लोगों की निंदा, आलोचना, तिरस्कारयुक्त वचनों से क्या आप अपना मनोबल गिरा कर रुक जाएंगे? डिप्रैशन या तनाव के शिकार हो कर जिंदगी को तबाह कर लेंगे? कभी नहीं. लोगों का काम है कहना और आप का काम है इन सब को मन ही मन ‘चल परे हट…’ कह कर आगे बढ़ना. अगर आप को अपना समय व ऊर्जा बचाते हुए आत्मसम्मान बरकरार रखना है और हंसमुख व खुशमिजाज रहना है तो लोगों की बकवास, नकारात्मक और हतोत्साहित टिप्पणियों को तवज्जुह देने से बचना होगा. लोगों की कही अनावश्यक और आधारहीन बातों को तूल देने का क्या दुष्परिणाम होता है, यह तो कोई 38 वर्षीया अंजलि के पति व उस के बच्चों से पूछे. आज उस के पति और बच्चे भी पछता रहे हैं, लेकिन जो बिगड़ना था सो तो बिगड़ ही गया.

अंजलि एक निजी कंपनी में सैल्स एग्जीक्यूटिव थी. अच्छा काम करती थी. घर की जिम्मेदारी भी बखूबी संभालती थी. लेकिन बीच में उस की तबीयत जरा नासाज रहने लगी तो चुस्तदुरुस्त रुटीन जरा गड़बड़ा गया. बच्चों का नाश्ता 5-10 मिनट आगेपीछे हो जाता या कभी सब्जी में तेल या मिर्चमसाला कमज्यादा हो जाता. जाहिर है, इन दिनों औफिस में भी अंजलि उतनी फुरती से काम नहीं कर पाती थी. औफिस पहुंचने में भी 15-20 मिनट लेट होने लगी. बस, फिर क्या था, औफिस में बौस ताने मारने लगा और घर पर पति या बच्चे भी कहने लगे, ‘मम्मी आप से कुछ होने वाला नहीं’, ‘मम्मी, आप बहुत ढीली हो’, ‘अंजलि, तुम से एक काम भी ढंग का होने वाला नहीं’, ‘तुम आउटडेटेड हो चुकी हो.’ इन व्यंग्यबाणों और बौस के तीखे तानों ने अंजलि के मन पर ऐसा विपरीत असर डाला कि वह सचमुच खुद को नकारा, अक्षम व वक्त से पीछे समझने लगी और गहरे अवसाद में डूब गई. नतीजा यह हुआ कि आज वह डिप्रैशन की शिकार हो घर पर पड़ी है. नौकरी छूट गई और बच्चों से बात करना तक वह पसंद नहीं करती. इन दिनों उस का मनोवैज्ञानिक इलाज चल रहा है. मनोचिकित्सक के मुताबिक, उसे ठीक होने में सालछह महीने का वक्त लग सकता है.

समझदारी से लें काम

अंजलि ने जरा समझदारी और परिपक्वता से काम लिया होता तो आज यह नौबत न आती. कोई आप पर तीखे ताने मारे, अपमानजनक या आप की क्षमताओं को कम कर के आंकने वाली टिप्पणियां करे, आप को मूर्ख, नासमझ या नकारा करार देने वाली बातें कहें, तो ऐसी बातों को दिल पर लेने की जरूरत नहीं है.

नकारात्मक प्रकृति को पहचानें

जो आप को अपमानित कर रहा है या नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है, वह अपनी ही हीनभावना का परिचय दे रहा है. वह निश्चित तौर पर नकारात्मक प्रकृति का इंसान है. आप की जगह कोई और होता, तो भी वह उसे अपना ‘टारगेट’ बनाता. कुछ व्यक्तियों द्वारा ऐसा करने के 3 प्रमुख कारण होते हैं : 

अहंकार : ऐसे लोग अपने अहं की तुष्टि और खुद को श्रेष्ठ दिखाने के लिए लोगों की आलोचना करते हैं.

धैर्यहीनता : जो लोग धैर्यहीन होते हैं वे अपने सामने पड़ने वाले हर दूसरे या तीसरे आदमी का अपमान करते हैं.

हीनता से ग्रस्त : जो बचपन से दूसरों द्वारा अपमानित या लांछित होते रहे हैं वे बदला लेने के लिए दूसरे लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं.

उदास होने की वजह को जानें

कुछ मामलों में भले ही सामने वाला बात को जरा गलत लहजे में बोल रहा हो, या बढ़ाचढ़ा कर बोल रहा हो लेकिन संभव है कि उस में आप की कोई कमी छिपी हो. अगर ऐसा है तो उस की बातों को अपनी कसौटी पर परख लें और अपने परफौरमैंस या गलती को ठीक करने की कोशिश करें.

टैंशन न लें

किसी की कटु टिप्पणी ने आप को टैंशन दे दी हो तो ज्यादा सीरियस होने के बजाय किसी दूसरे काम में मन लगाएं और उस की बात को हवा में उड़ा दें. किसी के साथ जोक्स शेयर करें, म्यूजिक सुनें या अपने जरूरी कार्यों को अंजाम देने में व्यस्त हो जाएं.

अपने लक्ष्य से विचलित न हों

कई बार आप को सहकर्मियों, प्रतिद्वंद्वियों या बौस द्वारा बारबार अपमानित करने, नकारात्मक टिप्पणी करने या आप की क्षमताओं को ले कर कटूक्तियां करने के पीछे स्वार्थ होता है. वे आप का मनोबल गिरा कर आप को अपने लक्ष्य से विचलित करना चाहते हैं. ऐसे लोगों को अपने काम में सफल न होने दें. ‘चल परे हट’ वाला एटीट्यूड अपनाएं और आगे की राह पकड़ें. जैसा बोएंगे वैसा काटेंगे, यह कहावत बिलकुल सही है. अगर आप चाहते हैं कि लोेग आप के प्रति अच्छी राय रखें तो आप भी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें, उन की प्रशंसा करें, हौसलाअफजाई करें और दूसरों के सामने उन के कार्यों का उल्लेख करें. इस से आप को भी ज्यादातर लोगों से ऐसा ही व्यवहार मिलेगा, जो आप की तरक्की में सहायक होगा.

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