प्याज को ले कर मचा हाहाकार प्याज के दामों ने निकाला दम

नई दिल्ली : देश की सियासत को हिलाने की कूवत रखने वाले प्याज का रंग व महक पूरे आलम में आजकल छाई हुई है. ज्यादातर हिंदुस्तानी लोगों का खाना प्याज के बगैर अधूरा रहता है, इसीलिए करीबकरीब हर साल प्याज अपना वजूद जाहिर करने से नहीं चूकता. आमतौर पर 10 से 20 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाला प्याज जब 40-50 का दायरा पार कर लेता है, तो आम लोगों को तकलीफ होने लगती है. आजकल सब्जी मंडी का आलम कुछ वैसा ही है. घटिया प्याज 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मिल रहा है, तो बेहतरीन प्याज 80 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर उपलब्ध है. तमाम दुकानदारों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में प्याज के दाम 100 रुपए प्रति किलोग्राम भी हो सकते हैं. ऐसे में हाहाकार मचना लाजिम है. भारत की सब से बड़ी थोक मंडी नासिक के लासलगांव में पिछले दिनों प्याज का दाम 4900 रुपए प्रति  कवटल तक पहुंच गया था, जो पिछले 2 सालों का सब से ऊंचा स्तर है. इसी वजह से खुदरा स्तर पर दिल्ली में प्याज के दाम 80 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए.

नेशनल हार्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक आरपी गुप्ता के मुताबिक गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में खेतों से प्याज उखाड़ने में देरी होने की वजह से इस की आपूर्ति में कमी हुई है, नतीजतन कीमतों में इजाफा हुआ है. जल्दी ही इस मामले में राहत मिलने की खास उम्मीद नहीं है, क्योंकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बरसात कम होने की वजह से खरीफ वाले प्याज के उत्पादन में कमी होने का अंदाजा है. इधर देश में जमा किया गया प्याज का भंडार 28 लाख टन से घट कर आधा यानी करीब 14 लाख टन हो गया है और मौजूदा हालात में प्याज के इस भंडार के लगातार घटने के आसार हैं. केंद्र सरकार इस मामले में लगातार हाथपांव मार रही है. वह 10 हजार टन प्याज के आयात के लिए वैश्विक टेंडर जारी करने को कह चुकी है. पांजब के प्याज वितरक अफगानिस्तान से भी प्याज आयात कर रहे?हैं. केंद्र सरकार की कोशिशों का असर एशिया की प्याज की सब से बड़ी मंडी नासिक के लासलगांव (महाराष्ट्र) और देश की राजधानी दिल्ली की आजादपुर मंडी में कुछ हद तक दिखने लगा है, मगर फिलहाल हालात काबू में नहीं कहे जा सकते. वैसे सरकार ने प्याज की कीमतों पर लगाम लगाने की खातिर निर्यात कीमत को 425 अमेरिकी डालर प्रति टन से बढ़ा कर 700 अमेरिकी डालर प्रति टन कर दिया है. इस के अलावा केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से प्याज की जमाखोरी के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के लिए भी कहा है. दिल्ली और उस के आसपास के इलाके के लोगों को आंध्र प्रदेश व कर्नाटक से आने वाले प्याज से काफी राहत पहुंचने की उम्मीद है.                    

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किसानों को मिलेंगे 2100 करोड़ रुपए

लखनऊ : बेबस और परेशान गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में अब बड़ी राहत मिलने वाली है. गन्ना मूल्य भुगतान की समस्या से जूझ रहे चीनी कारोबार पर आखिरकार सूबे की सरकार की मेहरबानी हो ही गई. अब उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार 28.60 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खुद गन्ना मूल्य का भुगतान करेगी. यह रकम कुल मिला कर 2100 करोड़ रुपए बैठती है. इस रकम को सीधे किसानों के खातों में डाला जाएगा. उच्च न्यायालय में गन्ना मूल्य भुगतान पर होने वाली सुनवाई से पहले ही सूबे की सरकार ने तमाम चीनी मिलों और गन्ना किसानों की भलाई के लिए यह अहम फैसला लिया है. गौरतलब है कि पेराई सत्र 2014-15 के लिए गन्ना मूल्य 280 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया था. इस मूल्य में से 240 रुपए का भुगतान गन्ना आपूर्ति के 14 दिनों तक और बाकी 40 रुपए का भुगतान पेराई सत्र खत्म होने के 3 महीने बाद करना तय किया गया?था. पेराई सीजन शुरू होने के वक्त सरकार ने चीनी मिलों को?टैक्स के रूप में 11.40 रुपए प्रति क्विंटल छूट दी थी और चीनी के दाम में गिरावट होने पर उस की भरपाई का वादा किया था.

इस काम के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी गठित की गई थी. इस कमेटी ने चीनी के दाम में गिरावट होने पर शुगर मिलों को 20 रुपए प्रति क्विंटल की भरपाई करने का फैसला किया. 8.60 रुपए प्रति क्विंटल की नकद मदद का फैसला पहले ही लिया जा चुका है. दोनों फैसलों को मिला कर कुल 28.60 रुपए प्रति क्विंटल की मदद करने का अहम फैसला लिया गया. प्रमुख सचिव ने बताया कि गन्ना मूल्य भुगतान के लिए इतनी तगड़ी राहत राशि देश के किसा अन्य सूबे की सरकार ने नहीं दी, जितनी कि उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार ने दी है. उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को?टैक्स में 11.40 रुपए प्रति क्विंटल की छूट दी जा रही?है और 28.60 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गन्ना मूल्य सीधे किसानों को दिया जाने वाला?है. यानी इस तरह से कुल मिला कर उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार ने चीनी मिलों को 40 रुपए (11.40+28.60) प्रति क्विंटल की राहत दी?है. सरकार के इस कदम को काबिलेतारीफ कहा जाएगा.     

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अब बनेगी किसान डायरेक्टरी

पटना : किसानों को खेती के गुर बताने और उन्हें ट्रेंड करने के लिए बिहार के प्रगतिशील किसानों की मदद ली जाएगी. इस में कृषि वैज्ञानिकों को भी शामिल किया जाएगा. इस के लिए सूबे के प्रगतिशील किसानों की डायरेक्टरी बनाई जा रही है, जिस में किसानों की उपलब्धियों के साथ उन के बारे में पूरी जानकारी मौजूद रहेगी. कृषि महकमे का दावा है कि खेती की ट्रेनिंग ट्रेंड किसानों के जरीए किसानों को देने से किसानों के साथसाथ खेती को भी काफी फायदा पहुंचेगा. किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए साल भर का कलेंडर तैयार किया जा रहा है. इस के अलावा प्रगतिशील किसानों को दूसरे राज्यों में भेज कर वहां की खेती के तौरतरीकों से वाकिफ कराने की भी योजना है. किसानों को हर फसल के बेहतरीन उत्पादन के बेहतर तरीके सिखाने के लिए प्रगतिशील किसानों के खेतों तक भी ले जाया जाएगा.

इस के साथ ही हर प्रखंड में एक कृषि वैज्ञानिक को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे सरकारी योजनाओं को खेतों में उतारने से पहले अफसरों की मदद करें. वे अनाज उत्पादन से ले कर भंडारण तक के बारे में किसानों को जानकारी देंगे. इस के लिए जिला व प्रखंड स्तर पर वैज्ञानिकों, कृषि विभाग के अफसरों और दूसरे संबंधित विभागों के अफसरों की टीम बनाने पर काम चल रहा है.                    

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बवाल

गन्ने पर विधानसभा में टंटाफसाद

लखनऊ : किसानों को गन्ना दाम भुगतान के मुद्दे को ले कर तमाम विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधानसभा में जम कर बवाल किया. उन्होंने खुल कर नारेबाजी की और धरना दिया. गन्ना मूल्य भुगतान की समय सीमा तय न किए जाने से बौखलाए रालोद और कांग्रेस के सदस्यों ने शाम को विधानसभा की कार्यवाही खत्म हो जाने के बाद भी संसद में धरना दिया. आखिरकार करीब 2 घंटे के धरने के बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद ने दखल दे कर यह धरना खत्म कराया. गन्ना किसानों की दिक्कतों पर चर्चा करते हुए रालोद के सुदेश शर्मा ने कहा कि भुगतान न होने से किसान खुदकुशी करने पर मजबूर हो रहे हैं.

कांग्रेस के पंकज मलिक ने कहा कि 43 जिलों के गन्ना किसानों की दिक्कतों की तरफ सरकार का ध्यान ही नहीं?है. बसपा के लोकेश दीक्षित ने कहा कि बागपत के एक गन्ना किसान ने बहन का इलाज कराने में नाकाम रहने पर खुदकुशी कर ली थी. भाजपा के सुरेश राणा ने कहा कि गन्ने से 55 लाख किसान परिवारों के साढ़े 3 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं. सूबे की सरकार की ओर से खेलकूद मंत्री रामकरन आर्य ने कहा कि सरकार किसानों को पाईपाई गन्ना मूल्य दिलाएगी.          

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हालात

टमाटर के भी बदलते तेवर

पुणे : इस साल टमाटर का बढि़या उत्पादन होने से थोक बाजार में इस की कीमत काफी नीचे रही, हालांकि बडे़ शहरों के कुछ खुदरा बाजारों में टमाटर की कीमतों में उतारचढ़ाव देखा गया. बता दें कि पिछले 2 सालों में टमाटर के दाम 70-80 रुपए प्रति किलोग्राम तक हो गए थे, पर इस साल थोक बाजार में टमाटर की कीमत कभी ऊपर, तो कभी नीचे रही. आजादपुर मंडी, दिल्ली में टोमैटो ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक अफसर ने बताया कि उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों से सप्लाई अच्छी है, जबकि एक्सपोर्ट न के बराबर है. इस वजह से टमाटर की कीमत में उतारचढ़ाव देखा गया. ऐसोचैम की एक स्टडी में कहा गया था कि थोक मंडियों और रिटेल बाजारों की कीमतों में भारी फर्क है. इस वजह से गोभी, आलू, बैगन और टमाटर के दामों में तकरीबन 60.76 फीसदी तक का फर्क हो सकता है. पिछले 2 सालों में अच्छे दाम मिलने से किसानों ने इस बार टमाटर का रकबा बढ़ाया था, पर उम्मीद के मुताबिक टमाटर बिके नहीं. महाराष्ट्र के नासिक बाजार में टमाटर की सप्लाई सामान्य समय से 1 महीना पहले ही शुरू हो गई थी. इस वजह से टमाटर की कीमत काफी नीचे आ गई थी, पर अब फिर से टमाटर आंखें तरेरने लगा है.                     

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इंतहा

प्याज की खातिर इनसान की हत्या

पटना : बिहार के लोग दिल्लीमुंबई जैसे इलाकों में आ कर तो मजबूर व लाचार से नजर आते?हैं, मगर सूबे के अंदर अकसर वे खासे खतरनाक व खूंखार साबित होते?हैं. आजकल प्याज की बदहाली का असर देश के कई इलाकों में छाया हुआ?है. इसी वजह से बिहार के एक होटल मालिक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. बात बेगूसराय की है. वहां कुछ ग्राहकों ने एक होटल के मालिक का कत्ल महज इसलिए कर दिया, क्योंकि उस ने खाने की थाली में प्याज नहीं परोसा था. हादसा एक रात का है. कुछ लोग खाना खाने के इरादे से बरौनी जंक्शन के पास के ललित नारायण बाजार स्थित सम्राट होटल गए थे. होटल के मालिक मधु कुमार ने जब खाना पेश किया तो उस में प्याज नहीं था. खाने की थाली में प्याज न पा कर ग्राहक बिदक गए और होटल मालिक से लड़ने लगे. जब बात ज्यादा ही बढ़ गई तो उन में से एक ग्राहक ने पिस्तौल निकाल कर मधु पर कई गोलिया चला दीं, नतजीतन आननफानन में मधु की मौत हो गई. महंगा प्याज किस कदर घातक हो सकता?है, इस का अंदाजा इस हादसे से लगाया जा सकता?है. क्या इनसान की जिंदगी इतनी मामूली और सस्ती हो गई है   

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फरमान

किसानों को मुआवजा देने का आदेश

इलाहाबाद : मथुरा के गोकुल बैराज में 11 गांवों के किसानों की जमीनें डूबने के बाद हाईकोर्ट ने उन को राहत पहुंचाने के लिए मुआवजा देने का फरमान सुनाया है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अक्तूबर महीने से हर किसान को 10 हजार रुपए हर महीने मुआवजा दिया जाए. उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार को इस मसले पर 29 सितंबर को जवाब देना होगा. जागरूक किसान हेतराम के साथ 4 अन्य किसानों ने इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी, जिस पर न्यायमूर्ति राकेश तिवारी और मुख्तार अहमद की खंडपीठ ने सुनवाई की. तमाम किसानों का कहना था कि यमुना नदी पर गोकुल बैराज बनाने के लिए उन की जमीनें ली गई थीं. साल 2000 में यह बैराज बन कर तैयार हो गया. इस बैराज में 165 मीटर पानी भरा गया, जिस से आसपास के 11 गांवों की जमीनें डूब गईं. इस से किसानों को खासा नुकसान हुआ. इसी की भरपाई के लिए किसानों ने मुआवजे की मांग की थी, मगर सरकार ने उसे ठुकरा दिया. तब 2013 में चंद किसानों ने हाईकोर्ट में यचिका दाखिल की, जिस का नतीजा सामने है.      

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फैसला

मैगी विवाद सुलझते देख बच्चों में खुशी की लहर

मुंबई : मुंबई हाईकोर्ट का फैसला मैगी के पक्ष में जाते देख बच्चों में खुशी की लहर दौड़ गई. 2 मिनट में बनने वाली मैगी जब से बाजार से गायब हुई है, तब से बच्चों के चेहरे मायूस थे, क्योंकि दूसरी कंपनियों के नूडल्स बच्चों की जबान पर नहीं चढ़े हैं. सुबहसवेरे 2 मिनट में बनने वाली मैगी को बच्चे अपने लंच बौक्स का हिस्सा बनाने लगे थे. हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मैगी अब जल्दी ही बाजार में दोबारा बिकने की उम्मीद है. हालांकि यह खबर चौंकाती जरूर है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से मैगी में जरूरत से ज्यादा लेड पाए जाने पर काफी बवाल मचा है. मैगी पर बैन लग जाने के बाद मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने ठेके पर काम करने वाले मुलाजिमों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, पर भला हो बांबे हाईकोर्ट का जिस ने मैगी से बैन हटाने का फैसला लिया है. बैन हटाने से पहले बांबे हाईकोर्ट ने मैगी के नमूनों को हैदराबाद, मोहाली और जयपुर की लैबों से जांच कराने को कहा है. अगर मैगी के सारे सैंपल सही पाए जाते हैं, तभी मैगी बाजार में बेची जा सकेगी. साथ ही बांबे हाईकोर्ट ने नेस्ले कंपनी को हिदायत दी है कि वह बैन से पहले वाला स्टाक नहीं बेचेगी.

गौरतलब है कि एफएसएसएआई ने 5 जून, 2015 को मैगी में ज्यादा मात्रा में लेड की मिलावट पाए जाने की शिकायत के बाद उस पर बैन लगा दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बैन लगाने से पहले कंपनी को नोटिस जारी किया जाना चाहिए था. विवाद के बाद से मैगी देश में किसी भी दुकान पर नहीं बेची गई. कंपनी ने मैगी के सारे पैकेट मंगा लिए थे. साथ ही नेस्ले ने मैगी का काफी स्टाक जला दिया था. नेस्ले कंपनी ने भारत में बैन लगने के बाद वही सैंपल विदेश में जांच कराए थे, लेकिन वहां यही सैंपल सही पाए गए, जबकि भारत में उस में अलगअलग रिजल्ट आए. इस से कंपनी का कोर्ट में पक्ष मजबूत हुआ. वहीं नेस्ले कंपनी ने दावा किया है कि भारत में जांच प्रक्रिया ठीक नहीं है. मैगी में लेड और मर्करी की मात्रा मानक के अनुसार ही है. नेस्ले इंडिया की याचिका को मंजूर करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने मैगी पर रोक के आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही बांबे हाईकोर्ट ने एफएसएसएआई से जवाब भी मांगा है कि आखिर मैगी पर बैन क्यों लगाया गया? बांबे हाईकोर्ट ने अभी नेस्ले कंपनी को मैगी बेचने की अनुमति नहीं दी है. कोर्ट ने कहा है कि जब तक मैगी के सैंपल टेस्ट में पास नहीं हो जाते, तब तक कंपनी बाजार में मैगी नहीं बेच सकेगी. यानी बच्चों को अपनी मनपसंद लजीज मैगी का लुत्फ उठाने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा.                               

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मुहिम

सोलरपंप व सोलरप्लांट योजना

फायदे की योजना पर राजस्थान सरकार ने चलाई कैंची

जयपुर : किसानों के हित व कृषि क्षेत्र में फायदे के लिए चल रही कई तरह की योजनाएं सरकार की उदासीनता व बेरुखी के चलते दम तोड़ती नजर आ रही हैं. पिछली सरकार ने किसानों को खेतीबारी में फायदा पहुंचाने व कृषि क्षेत्र को आधुनिकता की ओर ले जाने के लिए सब्सिडी पर आधारित कई तरह की योजनाएं चलाई थीं, मगर उन के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक नहीं कहे जा सकते. सरकार के कृषि व उद्यान महकमे ने साल 2011-12 में सौर उर्जा पर आधारित सोलरपंप योजना, खेततलाई योजना, ड्रिप इरीगेशन सिस्टम, ग्रीनहाउस व पौलीहाउस जैसी ढेरों योजनाएं चलाई थीं, लेकिन इस सत्र यानी साल 2014-15 में इन तमाम योजनाओं के संचालन के लिए किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को कम कर दिए जाने से ये योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं. इन्हीं योजनाओं में से एक योजना है, सोलरपंप परियोजना. इस योजना में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को घटा कर कम कर दिए जाने से उद्यान महकमे द्वारा साल 2014-15 में तय किए गए टारगेट के मुताबिक आवेदन तक नहीं आए हैं. इन में भी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के तो नाममात्र ही आवेदन आए हैं.

विभागीय अफसरों द्वारा इस की मूल वजह यह बताई जा रही है कि संयंत्र पर कुल लागत में विभागीय अनुदान कम कर दिया गया है. इस में विभाग की ओर से सभी जिलों में वर्गवार लक्ष्य दिए गए हैं, लेकिन लक्ष्यों की पूर्ति नहीं हो पा रही है. गौरतलब है कि किसानों को स्वावलंबी बनाने के लिए उद्यान महकमे की ओर से पंप आधारित परियोजना की शुरुआत साल 2011-12 में की गई थी.  इस में 3 हार्सपावर व 5 हार्सपावर की मोटर के लिए सौर उर्जा प्लांट लगाने पर अनुदान देय था. इस के लिए लागत का कुल 86 फीसदी अनुदान उद्यान महकमे की ओर से दिया जाता रहा है. लेकिन इस साल से विभाग ने अनुदान कम कर दिया है. इस के चलते लक्ष्य के मुकाबले आधे से भी कम आवेदन आए हैं. जयपुर जिले में तो कुल 458 में से 16 ही आवेदन आए हैं.

साल 2014-15 के लिए विभाग ने अनुदान कम कर दिया है. इस में एससी व एसटी वर्ग के लोगों के लिए 2 से 5 एचपी मोटरपंप के लिए 45 हजार रुपए प्रति एचपी का अनुदान तय है, जबकि ओबीसी व सामान्य वर्ग के किसानों के लिए अनुदान 35 हजार रुपए प्रति एचपी के हिसाब से तय किया गया है. उद्यान विभाग की ओर से प्रदेश भर में कुल 5,200 सौर उर्जा आधारित मोटरपंपों का लक्ष्य रखा गया था. वहीं जयपुर जिले में 458 मोटरपंपों का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन लक्ष्य की पूर्ति के लिए आवेदन नहीं आने से लक्ष्य को लगभग दोगुना कर के आवेदन जमा कराने की आखिरी तारीख भी बढ़ा दी गई है. अब 30 नवंबर, 2015 तक आवेदन जमा कराए जा सकेंगे. यही हाल पूरे राज्य का रहा. प्रदेश भर से महज 200 आवेदन ही आए हैं.  

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इन का कहना है

इस साल लक्ष्य के मुकाबले कम आवेदन आए थे. इसे देखते हुए विभाग की ओर से फिर से आवेदन मांगे गए हैं. सब्सिडी घटानेबढ़ाने का फैसला सरकार का है. हम ने जिले में किसानों से फिर से आवेदन मांगे हैं. इस के लिए जिले के सभी कृषि अधिकारियों व पर्यवेक्षकों को निर्देश दिए गए हैं.

– दानवीर वर्मा, डिप्टी डायरेक्टर, कृषि एवं उद्यान विभाग, दुर्गापुरा, जयपुर.

किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी घटाए जाने से किसान सौर उर्जा आधारित पंप परियोजना में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. यही हाल ड्रिप इरीगेशन सिस्टम का भी है. सरकार यदि पूर्व में दी जा रही सब्सिडी को जारी रखती तो किसानों के फायदे की ये योजनाएं कामयाब हो कर परवान चढ़तीं.

-वासुदेव शर्मा, कृषि पर्यवेक्षक, उद्यान विभाग जयपुर. 

प्रदेश में किसानों के फायदे की दर्जन भर योजनाएं चल रही हैं, लेकिन इन योजनाओं के संचालन के लिए किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती कर के सरकार गलती कर रही है. पंरपरागत तरीके से खेती कर रहे किसानों का रुझान इन योजनाओं के जरीए आधुनिक व तकनीकी खेती की ओर बढ़ रहा है, लेकिन पहले दिए जा रहे अनुदान में कटौती करने का सरकार व विभाग का फैसला इस में भारी अड़चन बन रहा है. 

  -रामकिशन चौधरी, अध्यक्ष, किसान सेवा समिति चाकसू, जयपुर.

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मांग

नालंदा में विदेशी दलहन का जलवा

बिहारशरीफ : बिहार के नालंदा जिले की मंडियों में विदेशी किस्म की दालों और मटर की काफी मांग है. रोजाना करीब 20 क्विंटल दालों की खपत हो रही है. तुर्की की मसूरदाल और आस्ट्रेलिया के मटर को काफी पसंद किया जा रहा है. विदेशी मसूर और मटर की क्वालिटी देसी मूसर और मटर से काफी अच्छी है और खास बात यह है कि इन की कीमत भी कम है. लोकल मूसरदाल जहां होलसेल मंडी में 82 सौ रुपए प्रति पैकेट (50 किलोग्राम) की दर से मिल रही है, वहीं तुर्की की मूसरदाल के 1 पैकेट की कीमत 68 सौ रुपए है. खुदरा बाजार में इस की कीमत 72 रुपए प्रति किलोग्राम है. दाल के कारोबारी रामजी साहू कहते हैं कि पिछले मार्च के महीने में बारिश होने की वजह से नालंदा जिले में रबी की फसलों को बहुत नुकसान हुआ था. डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं होने की वजह से लोकल दालों की कीमतें बढ़ गई.

इसी का फायदा बड़े कारोबारियों ने उठाया और जिले की मंडियों में तुर्की की मसूरदाल और कनाडा व आस्ट्रेलिया का हरामटर उतार दिया. स्वाद और खुशबू बेहतर होने और कीमत कम होने से लोग इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं. देसी मटर की तुलना में विदेशी मटर जल्दी पकता भी है. सीधी सी बात है कि वाजिब दामों पर अगर उम्दा चीजें हासिल होंगी, तो आम जनता द्वारा उन का स्वागत किया ही जाएगा.       

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उतार

चाय एक्सपोर्ट में 90 लाख किलोग्राम की कमी

कोलकाता : इंडियन चाय एक्सपोर्टर्स को विदेशों में चाय की मांग के घटने से खासी परेशानी हो रही है. पिछले 5 महीने में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 90 लाख किलोग्राम चाय का एक्सपोर्ट कम हुआ है. पाकिस्तान और मिश्र दक्षिण भारत से ज्यादा चाय नहीं खरीद रहे हैं, जबकि यूरोप की तरफ  से दार्जिलिंग की चाय में केमिकल के होने की बात पर एतराज जताया गया है. चाय में केमिकल होने का मुद्दा उठने से चाय के एक्सपोर्ट में कमी आई है. दार्जिलिंग के 87 चाय बागानों में सालभर में तकरीबन 90 लाख किलोग्राम चाय पैदा होती है. इस से एक्सपोर्टर्स को अच्छाखासा मुनाफा होता है. इसी तरह पूरे दक्षिण भारत में 20 करोड़ किलोग्राम चाय होती है, जिस में से 10 लाख किलोग्राम चाय एक्सपोर्ट होती है.

यह बात इंडियन टी एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन डायरेक्टर आजम मुनीम ने बताई. उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के दूसरे देशों में असम की चाय की मांग काफी ज्यादा है. ब्रिटेन, पाकिस्तान और मिश्र में अच्छी क्वालिटी वाली असम की चाय की मांग काफी है. इंटरनेशनल मार्केट में केन्या की चाय की कीमत ़3.5 से 4.5 डालर प्रति किलोग्राम पड़ती है, जबकि अच्छी क्वालिटी वाली असम की चाय की कीमत ़3.5 डालर प्रति किलोग्राम पड़ रही है. पिछले दिनों भारी बारिश के चलते असम में चाय की फसल काफी प्रभावित हुई थी. इस वजह से असम में चाय का उत्पादन कम रहा.                 

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इंतजाम

पाकिस्तानी प्याज पोंछेगा आम लोगों के आंसू

नई दिल्ली : प्याज के दाम सुन कर अच्छेभले भी अब नाकभौं सिकोड़ने लगे हैं. कुछ तो प्याज के दाम सुने बिना ही आगे बढ़ जाते हैं, तो कुछ मोलभाव करने लगते हैं. महंगा प्याज अब आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है. दिल्ली में बढ़ते प्याज के दामों को रोकने के लिए पाकिस्तान सहित दुनिया के दूसरे देशों से भी प्याज मंगाए जाने की तैयारी की जा रही है. प्याज के दाम न बढ़ें, इस के लिए नेशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन यानी नेफेड ने पाकिस्तान से 10 हजार मीट्रिक टन प्याज मंगाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया है. चूंकि पाकिस्तान और चीन से प्याज लाना सब से आसान है, लिहाजा इस टेंडर में इन दोनों देशों के जरीए प्याज आने की उम्मीद है. उम्मीद तो यह भी है कि प्याज की यह खेप आने के बाद इस की बढ़ती कीमतों को काबू किया जा सकेगा. खुदरा बाजार में प्याज की कीमत तकरीबन 60 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, जबकि थोक में प्याज की कीमत 50 रुपए प्रति किलोग्राम तक है. नेफेड के अधिकारियों के मुताबिक अभी उन का मकसद राजधानी दिल्ली सहित दूसरे इलाकों में प्याज पहुंचाना है.               

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गन्ना समितियों के कमीशन में कटौती

लखनऊ : चीनी के कारखानों और गन्ना किसानों के दर्मियान पुल का काम करने वाली सहकारी गन्ना विकास समितियों को करारा झटका लग सकता?है. चीनी के कारखानों को राहत पहुंचाने के इरादे से प्रदेश सरकार गन्ना समितियों के कमीशन में कमी कर सकती है. प्रमुख सचिव ‘चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास’ राहुल भटनागर और गन्ना आयुक्त सुभाष चंद्र शर्मा ने तमाम गन्ना समितियों के अध्यक्षों को इस बात के संकेत दिए?हैं. आमतौर पर गन्ने की आपूर्ति के लिए तमाम चीनी मिलें अपने इलाके की गन्ना समितियों से करार करती?हैं. करार के बाद समितियों के सदस्य बेसिक कोटे के हिसाब से चीनी मिलों को गन्ना मुहैया कराते?हैं. इलाके के किसानों को बीज, खाद और कृषि मशीनें वगैरह मुहैया कराने के अलावा समितियों का अहम काम गन्ने का सर्वे करना और तोल के लिए पर्ची जारी करना?है. इस काम के बदले चीनी मिलें इन गन्ना समितियों को केंद्र सरकार द्वारा घोषित उचित व लाभकारी मूल्य पर 3 फीसदी कमीशन देती हैं. मगर मिलों के हित में सरकार कमीशन घटाने पर विचार कर रही?है.               

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बाढ़ को मात देगी राजेंद्र मसूरी

पटना : बाढ़ से ग्रस्त सभी राज्यों के लिए चावल की नई वेराइटी ‘राजेंद्र मसूरी’ काफी मुफीद साबित होगी. भयंकर बाढ़ के बीच भी इस किस्म के पौधे सीना तान कर खेतों में खड़े रहेंगे और नहीं गलेंगे. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों का दावा है कि राजेंद्र मसूरी के पौधे 20 से 25 दिनों तक बाढ़ के पानी में डूबे रहने के बाद भी न सड़ेंगे और न ही गलेंगे. चावल की इस नईनवेली किस्म पर पिछले 5 सालों से लगातार रिसर्च चल रही थी. परिषद अगले 2 सालों में इस किस्म को किसानों को मुहैया कराएगी. बाढ़ के असर वाले इलाकों के किसानों के लिए यह किस्म भरपूर मुनाफा देने वाली साबित होगी. यह किस्म किसानों को प्रति एकड़ 50 क्विंटल धान की उम्दा फसल देगी. इस किस्म की सब से बड़ी खासीयत यह है कि बाढ़ के पानी में डूबने पर इस के पौधे काम करना बंद कर देते हैं यानी पूरी तरह से नींद में चले जाते हैं. पानी उतरने के बाद वे फिर से काम करना शुरू कर देते हैं. चावल की बाकी किस्में पानी में डूबने के 8-10 दिनों बाद ही सड़ जाती हैं. बिहार के बाढ़ग्रस्त जिलों मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, समस्तीपुर, छपरा, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण में चावल की राजेंद्र मसूरी किस्म किसानों की मेहनत और पूंजी को डूबने नहीं देगी.         

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मुद्दा

 

राजधानी में हो किसान स्मारक

नई दिल्ली : 10 अगस्त, 2015 की सुबह हजारों किसान जंतरमंतर पर थे. स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने किसानों की आवाज बुलंद करते हुए उन्हें भविष्य की कृषि का सपना दिखाया. सुबह होते ही जंतरमंतर पर दूरदूर से बसों और दूसरे साधनों से किसानों के जत्थे पहुंचने लगे. 10 बजने तक भारी तादाद में किसान पहुंच गए थे. खेती करने वाले लोगों के हुजूम में सिर्फ  पुरुष किसान ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी थीं. इस रैली में जुटी महिलाओं का जोश देखते ही बनता था. मंच के सामने एक पाइप से सैकड़ों मिट्टी के कलश टांगे गए थे. इन कलशों में देश के तमाम इलाकों से गांवों के खेतों की मिट्टी यहां भेजी गई थी. प्रोफेसर आनंद कुमार ने दिल्ली के रेसकोर्स की जमीन को किसानों की जमीन बताते हुए वहां पर यादगार किसान स्मारक बनाने की मांग की. दिन की चिपचिपाहट भरी गरमी में चारों तरफ  लाउडस्पीकरों के शोर में हजारों किसान सड़क पर बैठ कर अपने नेताओं की बातों को पूरे ध्यान से सुन रहे थे.  किसानों की मुख्य मांगें इस प्रकार थीं:

भूमि अधिग्रहण कानून का 2015 में लाया गया बिल वापस लिया जाए.

हर किसान परिवार को 15 हजार रुपए हर महीने आमदनी की गारंटी मिले.

हर भूमिहीन परिवार को 2 एकड़ जमीन मिले.

कुदरती आपदा के दौरान फसल के नुकसान की हर हाल में भरपाई हो.

रेसकोर्स की जमीन किसानों की है, उस जमीन पर किसान स्मारक बने.                ठ्ठ

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हूलियत

मोबाइल पर मिलेगी राशन की खबर

चंडीगढ़ : हरियाणा में अब राशन लेने के लिए दुकानों पर लंबीलंबी लाइनों में नहीं लगना पडे़गा. अब यह जानकारी मोबाइल फोन में आ जाएगी. हरियाणा में अब पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम यानी पीडीएस के जरीए राशन लेने वाले उपभोक्ताओं को राशन आने की जानकारी उन के मोबाइल फोन पर मिलेगी. इस के लिए पीडीएस सिस्टम को माहिरों द्वारा पूरी तरह डिजिटल किया जाएगा. यह जानकारी खाद्य व आपूर्ति मंत्री कर्णदेव कांबोज ने एक बैठक में दी. उन्होंने कहा कि पीडीएस सिस्टम के तहत गांवों में बांटे जाने वाले आटा, दाल, चावल, चीनी, तेल और दूसरी चीजों की सूचना अब उपभोक्ताओं को उन के मोबाइल फोन पर दी जाएगी. इस के लिए पंचकूला में 20 डिपो होल्डर्स को चुन लिया गया है. उन का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने और किसानों को उन की फसल की वाजिब कीमत दिलाने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की जाएगी. इस के तहत किसानों की ओर से बेची गई फसल का पूरा भुगतान चेक से किया जाएगा. इस से किसानों को बिचौलियों से नजात मिलेगी.  

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मुहिम

खेती को बचाने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी : बादल

संगरूर : खेती करने में आ रही परेशानियों को दूर करने और किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी को रोकने की खातिर तुरंत कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है. मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने खेती को फायदेमंद बनाने के लिए तुरंत एक कमेटी बनाने व उस के सुझाव प्राप्त कर उन्हें जल्द से जल्द लागू करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि देश में खेतीबारी इस समय गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है, जो हमारा सब से अहम काम है.  उन्होंने केंद्र की मौजूदा सरकार व पिछली सरकारों से कई बार बात की और फसलों की कीमतें स्वामीनाथन कमेटी के अनुसार तय किए जाने की मांग की, पर नतीजा कुछ नहीं निकला. उन का कहना है कि इस बारे में अगर तुरंत कारगर कदम न उठाए गए, तो पूरी खेती तबाह हो सकती है. वहीं मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने माना कि आज भी शहीदों द्वारा देश को ले कर देखे गए सपने अधूरे हैं. देश में लोग गरीब हैं, अनपढ़ हैं. साथ ही बुनियादी सुविधाओं की कमी है और लोग रोजगार की समस्या से जूझ रहे हैं. पंजाब सरकार लोगों को तालीम देगी, सेहत की सुविधाएं मुहैया कराएगी और बुनियादी सुविधाएं देने की कोशिश करेगी. उन्होंने इस बात की उम्मीद जताई की जल्द ही हालात बेहतर होंगे.          

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फुजूल

बेकार साबित हो रही कृषक दुर्घटना बीमा योजना

लखनऊ : कृषक दुर्घटना बीमा योजना आड़े वक्त में किसानों की मदद के लिए बनाई गई थी, मगर किसानों को इस का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है. बजट की तंगी ने इस योजना का वजूद ही बिगाड़ दिया है. तमाम किसानों को जबतब मदद की दरकार रहती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर यह योजना उन्हें धता बता देती है. ऐसी बातों से ही किसानों का सरकारी योजनाओं से यकीन उठ जाता है और वे खुद को लाचार समझ बैठते हैं, जो कि हकीकत है. सरकार ने पिछले दिनों 200 करोड़ रुपए के बजट का इंतजाम किया था, लेकिन वह जरूरत के मुताबिक बेहद कम था. 5 हजार से ज्यादा किसानों की पैसे की किल्लत इस से दूर होने वाली नहीं. उत्तर प्रदेश सूबे के ढाई करोड़ खातेदार, सहखातेदार किसानों के लिए कृषक दुर्घटना बीमा योजना लागू है. इस में बाढ़ आने, आग लगने, बिजली गिरने, मकान गिरने, वाहन ऐक्सीडेंट होने, डकैती पड़ने, आतंकवादी हादसा होने, फसाद या मारपीट होने और नदीतालाब वगैरह में डूबने जैसी वजहों या किसी अन्य हादसे में मरने पर 5-5 लाख रुपए की मदद की जाती?है. स्थायी अपंगता या ज्यादा जिस्मानी नुकसान होने पर 50-25 फीसदी तक खर्च में मदद दी जाती है.

मगर आलम यह है कि सूबे के किसानों की ओर से मदद की अर्जियां लगातार आने के बावजूद जिलों को पैसे नहीं मुहैया हो पाते. मुख्य सचिव आलोक रंजन द्वारा कृषक दुर्घटना बीमा योजना की समीक्षा किए जाने के बाद इन हकीकतों का खुलासा हुआ. दरअसल कृषक दुर्घटना बीमा योजना का संचालन किसी बीमा कंपनी के जरीए होना चाहिए, जिस के लिए सरकार की तरफ से कंपनी को प्रीमियम देने का इंतजाम है. लेकिन पिछले कई सालों से किसी न किसी वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा, लिहाजा सरकार कलेक्टरों के जरीए किसानों के दावों का भुगतान कराती है. फिलहाल इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की दरकार है.                     

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कदम

18 लाख क्विंटल चीनी पर कब्जा

सीतापुर : एक ओर उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार चीनी मिलों को अपनी तरफ से हर मुमकिन मदद दे रही है, तो दूसरी ओर मजबूरन कुछ सख्ती भी बरतनी पड़ रही है. कुल मिला कर सरकार का मकसद भुगतान के झमेले को निबटाना ही है. इसी के तहत जिला प्रशासन ने जिले की 4 चीनी मिलों की करीब 18 लाख क्विंटल चीनी अपने कब्जे में ले ली है. जाहिर है कि यह कदम मिलों द्वारा किसानों को गन्ने का बकाया मूल्य भुगतान न करने पर उठाया गया ह . अब प्रशासन यह चीनी बेच कर किसानों को भुगतान करेगा. कब्जे में ली गई इस चीनी का बाजार मूल्य करीब 4 अरब 61 करोड़ रुपए है. इस कार्यवाही से किसानों को अपना बकाया मिलने की उम्मीद जगी है. जिले की इन चीनी मिलों पर किसानों का 35849.29 लाख रुपए का बकाया है. भुगतान करने के लिए उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद प्रशासन की तरफ से सब से ज्यादा बकाए वाली हरगांव चीनी मिल पर केस दर्ज कराते हुए वसूली को ले कर आरसी भी जारी की जा चुकी?है, लेकिन इस के बाद भी भुगतान के मामले में चीनी मिलें सजग नहीं हुईं. मजबूरन डीएम सूर्यपाल गंगवार ने निजी क्षेत्र की हरगांव, जवाहरपुर, रामगढ़ व बिसवां चीनी मिलों की चीनी को ज्वाइंट कस्टडी में ले लिया. जिला प्रशासन द्वारा मजबूरी में उठाए गए इस कदम से तमाम मिलों को सचेत हो जाना चाहिए कि अगर वे गन्ना मूल्य भुगतान में गड़बड़ी करेंगी तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.    

   

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सवाल किसानों के

सवाल : मेरे टमाटर के पौधों में फल आ तो खूब रहे हैं, मगर कुछ फलों का आकार टेढ़ा सा हो रहा है. कुछ फलों में छेद भी नजर आ रहे हैं. कृपया वजह व इलाज बताएं?

-रत्नेश, बरेली, उत्तर प्रदेश

जवाब : ऐसा फलबेधक कीट के कारण हो रहा है, इस कीड़े की झल्लियां हरे फलों में घुस जाती हैं और फलों को प्रभावित करती हैं. रोकथाम के लिए फ्लूबेंडामाइड या साइनोसैड की 75 मिलीलीटर दवा को 250 लीटर पानी में घोल कर 1 एकड़ खेत में छिड़काव करें या कार्बोसिल्फान की 250 ग्राम दवा को 250 लीटर पानी में घोल कर 1 एकड़ में छिड़काव करें.

सवाल : आजकल बाजार में जो अदरक आ रहा है, वह बहुत जल्दी खराब हो जाता है. ऐसा किस वजह से है?

-कुच्चन, झांसी, उत्तर प्रदेश

जवाब : आजकल जो अदरक बाजार में आ रहा?है, उस के खराब होने की वजह यह है कि उस की समय से पहले ही कच्ची खुदाई की गई?है.

सवाल : मुझे फलफूल व सब्जियां वगैरह उगाने का बहुत शौक?है. मेहरबानी कर के बताएं कि सितंबरअक्तूबर के दौरान कौनकौन से फूलों व सब्जियों के पौधे लगाने चाहिए?

-संध्या श्रीवास्तव, कर्वी, मध्य प्रदेश

जवाब : सितंबरअक्तूबर में लगाए जाने वाले फूल हैं:

गेंदा, गुलदाउदी, डहेलिया, कोसमोस, कारनेश, केंडीटफ्ट, हालीहोक, फ्लोक्स, कार्नफ्लोवर व पोपी वगैरह. 

सितंबरअक्तूबर में लगाई जाने वाली सब्जियां निम्नलिखित हैं: गाजर, पालक, मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, चाइना कैबेज, ब्रोकोली व मटर वगैरह.

सवाल : बकरी का दूध बहुत फायदेमंद व महंगा बताया जाता है. क्या बकरी पालना फायदे का काम हैइस बारे में पूरी जानकारी दें?

-बबलू, सोनिया विहार, दिल्ली

जवाब : बकरीपालन एक लाभकारी व्यवासय है. बकरी का दूध छोटे बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता?है. यह डेंगू के मरीज के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. बकरी का दूध हमारे शरीर के अंदर प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ाता है, इसीलिए यह काफी महंगा बिकता है. बकरीपालन फायदे का सौदा है. इस के लिए बकरी की उन्नत नस्लों की जानकारी होना बहुत जरूरी है. बकरी की कुछ अच्छी नस्लें निम्न हैं:

जमुनापारी : यह उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के चकरनगर क्षेत्र और उस के आसपास के क्षेत्र में पाई जाने वाली नस्ल है.

बरबरी : यह उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, हाथरस व एटा जिलों में पाई जाती है.

बीटल : इस नस्ल की बकरियां पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर व फिरोजपुर में पाई जाती हैं.

जखराना व सिरोही : ये बकरियां राजस्थान के अलवर व सिरोही जिलों में मिलती हैं.      

डा. अनंत कुमार व डा. प्रमोद मडके
कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद

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