बीकानेर शहर की रहने वाली उच्च शिक्षित सुरभि शर्मा खातेपीते परिवार से थीं. वह खूबसूरत भी थीं. अपनी दिलकश अदाओं से वह पहली नजर में ही किसी के भी दिल में उतर सकती थीं. इस के बावजूद उन के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था. इस की वजह से सुरभि ही नहीं, उन के घर वाले भी परेशान थे.

घर वालों ने उस के रिश्ते के लिए नातेरिश्तेदारों से ही नहीं, जानपहचान वालों से भी कह रखा था. इन लोगों ने जो भी रिश्ते बताए, उन में से कुछ सुरभि को पसंद नहीं आए तो कुछ को सुरभि और उस के घर वाले पसंद नहीं आए.

एक समय था, जब रिश्तेदार या जानपहचान वाले ही शादियां करा देते थे. लेकिन लोग गांवों से निकल कर शहरों में बसते गए, जिस से लोग एकदूसरे से दूर होते गए. तब वैवाहिकी विज्ञापनों का दौर शुरू हुआ. विज्ञापनों के जरिए लोग बेटीबेटियों की शादी करने लगे.

इंटरनेट आया तो तमाम मैट्रीमोनियल वेबसाइटें बन गईं, जो वरवधू तलाशने में मदद करने लगीं. सुरभि की शादी में हो रही देरी को देखते हुए कुछ लोगों ने उसे सलाह दी कि वह भी किसी मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल बना कर डाल दे. हो सकता है, कोई अच्छा रिश्ता मिल ही जाए.

उन्हीं लोगों की सलाह पर सुरभि ने घर वालों से बात की. घर वालों ने हामी भर दी तो सुरभि ने मैट्रीमोनियल साइट पर अपनी एक बढि़या फोटो के साथ प्रोफाइल अपलोड कर दी. प्रोफाइल अपलोड होने के बाद वेबसाइट की ओर से उसे प्रोफाइल नंबर दे दिया गया. इसी नंबर के जरिए उस से वेबसाइट द्वारा संपर्क किया जा सकता था.

प्रोफाइल अपलोड करने के बाद सुरभि को पूरा विश्वास था कि उसे कोई अच्छा रिश्ता जरूर मिल जाएगा, इसलिए प्रोफाइल अपलोड कर के वह बेहद खुश थी. उस ने और उस के घर वालों ने जैसा सोचा था, वैसा ही हुआ. मैट्रीमोनियल साइट पर सुरभि की प्रोफाइल देख कर कई लड़कों या लड़कों के घर वालों ने वेबसाइट के माध्यम से उस से संपर्क किया.

सुरभि एवं उस के घर वालों ने उन लोगों से और उन के घर वालों से बातचीत शुरू की. बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचती, वेबसाइट के जरिए यूनाइटेड किंगडम (यूके) के रहने वाले पारस प्रेम कुमार ने वेबसाइट द्वारा सुरभि से संपर्क किया. जवाब में सुरभि ने पारस प्रेम कुमार से आवश्यक जानकारियां मंगाईं.

पारस प्रेम कुमार ने जो जानकारियां भेजीं थीं, उस के अनुसार वह मूलरूप से भारत का रहने वाला था. वहां वह यूएन एयरफोर्स में एयरक्राफ्ट इंजीनियर था. फिलहाल वह इराक में पदस्थापित था. वह भारतीय संस्कारों वाली ऐसी लड़की से शादी करना चाहता था, जो प्यार से उस की गृहस्थी संवार सके.

पारस प्रेम कुमार का कहना था कि अगर उस से उस की शादी हो जाती है तो वह खुद को दुनिया का सब से खुशकिस्मत आदमी समझेगा. अब तक जो रिश्ते आए थे, उन में पारस प्रेम कुमार का रिश्ता सब से अच्छा था. यह रिश्ता सुरभि को भी पसंद था और उस के घर वालों को भी. दोनों ओर से एकदूसरे को फोन नंबर दे दिए गए तो बातचीत शुरू हो गई. सुरभि ने भी प्रेम कुमार को अपना वाट्सऐप नंबर दे दिया था, इसलिए दोनों में चैटिंग होने लगी.

प्रेम कुमार जल्दी से जल्दी सुरभि से शादी करने की बात कर रहा था. अब उन के बीच प्यार की भी बातें होने लगीं थीं. सुरभि उसे अपने सपनों का राजकुमार समझने लगी थी और उस से शादी कर के विदेश जाने के सपने देखने लगी थी. यह सन 2016 अगस्त सितंबर महीने की बात है.

उसी बीच एक दिन प्रेम कुमार ने सुरभि से वाट्सऐप पर चैटिंग के दौरान बताया कि यहां उस के पास करीब 5 मिलियन पौंड की संपत्ति है. वह शादी के बाद भारत में बसना चाहता है. अब जल्दी ही उस की उस से शादी होने जा रही है, इसलिए वह 2.5 मिलियन पौंड की संपत्ति के कागज उस के नाम भारत भेज रहा है, ताकि उसे शादी की तैयारी में कोई परेशानी न हो.

प्रेम कुमार ने सुरभि को भरोसा दिलाते हुए कहा था कि इन दिनों भारत और इराक के बीच डिप्लोमैटिक पाउच सर्विस चल रही है, इसलिए इस सर्विस के जरिए वह अपनी 2.5 मिलियन पौंड की संपत्ति के कागज उस के नाम भारत भेज रहा है. जल्दी ही उस ने बताया था कि वह जेम्स डेविड नामक व्यक्ति के जरिए इराक एंबेसी में उस के नाम 2.5 मिलियन पौंड की संपत्ति के कागज भेज दिए हैं.

सुरभि ने हामी भर दी थी. आखिर वह मना भी क्यों करती? प्रेम कुमार ने उसे अपना जीवनसाथी बनाने का वादा जो कर लिया था. ऐसी भी कोई बात नहीं हुई थी कि उस पर भरोसा न किया जाता. अब तक हुई बातों में उसे ऐसी कोई बात नजर नहीं आई थी, जिस पर विश्वास न किया जाता. प्रेम कुमार ने उस के नाम से ढाई मिलियन पौंड की संपत्ति के कागज भेजने की बात कही तो उस के मन में प्रेम कुमार के लिए और प्रेम बढ़ गया था.

इस बातचीत के कुछ दिनों बाद जेम्स डेविड ने सुरभि को फोन कर के कहा कि इराक से उस का एक पाउच आया है. उस के किराए के लिए 70 हजार रुपए जमा कराने होंगे, जो सरकार के खाते में जाएंगे. पैसे जमा कराने के लिए उस ने 2 बैंक खातों के नंबर भी दे दिए थे.

सुरभि जेम्स डेविड द्वारा बताए गए खाता नंबरों में 70 हजार रुपए जमा करा कर इराक से आने वाले ढाई मिलियन पौंड की संपत्ति के कागजों के पाउच का इंतजार करने लगी. कई दिन बीत जाने पर भी जब न कोई कूरियर आया और न ही डाक विभाग से कोई पार्सल तो उसे चिंता हुई. लेकिन तभी अचानक जेम्स डेविड का फोन आ गया.

इस बार उस ने फाइनैंस इंटेलीजेंस सिक्यूरिटी भारतीय रिजर्व बैंक का नोटिस भेजे जाने की बात कह कर उस में बताई गई रकम बैंक खाते में जमा कराने को कहा.

इस के कुछ दिनों बाद सुरभि को एक नोटिस मिला, जिस में इराक से आए पाउच के नाम पर बैंक खाते में रकम जमा कराने की बात कही गई थी. सुरभि ने यह रकम भी बताए गए बैंक खाते में जमा करा दी.
इस के बाद करीब 2 महीने तक दिल्ली पुलिस के क्लीयरेंस सर्टिफिकेट, कस्टम क्लीयरेंस सर्टिफिकेट, इनकम टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट आदि के नाम पर नवंबर, 2016 तक सुरभि से अलगअलग बैंक खातों में लगभग 56 लाख रुपए जमा करा लिए गए. सुरभि ने यह रकम अपने पिता तथा रिश्तेदारों से यह कह कर जुटाई थी कि उस के नाम ढाई मिलियन पौंड का पार्सल आने वाला है.

उस पार्सल के चक्कर में सुरभि अपने घर वालों तथा रिश्तेदारों की कर्जदार हो गई थी. इतनी बड़ी रकम अलगअलग बैंक खातों में जमा कराने के बाद भी उसे प्रेम कुमार की ओर से भेजा गया पार्सल नहीं मिला था.

काफी समय हो गया और पार्सल नहीं मिला तो सुरभि को शक होने लगा. उस ने अपने घर तथा अन्य लोगों से इस बारे में बात की तो सभी को दाल में कुछ काला लगा. लोगों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी. सुरभि बीकानेर के एसपी डा. अमनदीप कपूर से उन के औफिस में जा कर मिली और उन्हें सारी बातें बताई.

पूरी बात सुन कर डा. अमनदीप कपूर को पूरा विश्वास हो गया कि सुरभि के साथ ठगी हुई है. उन्होंने सुरभि से प्रार्थना पत्र लिखवा कर 29 नवंबर, 2016 को बीकानेर के थाना सदर में रिपोर्ट दर्ज करा दी. यह मुकदमा अपराध संख्या 481/2016 पर भादंवि की धारा 420, 467, 468 व आईटी एक्ट के तहत दर्ज किया गया.

शादी के नाम पर सुरभि से 56 लाख रुपए की ठगी का यह मामला बड़ा ही पेचीदा था. डा. अमनदीप कपूर ने इस मामले की जांच के लिए एडीशनल एसपी (ग्रामीण) लालचंद कायल के नेतृत्व में सीआईयू के इंचार्ज इंसपेक्टर नरेंद्र पूनिया, थाना सदर के थानाप्रभारी लक्ष्मण सिंह राठौड़, थाना जामसर के थानाप्रभारी मनोज शर्मा, थाना कालू के थानाप्रभारी सुभाषचंद, थाना पांचू के थानाप्रभारी परमेश्वर सुथार, सबइंसपेक्टर कन्हैयालाल, सत्यनारायण गोदारा, संदीप बिश्नोई, नानूराम, साइबर एक्सपर्ट योगेंद्र सुथार, कांस्टेबल रामस्वरूप, दीपक यादव, पुष्पेंद्र सिंह, ओमप्रकाश, मनफूल और राजेश कुमार आदि की एक टीम गठित की.

इस टीम ने करीब 4 महीने तक जो जांच की, उस से पता चला कि स्टूडेंट वीजा पर भारत में पढ़ाई के लिए आए नाइजीरियन छात्रों की दिल्ली में रहने वाली एक गैंग स्थानीय लोगों की मदद से इस तरह की ठगी की वारदात कर रही है. वे ठगी द्वारा हासिल की गई रकम को तत्काल हवाला के जरिए अफ्रीका भेज देते हैं. यही नहीं, उस रकम से सोना खरीद कर भी अफ्रीका भेजा जाता है. नोटबंदी के दौरान इन्होंने सोने की काफी खरीद की थी.

बीकानेर पुलिस ने अप्रैल, 2017 के दूसरे सप्ताह में सुरभि से 56 लाख रुपए की ठगी के मामले में 3 युवकों एवं एक महिला वकील को गिरफ्तार किया. इन में झारखंड के चतरा निवासी बैंक खाताधारक अजीत कुमार यादव भी शामिल था. अजीत ने अपना नाम अनिल कुमार उर्फ अभय गुप्ता रख कर फर्जी आईडी से बैंक में खाता खुलवाया था.

इस के अलावा ठगी में मदद करने वाले बाड़मेर के सिलोर समदड़ी निवासी फिलहाल बालोतरा में रह रहे श्रवण सिंह सोढ़ा और जोधपुर के पालड़ीनाथ के रहने वाले वीरेंद्रनाथ उर्फ महाराज गोस्वामी तथा हरियाणा के गुड़गांव के डीएलएफ फेज-1 की रहने वाली एक महिला वकील को गिरफ्तार किया गया था. वह कानूनी और प्रशासनिक मामलों पर नजर रखती थी.

पुलिस ने गिरफ्तार लोगों से करीब 3 लाख रुपए बरामद किए. इस के अलावा श्रवण सिंह सोढ़ा से एक लैपटौप, 4 मोबाइल फोन और सिमकार्ड, नाइजीरियन को दिए गए रुपयों के हिसाबकिताब की डायरियां, वीरेंद्रनाथ से 2 मोबाइल फोन, एक फर्जी वोटर आईडी, 2 डेबिट कार्ड आदि बरामद किए गए.

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और पुलिस की जांच से पता चला कि सुरभि से ठगी गई रकम बीकानेर के अलावा दिल्ली, पटना, गुवाहाटी और पुणे के विभिन्न बैंक खातों में जमा कराई गई थी. बीकानेर में शिवराम एंटरप्राइजेज और अनिल कुमार मांझी के नाम से एक ही व्यक्ति ने खाते खुलवा रखे थे.

पटना में शिवराम इंटरप्राइजेज और अभय गुप्ता के नाम से खाते खुलवाए गए थे. दोनों ही बैंक खातों में एक ही व्यक्ति के फोटो लगे थे. आगे की जांच में पता चला था कि नाइजीरियन छात्रों की गैंग अलगअलग साइटों से डाटा एकत्र कर के फेसबुक, ट्विटर एवं अन्य सोशल साइटों के जरिए व्यक्ति विशेष की जानकारी हासिल करती थी.

इन लोगों के बैंक खाते भारत में नहीं खुल सकते, इसलिए ये स्थानीय लोगों की मदद से अलगअलग बैंकों में फर्जी आईडी से चालू खाते खुलवा लेते थे. वेरिफिकेशन के लिए ये मकान या दुकान किराए पर लेते थे. इसी के साथ फर्जी आईडी से इकरारनामा तैयार कर के बैंकों में जमा कराते थे.

इस के बाद ये लोग अपना टारगेट बनाए व्यक्ति को झांसा दे कर बैंकों में रकम जमा कराते थे. बैंक में रकम आते ही ये लोग आरटीजीएस (रीयल टाइम ग्रौस सेटलमेंट सिस्टम) एवं एनईएफटी (नेशनल इलैक्ट्रौनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम) के जरिए रकम ट्रांसफर कर देते थे. छोटी राशि एटीएम और बड़ी राशि सेल्फ चैक से निकाल लेते थे.

ठगी के इस पूरे खेल में खाताधारक और मध्यस्थ को 10 से 15 प्रतिशत तक कमीशन दिया जाता था. बीकानेर पुलिस को इस गिरोह के कई बैंक खातों का पता चला है, जिन्हें फ्रीज करवा दिया गया है. इन खातों में 35 से 40 लाख रुपए तक जमा कराए गए थे.

केवल बीकानेर में ही इस गिरोह के सदस्यों ने 19 बैंक खाते खोल रखे थे, जिन में 5 खातों की जांच में एक करोड़ 87 लाख रुपए जमा होने की जानकारी मिली है. बाकी खातों की जांच की जा रही है. इस गिरोह द्वारा बीकानेर की सुरभि से 56 लाख की ठगी के अलावा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से 13 लाख रुपए और चंडीगढ़ से 11 लाख रुपए ठगे जाने की वारदातों का पता चला है.

गिरफ्तार अजीत कुमार यादव ने बीकानेर की बैंकों में खाते खुलवाने के लिए नोखा रोड पर मकान और रेलवे स्टेशन के पास पार्वती कौंप्लैक्स में दुकान किराए पर ली थी. उस ने बीकानेर में बैंक औफ इंडिया में 2 और आईडीबीआई बैंक में एक खाता खुलवाया था. बीकानेर में चालू बैंक खाते शिवराम इंटरप्राइजेज और बचत खाते अनिल कुमार मांझी के नाम से खुलवाए गए थे.

शिवराम इंटरप्राइजेज का प्रोपराइटर अनिल कुमार ही बना था, जिस का वास्तविक नाम अजीत कुमार यादव था. उस की बीकानेर जेल में शिनाख्त परेड कराई गई तो मकान और दुकान मालिकों ने उस की पहचान कर ली थी. झारखंड के चतरा का रहने वाला अजीत कुमार यादव कई महीने तक बीकानेर में रहा था.

ठग गिरोह ने दिल्ली और गुड़गांव में अपना ठिकाना बना रखा था. वीरेंद्रनाथ करीब 4 महीने तक गुड़गांव में किराए का कमरा ले कर रहा था. श्रवण सिंह सोढ़ा भी वहां आताजाता था. ये लोग ठगी के शिकार लोगों से बैंक खातों में जमा होने वाले रुपयों को निकालते थे और अपना कमीशन काटने के बाद नाइजीरियन को पहुंचाते थे.

कथा लिखे जाने तक हालांकि इस मामले में किसी नाइजीरियन की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, लेकिन राजस्थान की उदयपुर पुलिस ने औनलाइन फ्रौड का खुलासा कर 2 नाइजीरियन युवकों और मुंबई की एक महिला सहित 5 ठगों को पकड़ने में सफलता हासिल की थी.

उदयपुर जिले की थाना अंबामाता पुलिस ने इसी साल अप्रैल के पहले सप्ताह में संदीप मोहिंद्रा उर्फ सोनू पंजाबी एवं नरेश पंचाली को गिरफ्तार किया था. ये दोनों बदमाश बैंकों में फर्जी नाम से खाते खुलवा कर औनलाइन फ्रौड की राशि जमा कराने और अवैध रूप से प्राप्त रकम से सोनाचांदी खरीद कर उसे बेच कर रकम कैश कराने की जालसाजी में लिप्त थे.

पुलिस ने इन बदमाशों से कई बैंकों के एटीएम कार्ड, पासबुक के अलावा 2 हजार रुपए के नोटों की 5 गड्डियां और 5 सौ रुपए के नोटों की 2 गड्डियां, कुल 11 लाख रुपए नकद और 20 ग्राम गोल्डन बिस्किट व 7 किलोग्राम चांदी की 10 सिल्लियां बरामद की थीं.

ये दोनों उदयपुर के रहने वाले थे. बरामद रकम हवाला के जरिए नाइजीरियन गैंग को भेजी जानी थी. इन से पूछताछ में नाइजीरियन युवकों की गैंग द्वारा औनलाइन ठगी का खुलासा हुआ. पता चला कि इस में कई लोग शामिल थे. जिन लोगों के फर्जी बैंक खाते खुले थे, उन के जरिए औनलाइन ठगी की रकम आती थी.
इस रकम को एक नंबर की बनाने के लिए ये सोनाचांदी खरीदते थे. इस के बाद उसे कुछ कम दामों में सर्राफा व्यवसायियों को बेच देते थे. इस तरह रकम हासिल कर ये लोग आपस में बांट लेते थे. दोनों आरोपियों से पूछताछ में कई सर्राफा व्यवसायियों के नाम भी सामने आए हैं. जिन के खातों से आरटीजीएस से रुपए ट्रांसफर किए जाते थे.

गिरफ्तार संदीप मोहिंद्रा एवं नरेश पंचाली से पूछताछ के आधार पर उदयपुर पुलिस ने अप्रैल, 2017 के तीसरे सप्ताह में मुंबई से नाइजीरिया के रहने वाले विक्टर उर्फ कैलविन एवं इडूमी चार्ल्स और मुंबई की एक महिला प्रेमादास सोनी को गिरफ्तार किया था. इन से पूछताछ में करीब 3 करोड़ रुपए के औनलाइन फ्रौड का पता चला. यह भी पता चला कि आरोपियों ने लोगों से ठगे गए रुपयों से रेडीमेड कपड़े खरीद कर कार्गो के जरिए नाइजीरिया भेज दिए थे.

नाइजीरियन युवकों के इस गिरोह ने ठगी के कई तरीके अपना रखे थे. इन्होंने महिला के नाम से फेसबुक पर प्रोफाइल बनाई हुई थी. आमतौर पर पुरुष यूजर महिला प्रोफाइल पर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज देते हैं. उदयपुर पुलिस ने भी गिरोह तक पहुंचने के लिए महिला की प्रोफाइल पर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी.

इस पर महिला ने खुद को समुद्री जहाज पर अधिकारी बताया था. पुलिस की उस महिला से कई दिनों तक फेसबुक पर चैटिंग चलती रही. 5 दिनों बाद महिला ने फेसबुक पर बताया कि उस के जहाज पर समुद्री डाकू आ गए हैं. उस के पास काफी डौलर, पौंड और भारतीय मुद्रा है. इस राशि को सुरक्षित रखने के लिए वह पार्सल के जरिए उस के पास भेज रही है.

आमतौर पर इस तरह की बात जान कर अधिकांश लोग लालच में तुरंत हामी भर देते हैं और अपना पता दे देते हैं. इस के बाद उस महिला के बजाय गिरोह के स्थानीय लोग उस से संपर्क करते हैं और कहते हैं कि विदेश से आप का पार्सल आया है. इस की कूरियर राशि खाते में जमा करवाइए और पार्सल ले लीजिए.
एक बार रकम जमा होने के बाद फिर किसी न किसी क्लीयरेंस के बहाने कई बार रकम मांगी जाती है और बैंक खातों में जमा कराई जाती है. आमतौर पर एक-दो बार रकम जमा कराने के बाद भी पार्सल नहीं मिलने पर सामान्य आदमी चुप बैठ जाता है और ठग गिरोह के सदस्य भी उस से संपर्क नहीं करते.

इस के अलावा यह गिरोह सोशल नेटवर्किंग साइट पर विभिन्न देशों के वीजा बनवाने का विज्ञापन देते हैं. किसी आदमी के संपर्क करने पर ये लोग फर्जी वीजा की कौपी स्कैन कर उस आदमी को भेज देते हैं और उस से मोटी रकम वसूल करते हैं.

फर्जी सिम के जरिए लौटरी निकलने का झांसा दे कर प्रोसैसिंग चार्ज के नाम पर रकम हड़पने और इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि पर ब्रांडेड इलैक्ट्रौनिक सामान एवं नामी कंपनियों के रेडीमेड कपड़े सस्ते दामों पर बेचने के नाम पर भी ये लोग ठगी करते हैं.

दोनों नाइजीरियन युवकों और मुंबई की उस महिला ने पूछताछ में मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, इंदौर, विशाखापत्तनम सहित विभिन्न शहरों के तमाम लोगों से ठगी करने का अपराध स्वीकार किया है. जांच में पता चला है कि नाइजीरियन युवक विक्टर उर्फ कैलविन और मुंबई निवासी महिला प्रेमादास सोनी 2 बार उदयपुर आ चुके हैं. पुलिस ने इन के होटलों में ठहरने के रिकौर्ड जब्त किए हैं. ये लोग उदयपुर में संदीप मोहिंद्रा और नरेश पंचाली से मिल कर औनलाइन ठगी से हासिल रकम का हिसाबकिताब करने आए थे.

पुलिस ने विक्टर उर्फ कैलविन से भारत में बना हैदराबाद का वोटर आईडी कार्ड भी बरामद किया है. उस ने फर्जी तरीके से यह कार्ड बनवा लिया था. जांच में यह भी पता चला है कि यह गिरोह उदयपुर में 3 साल पहले मर चुके सेक्टर 14 निवासी प्रकाश हेमनानी के बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहा था. प्रकाश हेमनानी के नाम वाले आईसीआईसीआई बैंक के 2 खातों एवं एक्सिस बैंक के एक खाते के जरिए औनलाइन ठगी की जा रही थी.

ऐसा नहीं है कि नाइजीरियन गिरोहों की इस तरह की ठगी का पहली बार पता चला है. ये लोग स्थानीय लोगों की मदद से कई सालों से अलगअलग तरीकों से ठगी कर रहे हैं. सन 2015 के दिसंबर महीने में देहरादून पुलिस ने दून की महिला से कूरियर के नाम पर 20 लाख रुपए की ठगी के आरोप में एक महिला और 2 नाइजीरियन युवकों को गिरफ्तार किया था.

पिछले साल यानी सन 2016 में नोएडा में पकड़े गए नाइजीरियन गैंग के सदस्य जार्ज मार्टिन उर्फ एवर रेवबे ने कई अपराध स्वीकार किए थे. उस ने अंबाला की महिला तेजेंद्र कौर से ब्रिटिश नागरिक बन कर 15.48 लाख रुपए की ठगी की थी. मार्टिन ने फेसबुक पर तेजेंद्र से दोस्ती कर के खुद को अरबपति बताया था. एक दिन मार्टिन ने मुंबई से वाट्सऐप पर टिकट भेज कर अपने इंडिया आने की बात कही.

13 अक्तूबर को उस ने मुंबई एयरपोर्ट पहुंचने की बात कह कर अंबाला आने की इच्छा जताई. इस के बाद नेहा गुप्ता नाम की महिला का फोन आया कि मार्टिन की कस्टम ड्यूटी में 38 हजार रुपए कम हैं. यह रकम तेजेंद्र कौर ने बताए गए खाते में जमा करा दी. इस के बाद मनी लौंड्रिंग केस का झांसा दे कर 2.80 लाख रुपए और इस के बाद 3.28 लाख रुपए एनओसी और अन्य बहानों से खातों में जमा कराए गए.
नोएडा पुलिस ने नवंबर, 2016 में 4 नाइजीरियन युवकों एवर रेवबे, ओग्वू एंटोनीख सिकेरु ताइवू व फ्रांसिस ओबी सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया था. चारों नाइजीरियन 3 महीने के टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे. वीजा खत्म होने पर ये लोग दिल्ली में छिप कर रह रहे थे. ये फर्जी मेल के जरिए उद्यमियों एवं कारोबारियों से करोड़ों की ठगी कर रहे थे.

– कथा में सुरभि बदला नाम है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...