आंसू को आंखों से गिरने न दीजिएगा
जितना संभालोगे इन्हें उतने ही ये गिरते रहेंगे
मेहमाननवाजी इन की अब बंद भी कीजिए
दूजे मेहमान को भी अब तो आने दीजिए
अश्कों से अपना नाता अब तो तोड़ दीजिए
चंद कसमों की तरह इन्हें भी भुला दीजिए
मेलमिलाप अब इन से जरा रोक लीजिए
और कुछ न सही सपनों का पहरा ही लगा दीजिए
मोतियों को अब भले आसरा न आंखों में दीजिए
और कुछ न सही इन्हें खुश्क ही रहने दीजिए.
– जोनाली कर्मकार
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