ऋषिमुनि, साधुसंत और तपस्वियों की भारतभूमि पर इन दिनों धर्म का खूब डंका बज रहा है. मां, बाबाओं, साधु, साध्वियों की लीलाएं धूम मचा रही हैं. चमत्कारी लीलाएं देख कर आत्ममुग्ध रहने वाले भक्तगण इस बार हैरान दिख रहे हैं. एक से बढ़ कर एक लीलाधारियों में इस बार राधे मां, साध्वी त्रिकाल भवंता, सच्चिदानंद गिरि, प्रकाशानंद, सारथी बाबा, गोल्डन बाबा भक्तों को चमत्कृत कर रहे हैं. कुछ विघ्नसंतोषी लोग हैं जो धर्म और साधु, साध्वियों को बेवजह बदनाम करने की चेष्टा कर रहे हैं. जो कुछ हो रहा है वह तो लीला है, अपरंपार लीला.

कुलविंदर कौर से राधे मां

चटकदार, खास डिजाइन की हुई लाल साड़ी, हाथों में लाल चूडि़यां, माथे पे सजा लाल टीका, लाल लिपस्टिक, लाल नेलपौलिश और हाथों में लाललाल गुलाबों के फूल. ऐसे तड़कभड़क अवतार में अपना दरबार लगाने वाली राधे मां के आज देशविदेश में हजारों भक्त हैं. लाल रंग जो तेज, चमक का पर्याय होता है उसी लाल रंग के पीछे छिपा राधे मां का आडंबर आज सामने आ गया है. खुद को भगवान शंकर का वरदान मिला होने और दुर्गा का अवतार बताने वाली राधे मां आजकल सुर्खियों में है. फिल्मी डांस करते हुए और विभिन्न मुद्राओं में छोटे कपड़ों में राधे मां के वीडियो और फोटो टैलीविजन चैनलों से ले कर अखबारों व सोशल मीडिया पर खूब छाए हुए हैं. इन फोटो में राधे मां की मिनी स्कर्ट में खुली टांगें, सोफे पर अधलेटी हुई मुद्रा में जांघें और क्लीवेज दिखाई दे रहे हैं. राधे मां पर अश्लीलता फैलाने, दहेज के लिए उत्पीड़न और धोखाधड़ी करने के मामले दर्ज किए गए हैं. मुंबई के बोरिवली में एक महिला ने अपने पति और ससुराल वालों समेत राधे मां के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है. महिला का आरोप है कि राधे मां ने उस के सासससुर से कहा कि वे उस पर और दहेज लाने का दबाव डालें. इस के बाद उसे प्रताडि़त किया गया.

इस के अलावा फाल्गुनी ब्रह्मभट्ट नामक एक महिला वकील ने भी उस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है कि राधे मां धर्म के नाम पर धोखाधड़ी कर रही है. भोपाल में अश्लीलता फैलाने का मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि वह लोगों को धमकियां देती है और बात न बनने पर प्यार का जाल फेंकती है. ये कारगुजारियां सामने आने के बाद शंकराचार्य और साधु संगठनों द्वारा राधे मां को नासिक कुंभ में शाही स्नान करने से रोके जाने की मांग की गई. वह श्रीपंचादशनाम जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर थीं. राधे मां की 31 जून, 2012 को जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि सहित प्रमुख साधुओं की मौजूदगी में महामंडलेश्वर पद पर ताजपोशी की गई थी लेकिन अगले दिन से ही साधुओं में उस के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे थे. कांग्रेसी नेता संजय निरूपम, गायक दलेर मेहंदी, हंसराज हंस, अभिनेत्री डौली बिंद्रा, जाहिरान विश्व के प्रह्लाद कक्कड़, मनोज तिवारी, अनूप जलोटा, शार्दुल सिकंदर, अनुराधा पौडवाल, रूपकुमार राठौड़ जैसे नामचीन लोग राधे मां के दरबार में आतेजाते रहते हैं. पंजाब के गुरुदासपुर जिले के दारांगला गांव में 3 मार्च, 1969 को जन्मी राधे मां का नाम कुलविंदर कौर है. पंजाब के बिजली विभाग में अधीक्षक अभियंता रहे अजीत सिंह की यह छोटी संतान है. पति मनमोहन सिंह से उसे 2 बच्चे भी हुए.

मनमोहन सिंह कारोबार के सिलसिले में कतर की राजधानी दोहा में बस गया. पति के विदेश जाने के बाद उस ने कुछ दिन सिलाई का काम किया. इसी दौरान अपनी और बच्चों की जरूरतों को पूरा करने की कशमकश से बाहर निकलने का शायद कुलविंदर ने यह आसान रास्ता चुना. वर्ष 1991 में नजदीक के मुकेरिया में परमहंस निवास में वयोवृद्ध महंत रामदीन ने उस की परमेश्वर भक्ति से प्रभावित हो कर उस का नामकरण कुलविंदर से राधे मां किया. उस ने शुरुआत में दरबार (माता की चौकी) लगाना शुरू किया. वहां वह भक्तों की समस्याओं के निराकरण के उपाय बताने लगी और देखते ही देखते वह राधे मां बन गई. दिल्ली के भक्त रामभज अग्रवाल के घर में 3 साल तक राधे मां की चौकी लगती रही. 2002 में मुंबई के ग्लोबल एडवरटाइजिंग के मालिक शिव गुप्ता, राधे मां को मुंबई ले गए. वहां पर राधे मां का पूरी तरह से मेकओवर किया गया. राधे मां के कपड़े, जेवर, सिर पर मुकुट, हाथों में छोटा त्रिशूल, उंगलियों में 7 हीरे की अंगूठियों वाला परिवेश डिजाइन किया गया. बोरिवली में शिव गुप्ता के पांचमंजिला घर में हर शनिवार राधे मां की चौकी लगती थी. राधे मां अपने भक्तों से अंगरेजी में ‘भक्तो, आय लव यू फ्रौम बौटम औफ माय हार्ट’ बोलती है. ‘जो होता है वह शिव भगवान करते हैं’ ऐसा कहने वाली राधे मां की दुकानदारी मीडिया में शोर उठने की वजह से ठंडी पड़ी थी. लेकिन फिर जूना अखाड़े की तरफ से महामंडलेश्वर पद से उसे निलंबित किए जाने के बाद जांच किए जाने से राधे मां की दिक्कतें बढ़ गई थीं. जरूरत है कि महिलाएं ऐसे मोहजाल से बाहर निकलें और सत्य और तार्किकता के आधार पर कोई भी निर्णय लें.

सच्चिदानंद की सचाई

नोएडा के शराब, डिस्कोथेक और जमीन कारोबारी से महामंडलेश्वर बनाया गया सच्चिदानंद गिरि की पोल भी जल्दी ही खुल गई. सच्चिदानंद उर्फ सचिन दत्ता निरंजनी अखाड़े से निलंबित कर दिया गया. यह बाबा अब न तो निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर रहा और न ही संन्यासी है. इस की घोषणा नासिक में निरंजनी अखाड़े की कार्यकारिणी बैठक में हुई. इस से पहले 31 जुलाई को संन्यास दिला कर मठ बाघंबरी गद्दी में सचिन को निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था. सचिन दत्ता की चादरपोशी के वक्त हैलिकौप्टर से फूलों की वर्षा की गई थी. सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर बनाने वाला महंत नरेंद्र गिरि था. उस के विरोधी महंत ज्ञानदास ने महंत नरेंद्र गिरि की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. सचिन को महामंडलेश्वर बनाने की पैरवी करने वाले अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने सचिन दत्ता की पोल खुलने के बाद मौन साध लिया. मीडिया में जब विवाद उठने लगा तो महंत नरेंद्र गिरि ने 3 अगस्त को सचिन दत्ता के महामंडलेश्वर के रूप में धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने व नासिक कुंभ में प्रवेश पर रोक लगाने के लिए 4 महंतों की समिति बना कर जांच बैठा दी. बाद में सच्चिदानंद गिरि उर्फ सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर पद से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया.

एक और चर्चित बाबा प्रकाशानंद है जो विदेश में यानी अमेरिका में धर्म की ‘पताका’ फहरा कर भारत में छिपा बैठा है. कहा जा रहा है कि वह हिमाचल प्रदेश में कहीं भूमिगत है. अयोध्या के रहने वाले प्रकाशानंद सरस्वती को अमेरिकी पुलिस और खुफिया एजेंसी खोज रही हैं. वह 4 साल पहले 3 लड़कियों का यौन शोषण करने के बाद से फरार है. अमेरिका में अपराधियों की तलाश पर आधारित टीवी शो ‘द हंट विद जौन वाल्स’ के दौरान उत्पीड़न की शिकार इन लड़कियों ने अपनी पीड़ा हाल ही में बताई थी. 1990 के दशक में श्यामा रोज, उस की बहन कैट और वेस्ला टोनेंसेन टैक्सास के बरसाना धाम आश्रम में अपने मातापिता के साथ रहती थीं. कई अन्य परिवार भी अपना सबकुछ छोड़ कर प्रकाशानंद के इस आश्रम में रहते थे. ये लोग प्रकाशानंद को इस धरती पर ईश्वर का रूप मानते थे. रोज ने आरोप लगाया था कि जब वह जवान हुई तो प्रकाशानंद उस का यौन उत्पीड़न करने लगा. तीनों बहनों की शिकायत पर 2008 में आरोपी गुरु के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ. उसे गिरफ्तार किया गया पर उस के भक्तों ने 6 करोड़ रुपए की राशि दे कर जमानत दिला दी थी. 4 मार्च को उसे 14 साल की सजा सुनाई गई लेकिन वह फरार हो गया और भारत पहुंच गया. कहा जा रहा है कि वह अब दिल्ली से मसूरी के बीच कहीं रह रहा है.भारतभूमि पर पहले भी कई लीलाधारी अवतरित हुए हैं. आएदिन उन के ढोंग उजागर होते रहते हैं.

निर्मल बाबा के बेतुके सुझाव

निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के चुटकुलेनुमा उपाय हंसाने वाले साबित हो रहे हैं. पर टैलीविजन पर उस के भक्त इस बाबा द्वारा बताए गए चुटकुलों में समाधान ढूंढ़ते हैं. बाबा पर धोखाधड़ी के कई मामले चल रहे हैं. बाबा के इंटरनैट पर करीब 30 लाख से ज्यादा लिंक्स हैं. पंजाब में पटियाला जिले के समाना गांव के निर्मलबाबा का परिवार 1947 में देश के बंटवारे के वक्त भारत आया था. यह बाबा विवाहित है. इस के एक लड़का और एक लड़की है. निर्मल बाबा के साले का ईंटभट्ठे का धंधा था. ईंटभट्ठे का धंधा नहीं चला तो निर्मल बाबा ने कपड़े की दुकान खोली पर इस में भी असफल होने पर खदान व्यवसाय शुरू किया. बहरागोडा गांव में इस बाबा ने आत्मज्ञान प्राप्ति का ढोंग रच कर अध्यात्म की दुकान शुरू की. अंदाजन 36 देशीविदेशी चैनल्स पर 24 घंटे निर्मल बाबा के चमत्कार प्रसारित किए जाते हैं. भक्तगण बाबा के दरबार में प्रवेश पाने के लिए 2 हजार रुपए देते हैं. पैसे जमा करने के लिए वैबसाइट पर बैंक के अकाउंट नंबर दिए गए हैं. बैंक अकाउंट को ‘थर्ड आई औफ निर्मल दरबार’ के नाम से प्रचारित किया गया है.

ऐसे हर दरबार के जरिए 1 करोड़ रुपए जमा करना और इस तरह के 7 से 10 दरबार आयोजित करने का धंधा निर्मल बाबा का था. सालभर में बिना परिश्रम के श्रद्धा का बाजार लगा कर अमूमन 84 करोड़ रुपए ऐंठने में निर्मल बाबा एक्सपर्ट है. गौरतलब है कि बाबा के 2 खातों में अमूमन 109 करोड़ रुपए जमा होने का दावा किया गया है. अपना धंधा चमकाने के लिए बाबा जूनियर आर्टिस्ट का भी उपयोग करता है.एक भक्त ने इलैक्शन में टिकट न मिलने पर उपाय पूछा तो निर्मल बाबा ने उसे बताया कि तुम गोलगप्पे खाओ, तुम पर कृपा होगी. शिष्यो, फ्रिज में कोल्डडिं्रक रखो, कृपा होगी. काले कपड़े अलमारी में रखो. कृपा होगी. गुरुवार के दिन लाल शर्ट पहनो, कृपा होगी, मेरे बैंक अकाउंट में 10 हजार रुपए जमा करो कृपा होगी. 10 रुपए की धूप से कृपा होने वाली नहीं, उस के लिए 50 रुपए की धूप जलाओ, कृपा होगी. समोसे के साथ हरी चटनी खाओ तो कृपा बरसनी शुरू होगी. इस तरह के हंसाने वाले, अवैज्ञानिक, बेसिरपैर के अजीबोगरीब उपाय बताने में निर्मलबाबा धार्मिक दुनिया में कुख्यात है.

निर्मला माता का स्वांग

देशविदेश में बनाए गए आलीशान महल, महंगी गाडि़यां, भड़कीले परिधान और साथ में 300-400 गोरे भक्तों की फौज लिए दुनियाभर में सफर करने वाली निर्मला माता का रुतबा देखने लायक होता है. पत्नी के साथ आशीर्वाद लेने आया पति निर्मला माता के पैर धोता है, पत्नी धीरेधीरे पानी डालती है. फिर पति पैर पोंछता है. खुद का सिर नीचे झुका कर माता के पैर खुद के सिर पर रखने में अपने को बड़ा धन्य महसूस करता है. लाइन में खड़ा अगला भक्त भी इसी भक्तिभाव से यही कृत्य दोहराता है. माताजी का भोजन होने के बाद उस की प्लेट में बचा सारा खाद्यान्न प्रसाद के तौर पर भक्तों में बांट दिया जाता है. खाने के बाद माताजी द्वारा धोए हाथों का और मुंह में ले कर किए गरारों का पानी एकत्रित कर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.

चमत्कारी सत्यसाईं बाबा

14 साल की आयु में खुद शिर्डी के साईंबाबा का अवतार होने की घोषणा कर सत्यनारायण राजू आगे चल कर सत्यसाईं बाबा बना. वर्ष 1926 में आंध्र प्रदेश में धनगर परिवार में जन्मा सत्यनारायण राजू स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही हवा से पैंसिल निकालने का चमत्कार करता था. चमत्कार के नाम पर हाथ की चालाकी करने वाले बाबा को नेताओं और भक्तों ने अहमियत देनी शुरू कर दी. हवा में हाथ लहरा कर भभूत निकालना, सोने की चेन निकालना, मुंह से शिवलिंग निकालना, जानलेवा बीमारियां ठीक करने जैसे कई चमत्कारों की कहानियां इस बाबा के नाम पर चलती रहीं. बाबा के आश्रम में उस के नजदीकी 5 शिष्यों ने उस पर जानलेवा हमला किया, तब बाबा भाग कर बाथरूम में छिप गया और सहीसलामत बचा. यह प्रयास करने वाले 4 शिष्यों को बंद रूम में पुलिस ने गोली मार कर खत्म किया. इस पर मीडिया ने होहल्ला किया.उम्र के 55 साल पूरे होते ही बाबा पर यौन शोषण तथा समलैंगिक संबंधों के आरोप लगे. बाबा के ही चलाए स्कूल के बच्चों के साथ और अपने शिष्यों के साथ भी घिनौनी हरकतें सामने आती थीं.

20 साल तक साईं संगठन के अमेरिका के दक्षिणमध्य विभाग प्रमुख रहे जैक युंग और उन की पत्नी ने अपने बच्चे सैम के साथ सत्यसाईं बाबा द्वारा किए गए यौन शोषण की कहानी बताई थी. औरों को कभीकभार दर्शन देने वाले सत्यसाईं बाबा सैम से मिल कर चमत्कार से निकाली महंगी घडि़यां, अंगूठियां देता. सैम का कहना था कि बाबा उसे सहलाता, उस का चुंबन लेता, उसे मुखमैथुन करने के लिए मजबूर करता और उस से यौन संबंध बनाने का प्रयास भी किया गया.साईं बाबा के डाक्टर शिष्य डेविड बेले की ‘दी फाइंडिंग’ नामक किताब ने पोल खोल कर सनसनी फैला दी थी. इस किताब में बाबा द्वारा शिष्यों के यौन शोषण के किस्से बताए गए हैं.इन गंभीर आरोपों के बाद बाबा के चरित्र पर जोरदार चर्चा छिड़ी. इस वजह से बाबाओं के शिष्यों की तादाद घटने लगी और यूनेस्को ने बाबा के एजूकेशनल संस्थानों को दी गई मदद को रद्द कर दिया. सत्य साईंबाबा 24 अप्रैल, 2011 को मर गया. बाद में उस की संपत्ति को ले कर झगड़ा शुरू हो गया.

भविष्यवाणी और चंद्रास्वामी

अलवर, राजस्थान का नेमीचंद जैन उर्फ चंद्रास्वामी जब छोटा था, तभी उस के पिता हैदराबाद आ गए. बचपन में तंत्रविद्या के आकर्षण से प्रभावित नेमीचंद शिक्षा अधूरी छोड़ बिहार के जंगल में भाग गया. चंद्रास्वामी वहां पर अघोरपंथी साधुओं से कथित तंत्रमंत्र, अघोरी विद्या, काला जादू आत्मसात कर 4 साल की तपस्या के बाद सिद्धि प्राप्त होने का दावा करता रहा. ज्योतिषवेत्ता के तौर पर शुरुआत में काम करने वाला चंद्रास्वामी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनने के बाद ज्यादा मशहूर

हुआ. राव के आध्यात्मिक सलाहकार रहे चंद्रास्वामी के आगे अनेक सत्ताधारी नेता सलामी देने लगे. राव के बाद प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर भी उस के भक्त थे. इंदिरा गांधी ने उसे महरौली में जमीन दी थी. उस पर उस ने ‘विश्व धर्मायतन सनातन’ नाम का शाही आश्रम बनाया. पामेला बोर्डेस, बहरीन के शेख खलीफा, हौलीवुड अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर, अस्त्रशस्त्रों का सौदागर अदनान खशोगी, जनता दल के लालू प्रसाद यादव, दिल्ली के राज्यपाल रहे रोमेश भंडारी उस के शिष्यों में थे. उस के शिष्यों की तादाद बढ़ने लगी. उस के सचिव विक्रम सिंह और कैलाशनाथ अग्रवाल उर्फ मामाजी का सियासी गलियारों में काफी दबदबा था.

लखूभाई पाठक केस में पाठक पर चंद्रास्वामी और नरसिम्हा राव को रिश्वत दिए जाने के आरोप लगे थे. ऐसे आरोपों के बाद चंद्रास्वामी का असली चेहरा खुल गया. इस केस में राव निर्दोष साबित हुए लेकिन चंद्रास्वामी और कैलाशनाथ अग्रवाल को जेल की हवा खानी पड़ी. प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में चंद्रास्वामी के सहभागी होने का आरोप लगा था. इस मामले की जांच करने वाले न्यायाधीश जैन आयोग के सामने राजीव गांधी के हत्यारों ने चंद्रास्वामी को पैसे देने की बात बताई थी. अदनान खशोगी को दिए गए एक करोड़ डौलर से अधिक दलाली के कागजी सुबूत उस के आश्रम पर डाले छापे में मिले थे.

रंगीला आसाराम बापू

72 वर्षीय आसाराम बापू पिछले 2 सालों में किसी न किसी मुद्दे को ले कर चर्चा में रहा, चाहे वह निर्भया केस में दिया गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य हो या महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति होने के बावजूद होली का त्यौहार मनाने के लिए उड़ाए गए लाखों लिटर पानी की बरबादी. कहर तब हुआ जब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 16 वर्षीय लड़की का जोधपुर के आश्रम में आसाराम द्वारा यौन शोषण का मामला सामने आया. इस संदर्भ में दिल्ली पुलिस के कमला मार्केट थाने में 20 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई गई और एक घटना में सूरत की एक महिला ने आसाराम पर आरोप लगाया कि उस महिला को अहमदाबाद के आश्रम में वर्ष 1998 से 2006 के दौरान अवैध रूप से बंदी बना कर उस से बारबार बलात्कार किया गया. महिला की छोटी बहन ने आसाराम के लड़के नारायण साईं के विरोध में ऐसी ही शिकायत दर्ज कराई. आसाराम आजकल जोधपुर की जेल में बंद है. कई गवाहों की हत्या के आरोप भी आसाराम पर लगे हैं. आसाराम के पुराने आयुर्वेद चिकित्सक ने आश्रम में 2 किशोरों की मृत्यु होने के बाद आसाराम पर गंभीर आरोप लगाए थे. इसी कारण 7 बार प्रजापति पर आसाराम के समर्थकों द्वारा जानलेवा हमला किया गया. 23 मई, 2014 में हुए राजकोट के हमले में उन की मृत्यु हो गई. आसाराम तथा नारायण साईं के खिलाफ चल रहे बलात्कार मामले में बयान देने वाले 3 लोगों पर उस के समर्थकों द्वारा एसिड फेंका गया. तहकीकात कर रहे पुलिस अधिकारी को जान से मारने की धमकी दी गई है.

स्कैंडलर स्वामी नित्यानंद

2010 में स्वामी नित्यानंद का दक्षिण की लोकप्रिय अभिनेत्री रंजीता के साथ आपत्तिजनक स्थिति में एक वीडियो निजी चैनल पर प्रसारित किया गया. मीडिया ने इस मामले को बहुत उछाला. कर्नाटक पुलिस ने उस के खिलाफ शिकायत दर्ज की और इस मामले के बाद स्कैंडलर स्वामी नित्यानंद प्रचलित हो गया. पुलिस से मुंह छिपा कर भागने वाले नित्यानंद को बेंगलुरु पुलिस ने हिमाचल प्रदेश से पकड़ कर जेल में डाल दिया. 52 दिन जेल में रहने के बाद जमानत मिलने पर नित्यानंद जेल से बाहर आया. सैक्स स्कैंडल के सवाल अभी स्वामी के पीछे लगातार बने हुए थे, तभी एक एनआरआई महिला ने स्वामी पर यौन शोषण का आरोप लगाया. इस संदर्भ में स्पष्टीकरण के लिए नित्यानंद आश्रम द्वारा एक प्रैस कौन्फ्रैंस की गई, तभी वहां पर हुए होहल्ले में स्वामी समर्थकों ने तोड़फोड़ की. नित्यानंद की लीला जारी थी. तभी एक पुरुष अनुयायी ने उस पर यौन शोषण के आरोप लगाए और बाबा के खिलाफ इस संदर्भ में भी शिकायत दर्ज कराई.

नित्यानंद पर नित्यानंद ध्यानपिटम मठ के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए. स्वामी नित्यानंद पर एक और सनसनीखेज आरोप उन्हीं के भक्त ने लगाया, जिस के अनुसार आश्रम में बाघ की खाल और हाथीदांत का उपयोग किया जाता है. इस आरोप के बाद नित्यानंद पर वन्य जीवन संरक्षण कानून के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया. स्वामी के सैक्स स्कैंडल के बाद गुरुपूर्णिमा के दिन भक्तों को हवा में अपने इशारे पर उछालने का दावा भी काफी चर्चा में रहा. 2013 में महाकुंभ मेले में विवादों से घिरे नित्यानंद को पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की तरफ से महामंडलेश्वर बनाया गया और दूसरे साधुबाबाओं के विरोध करने पर नित्यानंद फिर एक बार विवादों में आ गया.

जाल में फांसते नरेंद्र महाराज

नरेंद्र महाराज यानी जगदीश सुर्वे, 10वीं पास करने के बाद ग्रामसेवक की नौकरी में लगा. काम में आनाकानी करने के साथ ही काम की जगह हेराफेरी करने का भी उस के ऊपर आरोप लगा. इस वजह से नौकरी से निकाला गया. यहां पर आत्महत्या करते समय गजानन महाराज ने साक्षात दर्शन दिए, यह अफवाह फैलाई. नाणीज आ कर पीपल का पौधा लगा कर आध्यात्मिक मार्गदर्शन की शुरुआत की. 5-7 वर्षों में नरेंद्र महाराज एक बड़ा साधु बन गया. नाणीज के पहाड़ों पर महाराज के प्रवचन, समस्या निवारण का कार्यक्रम शुरू हो गया. महीने के दूसरे शनिवार को 2-3 लाख भक्त आने लगे. ठंड का मौसम हो या कड़ी धूप, मठ के सामने लोगों की कतार लगती है. एक कतार सिर्फ दर्शन के लिए, दूसरी विशेष दर्शन की यानी सवाल पूछने की. नसीब में क्या है, यह जानने के लिए नंबर आने तक पत्नी व बच्चों के साथ लोग 4 दिनों तक कतार में लगे रहते हैं. भक्ति के साथ धर्म की दुकानदारी में तेजी आई. 2 रुपए में नहाने का पानी, खाने के लिए 15 रुपए, स्वच्छता के लिए 50 पैसे, सभी स्टाल चाहे वे किताबों के हों, प्रसाद के या कोल्डडिं्रक्स के, उन पर मठ का ही मालिकाना हक है. बाजार में नारियल 7 रुपए तो स्टाल पर 10 रुपए में. वह महाराज को देने के बाद फिर से वहीं पहुंच जाता है.

नरेंद्र महाराज की फोटो वाला पैन 10 रुपए में व महाराज का फोटो वाला बिल्ला 5 रुपए में बिकने लगा. यह बिल्ला सुरक्षाकवच है. यह जिस की छाती पर सजेगा वही इस दुनिया की समस्याओं से पार हो पाएगा. साथ में, महाराज की चमत्कारिक लीलाओं की किताब ‘लीलामृत’ 50 रुपए में. आने वाला भक्त पैन, बिल्ला, नारियल और लीलामृत ले कर ही घर लौटता है. अपने भक्तों को सुरक्षा कवच देने वाले इस महाराज को स्वसुरक्षा के लिए रिवौल्वर की जरूरत पड़ती है.

अनिरुद्ध बापू की दैवी शक्ति

वर्ष 1965 में जन्मे डा. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी ने वर्ष 1982 में चिकित्सा में एमडी किया. अनिरुद्ध बापू का चालीसा भी है. इस का पठन करने से भक्तों की समस्याओं का निवारण होता है और बापू साधना से सिद्ध की हुई सुपारी हाथों में लिए मन की इच्छा बोल दे तो काम बन गया समझो. लेकिन उस के लिए बापू से भेंट का या चालीसा पठन का संकल्प करना जरूरी है. बापू की तारीफों के पुल बांधने वाला साहित्य उन के दरबार के बाहर लगने वाले बाजारों में उपलब्ध रहता है. बापू और नंदामाई (बापू की पत्नी) की पोथियां, मंत्रों के स्टिकर्स, जेब में लगाने के पैन से ले कर अंगूठियां, कड़े तक पैसे दे कर भक्तगण खरीदते हैं. बापू के गुणगान करने वाली आरतियां, भजन, चालीसा, कवच ये सभी चीजें बापू के नाम से यहां पर बिक जाती हैं. पुणे से वडोदरा तक और पश्चिम बंगाल से पाश्चिमात्य देशों तक बापू के भक्त बिखरे हैं, यह बात यहां के सेवादार आने वाले भक्तों को बताते हैं. बापू की अहमियत बताने वाले ‘कृपासिंधु’ अंक में गुम हुआ बैग दिला दिया, एक रात में आंखें ठीक करवा दीं, आपत्ति आने से पहले भक्तों की सुरक्षा करने को बापू आ धमके, ऐसे बापू के चमत्कारों से भरे भक्तों के किस्से प्रकाशित किए जाते हैं.

आज बाबा के पास जाने वाला वर्ग बहुत शिक्षित है. इन आधुनिक बाबाओं और मठ, आश्रमों का सच यही है कि उन्होंने समाज के शिक्षित वर्ग को अपना लक्ष्य बनाया है. लोगों की श्रद्धा जिन देवीदेवताओं में है, उन की तसवीरें भी आसानी से बिकती हैं. इस का अर्थ यह हुआ कि शिक्षित वर्ग को भी चूना लगाने में वह सफल हुआ है. इन सारे बाबा, माताओं की जीवनी पर नजर डालें तो एक बात सामने आती है कि इन सभी योगी कहलाने वाले साधु महाराजों की भोगी, ऐशोआराम की वृत्ति खत्म नहीं हुई है. आज भी वे सामान्य जीवन के मोहमाया के आकर्षण में खुद ही फंसे हुए हैं — चाहे वह आसाराम हो, निर्मलजीत सिंह हो, सत्यनारायण राजू हो या कोई और. सच तो यह है कि इन बाबाओं के पैरों पर गिरने वाली सामान्य जनता भी अपनी मूलभूत समस्याओं का हल ढूंढ़ने ही वहां पर जाती है. सवालों से जूझते, आने वाली कठिन स्थितियों से मुक्ति की अपेक्षा से लोग इन की शरण लेते हैं. मनोवैज्ञानिक डा. राजेंद्र बर्वेजी इन महाराज, बापू, बाबाओं की आध्यात्मिकता और उन के प्रवचनों को सुनने वाले भक्तों की आध्यात्मिकता, साधना, ध्यान, धारणा, तंद्रा की तुलना एक गिलास मद्यपान करने वाले शराबी, जिसे नशा चढ़ता है, से करते हैं.

दरअसल धर्म, आस्था की आड़ में बाबा लोग जनता के हर वर्ग को अंधविश्वास के गड्ढे में डुबकी लगाने को प्रोत्साहित करते रहते हैं. अंधभक्त डुबकी लगाते रहेंगे, बाबा लोगों की झोली भरती रहेगी. हैरानी यह है कि पढ़ेलिखे, उम्रदराज अनुभवी, समझदार लोग भी उन के झांसे में आते रहे हैं. खुद को देवीदेवता, भगवान समझने वाले इन मां, बाबाओं और संतों ने अपने नाम के आगे ये उपाधियां स्वयं लगाई हैं. दैवी चमत्कार दिखाने का दावा करने वाले दैवत्व की दुकान चलाते ये बाबा और मां का एकमात्र उद्देश्य भक्तों की मानसिक कमजोरी का लाभ उठा कर अपनी दुकान चलाना है. जरूरत है कि भक्त की इच्छाओं के पीछे की सत्यता को जानने की कोशिश करें और इन के मोहमाया में फंसने के बजाय इन का परदाफाश करें.

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