पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के रानाघाट गांगनपुर में एक ईसाई मिशनरी के कौन्वैंट औफ जीसस ऐंड मैरी स्कूल में रात 2 बजे कुछ लोग घुस जाते हैं. सुरक्षाकर्मियों को मारपीट कर बांध देते हैं. स्कूल परिसर के अंदर जा कर स्कूल के एक पदाधिकारी को कमरे में बंद कर देते हैं. इस के बाद अकाउंट कक्ष की खिड़की की ग्रिल और कांच तोड़ कर 12 लाख रुपए लूटते हैं. इस बीच उठापटक की आवाज सुन कर 74 साल की बुजुर्ग नन मदर सुपीरियर की नींद खुल जाती है. भाग रहे असामाजिक तत्त्वों को वे रोकने की कोशिश करती हैं. असामाजिक तत्त्वों ने मदर को अन्य 4 लोगों के साथ एक कमरे में बंद कर दिया. इस के बाद एक के बाद एक ने उन के साथ दुष्कर्म किया और साढ़े 4 बजे सुबह स्कूल के मेन गेट पर बाहर से ताला लगा कर वे सब निकल भागे.
सीसीटीवी फुटेज में लगभग सभी अभियुक्त की तसवीर मिल जाने के बाद भी जांच आगे नहीं बढ़ती है तो ऐसे में पुलिस की जांच पर सवाल उठना लाजिमी है. रानाघाट कौन्वैंट स्कूल के मामले में एक बार फिर से कामदुनी और पार्क स्ट्रीट की परछाईं नजर आ रही है. गैंगरेप के तमाम मामलों में एक महिला मुख्यमंत्री का असंवेदनशील रवैया हर बार उभर कर सामने आया है. इस मामले को ले कर राज्य की राजनीति भी गरमा गई है. वैसे भारतीय राजनीति का दस्तूर है, हर घटना घटी नहीं कि राजनीतिक पार्टियां अपनीअपनी रोटी सेंकने में जुट जाती हैं. कोलकाता नगर निगम समेत विभिन्न नगरपालिकाओं के चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कांगे्रस और भारतीय जनता पार्टी के नेता रानाघाट पहुंच गए.
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद देशभर में ईसाई मिशनरियों पर हमले की खबरें लगातार आ रही हैं. ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल के शहरी विकास मंत्री फिरहद हकीम ने इस घटना के लिए भाजपा पर निशाना साधा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस घटना के पीछे ‘धर्मांधता की परछाईं’ नजर आ रही है.ममता बनर्जी का काफिला जब रानाघाट पहुंचा तब शांति मार्च कर रहे स्कूल की सिस्टर, पदाधिकारी, छात्रछात्राओं और अभिभावकों ने अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा देने की फरियाद के लिए मुख्यमंत्री का रास्ता रोका तो वे उखड़ गईं. सामने की पंक्ति में खड़े 9वीं के छात्र पर यह कहते हुए बरस पड़ीं, ‘एक चांटा मार कर तुम्हारा गाल फाड़ दूंगी. असभ्य कहीं के.’
इसी तरह पहले 2013 में हुई कामदुनी की घटना के बाद भी स्थानीय महिलाओं के विरोधप्रदर्शन को ममता बनर्जी ने माओवादी कार्यकलाप से जोड़ कर देखा था. पार्क स्ट्रीट गैंगरेप के बाद उत्तर 24 परगना में कामदुनी से 2013 में परीक्षा दे कर लौट रही लड़की के साथ कुछ लड़कों ने बलात्कार किया और फिर उस की हत्या कर दी. तब भी ममता गंभीर नहीं दिखीं.
गैरजिम्मेदाराना रवैया
बलात्कार के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान बंगाल की जनता को कभी रास नहीं आए हैं. बलात्कार की कई घटनाओं के बाद ममता ने एक के बाद एक जिस तरह के बयान दिए थे उन से उन की साख गिरी है. पार्क स्ट्रीट में चलती गाड़ी में महिला के साथ गैंगरेप की घटना को ममता ने साजानो घटना यानी काल्पनिक घटना कह कर उस की गंभीरता को कम कर दिया था. देर रात को महिला के नाइट क्लब जाने पर भी उन्होंने सवाल उठा दिया था. बात यहीं तक सीमित रहती तो गनीमत थी लेकिन नहीं, ममता तो ममता हैं. उन्होंने ‘रेट पर विवाद’ के कारण बलात्कार किए जाने की बात कह कर पीडि़त महिला का चरित्रहनन करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी. मामले की जांच कर रही कोलकाता पुलिस की अपराध शाखा की पहली महिला अधिकारी दमयंती सेन द्वारा मीडिया में बलात्कार की घटना
की पुष्टि करने के बाद उन का उत्तर बंगाल में स्थानांतरण कर दिया गया. एक महिला मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी से जो उम्मीद की जा सकती है उस पर पानी ही फिरा है. राज्य का गृहविभाग मुख्यमंत्री के पास ही है. राज्य की पुलिस गृहमंत्रालय के अधीन ही है. राज्य में एक के बाद एक बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं और ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया यह है कि एकाध घटना घट ही जाती है. राज्य मुख्य सचिव का रवैया भी छोटीमोटी घटना बताने जैसा ही रहा. साफ है ऐसे मामले में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रशासन का जो रवैया रहा है उस के कारण, जाहिर है, बलात्कारियों का मनोबल बढ़ा है.
पार्क स्ट्रीट की जांच में महिला पुलिस अधिकारी के स्थानांतरण से सीख ले कर राज्य पुलिस का एक गुट बलात्कार की घटना को दबाने में जुट जाता है एफआईआर ही दर्ज न हो, पहले इस की पूरी कोशिश की जाती है. पुलिस प्रशासन बलात्कार की घटना की शिकायत दर्ज करने में आनाकानी करता है. किसी तरह से अगर शिकायत दर्ज हो भी जाए तो वह जांच में घपला और लेटलतीफी कर देता है. हद तो यह है कि कुछ मामले में पुलिस पीडि़त महिला के परिजनों से उस के सद्चरित्र होने का प्रमाणपत्र तक मांगती है.
आंकड़ों की बाजीगरी
बगाल में पुलिस प्रशासन बलात्कार की घटनाओं का आंकड़ा कम कर के दिखाने की कोशिश करता है ताकि पुलिस प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल न खड़े हों. सचिवालय के सूत्रों का यहां तक कहना है कि राज्य में बलात्कार की घटनाओं के तथ्य को दबाने के लिए भी तमाम जुगत बिठाए जाते हैं. दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप की घटना के बाद बलात्कार के मामले में जहां पूरा देश प्रशासनिक नीति के तहत शिकायतकर्ता को सब से अधिक महत्त्व दे कर तुरंत मैडिकल टैस्ट करवाने, आरोपियों को गिरफ्तार करने और जल्द से जल्द चार्जशीट पेश कर कड़ी सजा दिलाने की वकालत करता है, वहीं बंगाल का प्रशासन उलटे रास्ते पर चलने की ठाने बैठा है. रिपोर्ट ही दर्ज नहीं होगी तो आंकड़े कैसे तैयार होंगे.
चर्चित गैंगरेप कांड मौजूदा स्थिति
ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद राज्य में बलात्कार की जितनी भी घटनाएं घटीं उन में से एक भी मामला अंजाम तक नहीं पहुंच पाया है. कई मामलों में तो अभियुक्त पुलिस के हत्थे तक नहीं चढ़े हैं.
पार्क स्ट्रीट गैंगरेप कांड : 5 फरवरी, 2012 को पार्क स्ट्रीट में गैंगरेप की घटना के मूल अभियुक्त कादर खान की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है. मामले में गवाहों के बयान लिए जा चुके हैं. इस साल 23 मार्च को पीडि़त ईसाई महिला का देहांत हो गया.
कटुआ गैंगरेप कांड : 25 फरवरी, 2012 को बर्दवान के कटुआ गैंगरेप कांड में छठी कक्षा में पढ़ने वाली लड़की का 3 लड़कों ने सामूहिक बलात्कार किया. बलात्कारियों की धमकियों और अपमान से नजात पाने के लिए लड़की ने आग लगा कर आत्महत्या कर ली. एक अभियुक्त अभी भी फरार है. मामले में गवाही जारी है.
कामदुनी गैंगरेप कांड : 7 जून, 2013 कामदुनी गैंगरेप कांड के सभी दोषियों, जिन के तृणमूल कांगे्रस से जुड़े होने का आरोप है, की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. मामला कोलकाता हाईकोर्ट में विचाराधीन है. इस कांड के विरोध में कभी पूरा का पूरा गांव खड़ा हुआ था लेकिन लंबे समय से लगातार तृणमूल कांगे्रस के नेताओंकार्यकर्ताओं के दबाव में गांव वालों ने अपनेआप को अलग कर लिया है. पीडि़त का परिवार कामदुनी छोड़ कर जा चुका है.
मध्यमग्राम गैंगरेप कांड : 13 दिसंबर, 2013 मध्यमग्राम में पढ़ाई के लिए बिहार से यहां आ कर बसे परिवार की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. पुलिस में इस की शिकायत करने पर लगातार धमकाया जाता रहा. डर कर महल्ला बदल लेने के बाद भी लड़की को दोबारा अगवा कर फिर से सामूहिक बलात्कार किया और फिर जला कर मार डाला गया. यह मामला भी कोलकाता हाईकोर्ट में विचाराधीन है.
कांथी गैंगरेप कांड : 17 अगस्त, 2014 को पूर्व मेदिनीपुर में एक माकपा नेता की पत्नी के साथ हुए गैंगरेप के बाद हत्या के 12 अभियुक्तों को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है. आरोप है कि सभी अभियुक्त तृणमूल कांगे्रस के नेताकार्यकर्ता हैं. पुलिस ने इन सभी को फरार घोषित कर दिया है. हालांकि चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, पर चार्जशीट में गैंगरेप और हत्या के आरोपों को शामिल नहीं किया गया है.
धुपगुड़ी बलात्कार कांड : 2 सितंबर, 2014 को जलपाईगुड़ी के प्रखंड धुपगुड़ी में 10वीं कक्षा की लड़की का पहले अपहरण, फिर बलात्कार और उस के बाद उस की हत्या करने की घटना घटी. पावर टीलर का पैसा न चुकाने को ले कर तृणमूल की महिला पार्षद के नेतृत्व में खाप पंचायत बैठी, जिस में लड़की के पिता को पीटे जाने का फरमान जारी हुआ. लड़की ने इस का विरोध किया. वहीं घटनास्थल से लड़की को उठा लिया गया. अगली सुबह रेलवे ट्रैक पर लड़की की निर्वस्त्र लाश मिली. मामले में 13 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है लेकिन मामले की सुनवाई अभी तक नहीं हुई है.