आमतौर पर ऊसर सुधार का काम गरमी के मौसम में किया जाता है, मगर हाल के सालों में कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत से दूसरे मौसमों में भी ऊसर सुधार मुमकिन हो सका है. देश में हरियाणा के करनाल स्थित ‘केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान’ के वैज्ञानिकों ने धान के पुआल व जिप्सम के संयोग से ‘जिप्सम समृद्ध’ नाम से एक गुणकारी खाद बनाने का तरीका खोज निकाला है. इस से न केवल सर्दियों में काफी मात्रा में पाए जाने वाले धान के पुआल का सदुपयोग होगा, बल्कि लवणीय जमीन के ऊसर सुधार का काम भी आसानी से हो सकेगा. खास बात यह है कि यह खाद मिट्टी को कई जरूरी पोषक तत्त्वों की पूर्ति करने की कूवत रखती है.
खाद बनाने का तरीका : धान की कटाई के बाद पुआल को जलाने के बजाय छोटेछोटे टुकड़ों में काटें. इस के बाद कटे हुए टुकड़ों को पूरी रात पानी में डुबो कर रखें ताकि खाद आसानी से बन सके. अगली सुबह भीगे हुए टुकड़ों को निकाल कर 150-200 लीटर वाली टंकी में डालें. पुआल के गीले टुकड़े टंकी में डालने से खाद बनाने में आसानी होगी और पोषक तत्त्व जमीन के बहुत नीचे नहीं जाएंगे. टंकी में पुआल को गोबर से अच्छी तरह लेप देते हैं. खाद सड़ने की गति बढ़ाने के लिए टंकी में ट्राइकोडर्मा कवक 50 ग्राम प्रति 100 किलोग्राम पुआल की दर से मिलाया जाता है. इस के साथ ही 0.25 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति 100 किलोग्राम पुआल के हिसाब से मिलाते हैं. इस के अलावा 25 किलोग्राम जिप्सम प्रति 100 किलोग्राम पुआल की दर से मिलाते हैं.
खाद में नमी बरकरार रखना बहुत जरूरी है, लिहाजा समयसमय पर पानी का छिड़काव जरूर करते रहें. करीब 1 महीने बाद टंकी के मिश्रण को खूब अच्छी तरह से मिलाएं ताकि भरपूर मात्रा में हवा बनी रहे. हवा के बने रहने से खाद को जल्दी तैयार होने में मदद मिलती है. 3 से 4 महीने में यह खाद बन कर तैयार हो जाती है.
प्रयोग विधि : इस संबंध में ‘केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल’ के निदेशक डाक्टर दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि 100 किलोग्राम पुआल से तैयार खाद को खूब अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की 1 टन खाद में मिला कर खेत में इस्तेमाल करना चाहिए. यह पूरी मात्रा 1 एकड़ खेत के लिए काफी है.
खाद के फायदे : भारत में काफी मात्रा में धान का पुआल पाया जाता है. देश में लगभग 600-700 मिलियन टन खेती से निकलने वाले फालतू पदार्थ पाए जाते हैं. इस में तकरीबन 300 मिलियन टन पुआल होता है. धान का पुआल जला दिए जाने से पर्यावरण व मिट्टी की सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है. ‘केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान’ के एक अंदाजे के मुताबिक यदि धान को जला दिया जाता है, तो तकरीबन 20 फीसदी नाइट्रोजन, 25 फीसदी फास्फोरस व 20 फीसदी पोटाश का नुकसान उठाना पड़ता है. ‘जिप्सम समृद्ध’ खाद से यह नुकसान नहीं हो पाता है. इस के अलावा ‘जिप्सम समृद्ध’ खाद से होने वाले खास फायदे निम्न प्रकार हैं :
* ऊसर (खासकर लवणीय भूमि में) का सुधार होता?है.
* जिप्सम एक प्रमुख लवणीय भूमि सुधारक है. ऐसे में जिप्सम की घुलनशीलता को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि इस में कई प्रकार के अम्ल पाए जाते हैं, जो इस की घुलनशीलता बढ़ाने में मदद करते हैं.
* यह कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में इजाफा करता है, क्योंकि इस में कार्बनिक पदार्थ साधारण खाद के मुकाबले ज्यादा पाया जाता है, जोकि मिट्टी की संरचना में सुधार करता है.
* यह मिट्टी में पोषक तत्त्वों की मात्रा में इजाफा ही नहीं करता, बल्कि मिट्टी की उर्वरा कूवत को भी लंबे समय तक बनाए रखता है.