यकीन नहीं होता, पर करना पड़ता है कि ये वही राघव जी भाई हैं, जिनके आगे पीछे 4 साल पहले तक समर्थकों, अधिकारियों और आम जनता की फौज हुआ करती थी, पर एक गलती उनसे क्या हुई कि अब अपने भी साथ नहीं दिखते. मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघव जी भाई का अपना एक अलग सियासी रुतबा  हुआ करता था. आरएसएस में भी उनकी गहरी पैठ थी, भाजपा संगठन का कोई भी अहम फैसला बिना उनकी सहमति के नहीं होता था.

राघव जी बहुत शांत और सहनशील नेता माने जाते थे पर एक दिन 5 जुलाई 2013 को उनसे इंद्रियों का दबाव सहन नहीं हुआ और फिर शुरू हुआ जिल्लत और ज़लालत का सिलसिला जो थमने का नाम नहीं ले रहा. इस दिन उनका घरेलू नौकर राजकुमार सहमा सहमा सा भोपाल के हबीबगंज थाने मे दाखिल हुआ तब उसके हाथ में एक सीडी थी. राजकुमार ने मौजूदा पुलिस अधिकारियों को अपना परिचय देकर बताया था कि राघव जी भाई उसके साथ दुष्कर्म यानि अप्राकृतिक मेथुन करते हैं तो पुलिस वालों को यह शख्स खब्त लगा था, पर जब सीडी देखी गई तो पुलिस वालों के होश फाख्ता हो गए थे, वजह जो स्क्रीन पर दिख रहा था वह झूठ या गलत नहीं था. बात उजागर हुई तो हल्ला मच गया.

किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि 80 साल के राघव जी भाई ऐसे शौक भी रखते हैं. फिर एक के बाद एक 22 सीडियां सार्वजनिक हुईं, जिनमे राघव जी भाई राजकुमार को लिटाकर वह सब कर रहे हैं जिसे आईपीसी की धारा 377 के तहत पुरुष का पुरुष के साथ दुष्कर्म कहा जाता है. खूब थू थू हुई और राघव जी भाई को मंत्री और दूसरे तमाम पदों से हाथ धोना पड़ा. अब मुकदमा चलते 4 साल से भी ज्यादा का वक्त होने आ रहा है, जिसमे पेशे से वकील भी रहे राघव जी भाई सजा से बच पाएंगे, ऐसा लग नहीं रहा, क्योंकि अदालत उन पर आरोप तय कर चुकी है.

10 अगस्त को जब इसी पेशी के  सिलसिले में वे अदालत आए तो तन्हा थे लेकिन प्रसन्नचित दिख रहे थे मानों कुछ हुआ ही नहीं था और जो हुआ भी था उसका कोई मलाल उन्हे नहीं. इस सीडी कांड के उजागर होने के बाद लोग चटखारे ले लेकर उनका मजाक बनाते रहे और आज भी बनाते हैं, पर किसी को उनकी मुस्कुराहट के पीछे छिपा दर्द नहीं दिख रहा और  न ही कोई उसे महसूस कर सकता है.

इस में कोई शक नहीं कि राघव जी ने गलती की है पर कोई बूढ़ा क्यों ऐसा करने मजबूर होता है, यह सोचने वालों की तादाद न के बराबर है. उनके गृहनगर विदिशा के सूत्र बताते हैं कि श्वेतांबर जैनी राघव जी भाई की पत्नी ने ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था, जिसके चलते राघव जी अपने भरोसे के नौकर राजकुमार की तरफ मुड़े थे और सेक्स की अपनी भूख शांत करते थे.

लंबे समय तक राजकुमार उनकी भूख मिटाता रहा, पर बात जब बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसे पुलिस और कानून की शरण लेना पड़ी. अब बातें हैं बातों का क्या, की तर्ज पर कहा सुना यह भी गया कि वह राघव जी की इस कमजोरी का जरूरत से ज्यादा फायदा उन्हें ब्लेकमेल करते उठाने लगा था जिससे परेशान होकर राघव जी ने खुद की इज्जत की परवाह करना छोड़ भी दिया था. राघव जी अपने बचाव में इसे खुद के खिलाफ सियासी साजिश बताते रहे थे जो उनकी खिसियाहट ही मानी गई थी, लेकिन गांव के रहने वाले राजकुमार को रिकार्डिंग के बाबत भाजपा के ही एक नेता शिवशंकर पटेरिया ने पेन वाले कैमरे मुहैया कराये थे, यह बात भी उजागर हुई थी. बाद में इस नेता को भी भाजपा ने चलता कर दिया था.

अब क्या होगा

राघव जी के बचाव की कोई संभावना कानूनी तौर पर दिख नहीं रही है, वजह धारा 377 यह नहीं देखती कि संबंध सहमति से बने थे या फिर बलात और असहमति से. उसके मुताबिक सहमति कोई माने नहीं रखती, हालांकि बाद मे कुछ फैसले समलैंगिकों को राहत देने वाले आए हैं, जो उसी सूरत में राघव जी को कुछ राहत दे सकते हैं, जब राजकुमार यह मान ले कि इस सब में उसकी सहमति थी. सीडियां फर्जी नहीं हैं, यह सीएफएसएल यानि सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री की जांच रिपोर्ट से साबित हो चुका है.

अब अगर राघव जी अपराध नहीं स्वीकारते हैं, तो जिरह में सहमति पर जोर देंगे, जबकि राजकुमार को यह साबित करने में पसीने छूट जाने हैं कि उसके साथ हिंसा या जोर जबरदस्ती की गई थी. एक सीडी में वह अपने हाथों से राघव जी भाई का हस्तमैथुन करते दिख रहा है, इसमे राघव जी तो आन्दातिरेक में नजर आ ही रहे हैं लेकिन राजकुमार भी पूरी लगन से यह सब करते दिख रहा है.

वैसे भी 80 साल का एक बुजुर्ग जो दिल और डाईबीटीज का मरीज है में इतनी ताकत नहीं हो सकती कि वह एक जवान आदमी के संग बल पूर्वक दुष्कर्म कर सके. इस पूरे मामले में राघव जी की लापरवाही उन्हें मंहगी साबित हुई है जिसकी सजा वे मानसिक तौर पर भुगत ही रहे हैं. अभी कोई यह पहल नहीं कर रहा कि उम्र और सेहत का हवाला देकर राघव जी के हक में मुहिम छेड़े जो हर्ज की बात नहीं. यह अपराध उतना घृणित है नहीं जितना इसे नैतिकता की स्केल पर मान लिया गया है. जाहिर है राजकुमार अपने किए की पूरी कीमत वसूल रहा था, लेकिन आनंद वह भी नहीं उठा रहा था यह भी नहीं कहा जा सकता.

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