मेरे पति बहुत भुलक्कड़ हैं. कार की चाबी, मोबाइल, घड़ी, चश्मा इधरउधर रख कर भूल जाते हैं.
मेरे पति बहुत भुलक्कड़ हैं. कार की चाबी, मोबाइल, घड़ी, चश्मा इधरउधर रख कर भूल जाते हैं. कई बार तो कार की चाबी कार में लगी रहती है और कार का दरवाजा बंद कर देते हैं, जिस से कार लौक हो जाती है. बाजार शौपिंग करने चले जाते हैं. वापस आने पर जेब में चाबी ढूंढ़ते हैं. याद आने पर कि चाबी तो कार में ही लगी है. घर पर फोन कर दूसरी चाबी मंगवाते हैं.
उन के भुलक्कड़पन से मैं बहुत परेशान रहती हूं. जब भी उन के साथ बाजार जाती हूं, कार का दरवाजा बंद करने से पहले देख लेती हूं, कार की चाबी उन के हाथ में है या नहीं.
एक दिन मैं सपरिवार कार से अपने रिश्तेदार के घर गई. कार से वापस लौटते समय मैं ने पतिदेव से पूछा, ‘‘आप ने मोबाइल तो रख लिया था न?’’
पतिदेव ने घबराते हुए, गाड़ी चलाते हुए कहा, ‘‘अरे, मोबाइल तो रख लिया लेकिन गाड़ी की चाबी तो वहीं भूल गया.’’
फिर क्या था. मैं ने बिना सोचेसमझे अपना रटारटाया भाषण देना शुरू कर दिया. गुस्से के कारण ध्यान ही नहीं रहा कि ये मजाक कर रहे हैं, बिना चाबी के भला गाड़ी कैसे चल सकती है? करीब 5 मिनट चला यह लंबा भाषण तब समाप्त हुआ जब गाड़ी में बैठे बच्चे, सास, पति, जोरजोर से हंसने लगे. कुछ देर तक तो मैं समझ नहीं पाई हंसी का कारण, जब बात समझ में आई तो मैं भी खिलखिला कर हंस दी.
– भावना भट्ट, भोपाल (म.प्र.)
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मेरे पति की आदत रही है कि सारी नकारात्मक बातों को मेरे हिस्से में डाल कर स्वयं अच्छी बातों का श्रेय ले कर वाहवाही लूटते हैं. मेरे मौसेरे बहनोई के हाथ टूट जाने पर हम दोनों उन्हें देखने गए. वहां जाते ही मेरे पति शुरू हो गए, ‘‘अरे साहब, केवल एक बार गिरने से ही आप की हड्डी टूट गई.’’
फिर मेरी ओर इंगित करते हुए कहने लगे, ‘‘इन के कारण तो मैं न जाने कितनी बार जमीन पर गिरा. वह तो मेरे अच्छे खानपान के कारण मेरे शरीर की हड्डियां सहीसलामत रह गईं.’’
सभी को हंसते देख मारे शर्म के मेरी आंखें भर आईं, ‘‘क्या बेकार की बातें कर रहे हैं. मेरे कारण आप कब गिरे? बिना पीछे देखे बैठिएगा तो गिरना लाजिमी है.’’
पति हंसते हुए बोले, ‘‘घर में 2 बार पोंछा लगवाइएगा, मेरे बैड पर सिल्की बैडकवर डालिएगा तो गिरना ही है. जैसे भी मेरा गिरना हो, कारण तो आप ही हैं.’’
उन की बातों पर माथा पीटने के सिवा मेरे पास चारा न था.
– रेणु श्रीवास्तव, पटना (बिहार)