था. इक्कादुक्का लोग वहां थे.
‘‘अकेले आए हो? आंखें बंद किए ही उस ने पूछा.’’
‘‘हां.’’
‘‘मोबाइल लाए हो?’’
‘‘नहीं.’’
‘‘सामान लाए हो?’’
‘‘हां.’’
‘‘तो फिर उस की झलक दिखाओ.’’
‘‘पहले मेरी शर्त सुनो, अगर मानोगी तभी सामान मिलेगा,’’ मैं ने साहसपूर्वक कहा.
‘‘क्या शर्त है?’’
‘‘तुम ने धोखे से मेरा वीडियो बनाया है, फोटो खींचे हैं. अब मैं एक छोटा सा वीडियो बनाना चाहता हूं, जिस में हम दोनों होंगे. उस में कुछ करना नहीं है, सिर्फ बोलना है.’’
‘‘यह कैसी बेहूदा शर्त है?’’ वह उत्तेजित स्वर में बोली.
‘‘अगर नहीं मंजूर है तो कोई बात नहीं, मैं अपना सामान वापस ले जाता हूं और तुम जो करना चाहो, करती रहना,’’ यह कहते वक्त मेरे पसीना आ गया.
तीर निशाने पर लगा. वह नरम हो गई, ‘‘क्या बोलना है?’’
उस में तुम मुझ से कहोगी, ‘‘सर, मेरे ब्यूटीपार्लर के लिए 5 लाख रुपए का लोन पास करा दीजिए. और मैं कहूंगा, आप का लोन पास नहीं हो सकता क्योंकि आप की कोई प्रौपर्टी नहीं है जिस के आधार पर हम आप को लोन दें.’’
‘‘लेकिन सर, मेरे पास आप को रिश्वत देते हुए फोटो हैं जो मैं ने धोखे से खिंचवाए. साथ ही, एक वीडियो भी है. इन्हें आप के जोनल औफिस में ले जा कर आप के खिलाफ शिकायत कर दूंगी कि आप ने मेरा लोन पास करवाने के एवज में मुझ से रिश्वत की मांग की थी. आप की नौकरी तो जाएगी ही, साथ ही, कहीं मुंह दिखाने के काबिल भी न रहेंगे.
‘‘बस मीठी, तुम्हें इतना ही बोलना है.’’
‘‘ऐसा करने के पीछे आप का मकसद क्या है?’’
‘‘अगर शर्त मानने के बाद भी मैं तुम्हारा सामान न दूं यानी तुम्हारे साथ धोखा करूं तो तुम तुरंत मेरी शिकायत कर देना और अगर तुम ने मेरे साथ धोखा किया यानी पूरा माल डकारने के बाद
भी मुझे ब्लैकमेल किया तो मैं उस वीडियो के सहारे कानून का दरवाजा खटखटाऊंगा. फंसोगी तुम भी.’’
‘‘मुझे अपनी नौकरी और बदनामी का डर है और तुम्हें पैसे प्यारे हैं, इसलिए अगर हम दोनों ही पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करें तो फायदा हम दोनों का ही है. काम हो जाने के बाद हम दोनों सबकुछ डिलीट कर देंगे और फिर से अजनबी हो जाएंगे.’’
‘‘मुझे सोचने का समय दो.’’
‘‘नहीं, अब समय नहीं है. जल्दी जवाब दो हां या न में. अगर हां है तो यह सामान रखो पेशगी के तौर पर.’’
‘‘यहीं बैठो, मैं अभी आती हूं,’’ कह कर वह बाहर चली गई और वहां बैठा पुजारी मुझे घूरने लगा.
‘‘क्या बात है पंडितजी?’’
‘‘कुछ नहीं बच्चा. देख रहा हूं तुम इतनी देर से मंदिर में कर क्या रहे हो? अगर पूजा हो गई हो तो घर जाओ.’’
‘‘जब मन करेगा तब चला जाऊंगा,’’ मैं ने रूखा सा जवाब दिया. मन में आया कह दूं तू क्यों यहां चढ़े हुए फल, मिठाई, मेवा और रुपए पर अपनी गिद्ध दृष्टि लगाए बैठा है.
10 मिनट बाद मीठी आ गई और उसी स्थान पर पूर्व की तरह ध्यानमग्न हो कर बैठ गई. ‘‘मुझे आप की शर्त मंजूर है.’’
‘‘तो फिर कल सुबह किसी जगह पर वीडियो बना लेते हैं और फिर बैंक जाते ही तुम्हारा सामान ठिकाने पर पहुंचा दूंगा.’’
‘‘काम की जगह मैं ही तय करूंगी और आप को मैसेज कर दूंगी जो अभी सामान लाए हो वह सामने बैठे पुजारीजी को बैग सहित सौंप दो.’’
मैं ने आश्चर्य से उस पुजारी को देखा तो वह कुटिलता से मुसकरा पड़ा. उसे बैग सौंप कर जैसे ही मुड़ा, वह बोला, ‘‘शुद्धता की जांच होने के बाद जाइए.’’ मैं ठिठक कर रुक गया.
कुछ मिनटों में ही पुजारी का स्वर गूंजा, ‘‘भक्तगणों, सब शुद्ध मन से प्रार्थना करो. सब शुद्ध है.’’
यह सुन कर मैं चल पड़ा. घर पहुंच कर साधना से बोला, ‘‘उस ने मेरी शर्त मान ली है लेकिन मुझे लगता है कहीं वह घर जा कर अपना इरादा न बदल दे और 2 लाख रुपए हड़प कर जाए.’’
‘‘आप निश्ंिचत रहो. वह शर्त जरूर पूरी करेगी क्योंकि उसे 2 लाख रुपए का दाना मिल चुका है और बाकी 23 लाख रुपए उस की आंखों के सामने नाच रहे हैं. बस, उस के एसएमएस का इंतजार करो.’’
उस का एसएमएस आ गया. सुबह उस की तय की गई जगह पर वीडियो बना ली और उस को बाकी 23 लाख रुपए की रकम बैंक पहुंचते ही उस के आकउंट में डालने को कह कर मैं तुरंत अपनी पूर्व योजनानुसार टैक्सी से अपने जोनल औफिस, दिल्ली के लिए निकल पड़ा और अपना मोबाइल स्विच औफ कर लिया. औफिस पहुंचते ही जेडएम साहब से मिलने की स्लिप लगा दी. शीघ्र ही उन से मुलाकात हो गई.
‘‘सर, एक लड़की मुझे ब्लैकमेल कर रही है क्योंकि मैं ने उस का अयोग्य लोन पास नहीं किया है,’’ कहते हुए मैं ने वह वीडियो और फोटो दिखा दीं.
‘‘इन फोटो में तो आप क्लीयर नोट लेते हुए दिख रहे हो.’’
‘‘सर, यह लड़की बेहद शातिर दिमाग है, यह नोटों की गड्डियां मुझे देती हुई बोली थी, आप चैक कर के बता दीजिए, ये असली हैं या नकली? क्योंकि आप बैंक में हैं.’’
वीडियो देखते ही जेडएम साहब भड़क गए, ‘‘मिस्टर आनंद, आप बैंक में गरिमामय पद पर आसीन हैं और ऐसी आशोभनीय हरकत करते हुए आप को शर्म नहीं आई?’’
‘‘सर, जब विजिट के लिए मैं उस के घर गया तब उस ने कोल्डड्रिंक में कुछ ऐसा नशीला पदार्थ मिला दिया कि मुझे खुद ही होश नहीं रहा,’’ मैं ने सफाई देते हुए कहा.
‘‘फिर भी गलती आप की है. आप विजिट करने गए थे या कोल्डडिं्रक पीने?’’
‘‘सर, मानता हूं गलती मेरी है लेकिन जब हम कहीं जाते हैं तो सामने वाला चायकौफी या कोल्डडिं्रक तो हमारे लाख मना करने के बावजूद पिलाता है.
‘‘सर, इस प्रकरण में अगर मैं दोषी पाया जाऊं तो मैं सजा और बदनामी के लिए तैयार हूं लेकिन एक जिम्मेदार बैंक मैनेजर होने के नाते मैं ने उस का काम नहीं किया जो हमारी बैंक नीति के खिलाफ था. मैं ने भी पूरी सतर्कता बरतते हुए एक ऐसा वीडियो बना लिया है जिस से शायद मैं बेगुनाह साबित हो जाऊं.’’
वीडियो देख कर वे बोले, ‘‘अगर वह लड़की आप के खिलाफ शिकायत करती है तो शायद यह वीडियो आप के फेवर में काम करे,’’ फिर वे मुसकराते हुए बोले, ‘‘इस मामले में आप ने भी बड़ी होशियारी दिखाई है.’’
‘‘क्या करें सर, जब से इंटरनैट युग की शुरुआत हुई है तब से हर इंसान सजग और स्मार्ट हो गया है. बैंक मैनेजर की व्यथा कोई नहीं समझता. बैंक मैनेजर बैंक में तलवार की धार के नीचे काम करता है क्योंकि कोई भी जालसाजी, धोखाधड़ी, फ्रौड और डकैती जैसे संगीन अपराध होते हैं तो सब से पहले शक की सूई बैंक मैनेजर पर ही ठहरती है.’’
‘‘शायद आप ठीक कह रहे हैं क्योंकि मैं बैंक मैनेजर के पद पर भी रह चुका हूं. अगर वह लड़की आप के खिलाफ शिकायत करती है तो जांच कमेटी बैठेगी और वह ही फैसला करेगी कि दोषी कौन है आप या वह लड़की?’’
‘‘सर, वह लड़की शिकायत जरूर करेगी क्योंकि उस के अकाउंट में जब पैसा नहीं आएगा तब वह मुझे फोन करेगी और मैं पैसा देने से साफ इनकार कर दूंगा. ऐसे में वह तिलमिला कर मेरे खिलाफ शिकायत करेगी.’’
मैं शाम तक वापस घर आ गया. मोबाइल औन किया तो देखा उस की पचासों मिस्डकौल थीं. उस का फोन आ गया.
‘‘सर, क्या बात है? सुबह से आप का मोबाइल स्विचऔफ जा रहा है और सामान अभी तक ठिकाने पर भी नहीं पहुंचा है.’’
‘‘और न अब कभी पहुंचेगा. तुम्हें जो करना है, करो,’’ मैं ने कड़क स्वर में कहा.
‘‘आप को अपनी शर्त याद है न. मैं आप को रातभर का समय दे रही हूं सोचने के लिए. सुबह बैंक खुलते ही मेरा काम कर देना, नहीं तो…’’
‘‘नहीं तो, क्या करोगी?’’
‘‘वह तो आप को भी पता है कि मैं क्या करूंगी. आप ने मेरे साथ धोखा किया है. अब आप अंजाम भुगतने के लिए तैयार हो जाइए,’’ वह जख्मी शेरनी की तरह दहाड़ी.
थोड़े दिनों बाद, जोनल औफिस से फोन आया, जांच कमेटी में मैं निर्दोष साबित हुआ था. मुझे गहरी साजिश के तहत फंसाया गया था. सब पूर्व नियोजित योजना के अनुसार रचा हुआ षडयंत्र था. वह वीडियो और फोटो भी उसी साजिश के हिस्सा थे. यह सब स्वयं मुख्य आरोपी ने स्वीकार किया था. मुख्य आरोपी के साथसाथ इस में संलग्न सभी सहयोगी अपराधियों को भी सजा हुई. वह वीडियो और फोटो सब डिलीट कर दिए गए.
मेरे द्वारा साहसिक कदम उठाने की भी सराहना हुई कि मैं ने अपनी नौकरी और बदनामी की परवा न करते हुए एक जिम्मेदार बैंक मैनेजर का फर्ज अदा किया और जोनल औफिस में जा कर सबकुछ साफसाफ बता दिया.
इन सब का मुख्य आरोपी कौन था मीठी, उस की मां या कोई अन्य? यह एक रहस्य था और मेरे लिए जिज्ञासा. अचानक मीठी का फोन आ गया, ‘‘सर, मैं बेकुसूर हूं. प्लीज, आप मुझ से मिलिए. पूरी सचाई बता कर अपने दिल का बोझ हलका करना चाहती हूं.’’
मैं खुद को रोक न सका और उस से मिलने जेल गया. वह मुझे देख कर फूटफूट कर रो पड़ी.
‘‘सर, मुझे यकीन था कि आप मुझ से मिलने जरूर आएंगे. अब मैं आप को सचाई बताती हूं. पहले सचाई क्यों नहीं बताई, यह सब आप को सुनने के बाद पता चल जाएगा. हम आगरा के नहीं, बल्कि अलीगढ़ के पास एक गांव के हैं. हम 2 बहनें हैं. 2 साल पहले हमारे मातापिता का देहांत एक बस दुर्घटना में हो गया था. हमारे सौतेले चाचा पिता की जायदाद चाहते थे, इसलिए वे हम दोनों बहनों को मजबूर कर रहे थे कि हम अपना हिस्सा उन के नाम कर दें. लेकिन हम ने ऐसा नहीं किया और चुपचाप गांव छोड़ कर अलीगढ़ आ गए.
‘‘हम ने एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया. बहन ने कालेज में दाखिला ले लिया और मैं एक ब्यूटीपार्लर में काम करने लगी.
‘‘चाचा को हमारे रहने का ठिकाना पता चल गया और वे हमें परेशान करने लगे. चाचा से हमें नजात दिलाई हमारे मकानमालिक के बेटे मोहित ने. वह हमारी बहुत मदद करता था और मुझे बहन मानता था.
‘‘हमारा गुजारा मुश्किल से होता था. ब्यूटीपार्लर वाली आंटी ने मुझे पैसा कमाने का शौर्टकट रास्ता बताया और मुझे 50 प्रतिशत का साझीदार बनाया. मुझे आप से बैंक में मिल कर ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए लोन, मां की बीमारी, गहने गिरवी रखवाना, धोखे से वीडियो और फोटो की कहानी उन्हीं ने रची. एक बार को तो मेरे मन में भी लालच आ गया लेकिन मेरी अंतरात्मा इस के लिए राजी नहीं हुई. मैं ने साफ इनकार कर दिया तो उन्होंने मेरी बहन को गायब करवा दिया और कहा, ‘अगर तुम यह काम नहीं करोगी तो तुम्हारी बहन को बेच दूंगी.’
‘‘अपनी बहन की खातिर मैं ने यह सब किया.’’
‘‘मतलब ब्यूटीपार्लर वाली ने तुम से यह सब करवाया और तुम्हारी मां का रोल भी अदा किया.’’
‘‘नहीं सर, वे आंटी भी बेकुसूर थीं. उन से भी कोई यह सब करवा रहा था. आंटी को फोन पर ही सब दिशानिर्देश दिया जाता था क्योंकि ऐसा न करने पर उन की बेटी के ऊपर तेजाब डालने की धमकी दी गई थी. उन के नानुकुर करने पर एक बार तो तेजाब डालने की कोशिश भी की गई थी. आंटी की इकलौती बेटी थी. आंटी मजबूर थीं.’’
‘‘तो फिर कौन करवा रहा था? तुम्हारा सौतेला चाचा?’’
‘‘नहीं, चाचा भी नहीं.’’
‘‘तो फिर तुम खुद ही होगी. तुम्हारी नीली आंखों की गहराई में न जाने कितने रहस्य छिपे हैं?’’
‘‘सर, यह सारी साजिश मेरी छोटी बहन और उस के बेरोजगार बौयफ्रैंड की रची हुई थी. दोनों 25 लाख रुपए मिलने के बाद भाग कर शादी करना चाहते थे.’’
‘‘वह लड़का कौन था?’’
‘‘वह मोहित है, वह और मेरी छोटी बहन दोनों ही जेल में हैं.’’
‘‘तुम जेल से छूट कर कहां जाओगी? और क्या करोगी?’’
‘‘अब मैं यहां से छूट कर सीधे अपने गांव जाऊंगी और अपने हक के लिए लड़ूंगी. पिता की जायदाद बेच कर आधा हिस्सा बहन को दे दूंगी और अपने हिस्से की रकम से एक प्रशिक्षण केंद्र खोलूंगी जिस में जरूरतमंद गरीब औरतों और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि कार्यों का निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा,’’ यह कहते वक्त उस की नीली आंखों में एक चमक सी आ गई थी.