प्रियतम की बांहों में सपने संजोता

होंठों को सहला गया प्यार का बादल

मौसम की कलियों ने चटख दिखलाई

आंखों ने आंखों की भाषा समझाई

सांसों की ताल पर गुनगुनाता हुआ

सात रंग जगा गया प्यार का बादल

तारों ने खेली खूब आंखमिचौली

सुहानी सी रात बनी रही सहेली

पांखुरी गुलाब सा मंद मुसकराता

भीतर तक लहरा गया प्यार का बादल

धीरे से टपकते शबनम के मोती

संदली हवा जागती न सोती

रेशम की तार सा तन को गुदगुदाता

इतिहास इक रचा गया प्यार का बादल.

                 – राजेंद्र निशेश

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...