अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने क्रिकेट के पुराने नियमों को बदल कर नए नियम लागू कर दिए हैं. इन नियमों को बदलने पर इस साल मई में विचार किया गया था, जिससे अब आईसीसी के द्वारा 28 सितंबर से लागू कर दिया जायेगा. इस नियम में पहली बार हौकी और फुटबौल की तरह क्रिकेट के मैदान पर भी रेड कार्ड का नियम लागू किया जा रहा है.

नए नियम के लागू होते ही दक्षिण अफ्रीका और यूएई में इसी सप्ताह शुरू होने वाले टेस्ट मैचों में गलत व्यवहार करने वाले खिलाड़ियों को पहली बार रेड कार्ड दिखाकर मैदान से बाहर कर दिया जाएगा.

नए नियम मौजूदा भारत-आस्ट्रेलिया के अलावा इंग्लैंड-वेस्टइंडीज के बीच जारी वनडे सीरीज पर लागू नहीं होंगे, क्योंकि ये सीरीज नियमों की घोषणा से पहले शुरू हो गई थीं.

टीम इंडिया नए नियमों के तहत अपना पहला मैच 7 अक्टूबर को रांची में खेलेगी. यह आस्ट्रेलिया के साथ तीन टी-20 मैचों की सीरीज का पहला मैच होगा.

आईसीसी के महाप्रबंधक क्रिकेट ज्योफ अलार्डिस ने कहा, ‘आईसीसी के खेलने के नियमों में ज्यादातर बदलाव एमसीसी द्वारा घोषित क्रिकेट नियमों के बदलाव के परिणामस्वरूप किए गए हैं. हमने हाल में अंपायरों के साथ वर्कशाप पूरी की है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी बदलावों को समझा लें’

आईसीसी द्वारा बनाये गए नए नियमों पर एक नजर

बैट की एज 40 मिमी से ज्यादा नहीं

बैट की लंबाई और चौड़ाई पर रोक बरकरार रहेगी. साथ ही बल्ले के एज (कोण) की मोटाई 40 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए. गहराई 67 मिमी तक हो सकती है.

खिलाड़ी होगा मैदान से बाहर

अंपायर को धमकाना, किसी खिलाड़ी या अन्य सदस्य के साथ हिंसक व्यवहार आदि करने पर खिलाड़ी को लेवल-4 का दोषी माना जाएगा. उसे मैदान से बाहर कर दिया जाएगा.

टी-20 में भी डीआरएस

अब टी20 मैचों में भी डिसीजन रिव्यू सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकेगा. बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने वाली टीम मैदानी अंपायर के फैसले को चुनौती दे सकेगी.

नए रेफरल नहीं

टेस्ट मैच में पहले 80 ओवर में किसी टीम के 2 रेफरल विफल रहते हैं तो उसे 80 ओवर खत्म होने के बाद 2 नए रेफरल नहीं मिलेंगे.

ऐसे में नहीं कटेगा रेफरल

यदि अंपायर के फैसले को किसी टीम के द्वारा टीवी अंपायर को रेफर किया जाता है और मैदान पर लिया गया फैसला सही रहता है क्योंकि डीआरएस में अंपायर कॉल के कारण यह नतीजा निकला है, तो वह टीम अपना रिव्यु नहीं गंवाएगी.

दो से कम ओवर नहीं

टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अगर कोई मैच 10 ओवर से कम का खेला जाता है, तो कोई भी गेंदबाज 2 ओवर से कम गेंदबाजी नहीं करेगा. मतलब अगर कोई मैच 5 ओवर का है, तो 2 गेंदबाजों को 2 ओवर करने की अनुमति दी जाएगी.

हेलमेट से टकराने पर भी आउट

फील्डर या विकेटकीपर ने हेलमेट पहना हुआ है तो उससे गेंद के टकराने के बाद बैट्समैन को कैच आउट, रनआउट और स्टंप आउट किया जा सकता है.

बाउंड्री से अंदर गेंद फेंकना गलत

बाउंड्री लाइन के पास यदि फील्डर हवा में उछलकर कैच लेने का प्रयास कर रहा है तो गेंद से उसका पहला संपर्क बाउंड्री लाइन के अंदर होना चाहिए वर्ना अंपायर बाउंड्री का इशारा कर देगा.

तो रन आउट नहीं

अगर बल्लेबाज रन दौड़ते हुए क्रीज के अंदर आ जाता है और फील्डर द्वारा स्टंप्स बिखेरे जाने के समय उसका बल्ला या शरीर का कुछ हिस्सा हवा में रहेगा तो भी वह रन आउट नहीं होगा.

औब्सट्रक्टिंग द फील्ड

अब ‘हैंडल्ड द बौल’ नियम को हटाकर उस तरीके से आउट होने वाले बल्लेबाज को ‘औब्सट्रक्टिंग द फील्ड’ नियम के तहत आउट दिया जाएगा.

6 सब्सिटिट्यूट

टेस्ट क्रिकेट में 6 सब्सिटिट्यूट फील्डरों को कोई भी टीम नामित कर सकती है. पहले यह संख्या 4 थी.

रोक दिया जाएगा गेंदबाजी से

अगर कोई बोलर जानबूझकर फ्रंटफुट नो बौल डालता है तो उसे पारी के बाकी हिस्से में गेंदबाजी करने से रोक दिया जाएगा.

बेल्स को एक धागे से बांधने का फैसला

आईसीसी ने विकेट पर रखी बेल्स को अब एक धागे के साथ बांधने का नियम लागू किया है. यह फैसला फील्डर और विकेटकीपर को किसी भी प्रकार की चोट बेल्स उड़ने से न लगे इसलिए लिया गया है.

सेशन खत्म का नया नियम

टेस्ट क्रिकेट में सेशन खत्म होने से 3 मिनट पहले ही अगर विकेट गिरता है तो तभी सेशन खत्म होने की घोषणा कर दी जाएगी. इससे पहले यह समय 2 मिनट था.

दो बार बाउंस मतलब नौ बौल

अगर गेंदबाज की गेंद बल्लेबाजी क्रीज से पहले दो बार बाउंस करती है, तो उसे नो बौल दिया जायेगा. इससे पहले यह नियम लागू था कि गेंद दो बाउंस ले सकती है. यदि कोई फील्डर गेंद को बल्लेबाज तक पहुंचने से पहले ही पकड़ लेता है, तो अंपायर के द्वारा या तो वह गेंद नो बौल होगी या फिर डेड बौल.

बाई और लेग बाई के मिलेंगे रन

नो बौल पर आये बाई और लेग बाई के रन अब नो बौल से हटकर गिने जायेंगे. गेंदबाज के खिलाफ उस नो बौल को गिना जायेगा और लेग बाई व बाई को अतिरिक्त रन में गिना जायेगा. इससे पहले बाई और लेग बाई को नो बौल में ही गिन लिया जाता था.

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