घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी सभी जिम्मेदारियों के साथ इस के लिए व्यक्ति आजीवन कोशिश करता है. सुरेश का उदाहरण ही लेते हैं जो दिल्ली के आसपास घर खरीदने के लिए पिछले 10 साल से बचत कर रहे हैं. नौकरी में अच्छी तरह से स्थापित हो चुके सुरेश के परिवार के लोग अब उस से घर की मांग कर रहे हैं. अपनी जिंदगी में सुरेश ने सब से अच्छा काम यह किया कि उस ने अपनी देनदारियों को नहीं बढ़ाया जिस से वह अपने वित्त का बखूबी प्रबंधन करने की स्थिति में है. खासतौर पर तब जबकि उसे घर लेने के लिए होम लोन लेने की जरूरत भी पड़ सकती है. हालांकि जब वह रियल एस्टेट एजेंट के पास पहुंचा तो कई आकर्षक विकल्प मिले जिन में पेमैंट के भी कई विकल्प थे. ऐसे में वह फैसला नहीं ले पा रहा था कि क्या करे क्योंकि इस से पहले उस के कई मित्र धोखा खा चुके थे.

खरीदार की सुविधा के लिए बिल्डर पेमैंट के कई विकल्प उपलब्ध कराते हैं. पहली नजर में तो सारे विकल्प ठीक ही लगते हैं लेकिन उन का विश्लेषण कर के यह जानना जरूरी हो जाता है कि उन में से कौन सा विकल्प आप के लिए सुविधाजनक और उपयुक्त रहेगा. नीचे कुछ ऐसे पेमैंट के विकल्प दिए गए हैं जिन में से कोई एक आप अपनी जरूरत के मुताबिक चुन सकते हैं.

डाउन पेमैंट प्लान

इस विकल्प का फायदा उठाने के लिए व्यक्ति को घर की कीमत की रकम तैयार रखनी चाहिए. आमतौर पर खरीदार घर की कीमत का 10 फीसदी हिस्सा बुकिंग के समय ही दे देते हैं. अगले 30 दिन के अंदर 80 से 85 फीसदी की रकम भी चुका दी जाती है. बाकी की 5 से 10 फीसदी रकम का भुगतान तब किया जाता है जब घर का पजेशन यानी कब्जा मिलता है. जो खरीदार इस विकल्प के तहत होम लोन लेना चाहते हैं उन की ईएमआई (मासिक किस्त) घर के आवंटन के बाद शुरू हो जाती है. पेमैंट का यह तरीका पूरी तरह से बिल्डर के हक में ही जाता है. ऐसे में वह खरीदार को 10 से 12 फीसदी तक की छूट देता है. कहने का मतलब है कि इस के जरिए खरीदार अच्छे तरीके से मोलभाव कर पाते हैं. इस प्लान का सब से बड़ा नुकसान यह है कि अगर प्रोजैक्ट पूरा होने में देरी होती है तो खरीदार का पैसा फंस जाता है और वह पूरी तरह से बिल्डर की दया पर आश्रित रहता है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिन की वजह से पेमैंट के इस विकल्प का महत्त्व कम होता जा रहा है.

कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान

छोटे खरीदारों के लिए यह काफी फायदेमंद प्लान है क्योंकि यह सीधे तौर पर प्रोजैक्ट के निर्माण से जुड़ा हुआ है. इस में घर के मूल्य की 10 फीसदी कीमत डाउन पेमैंट के तौर पर बुकिंग के वक्त चुका दी जाती है. इस के बाद 10 फीसदी अगले 30 दिनों के दौरान चुकानी होती है. बाकी का पैसा निर्माण के साथ ही जुड़ा होता है. निर्माण जिस स्तर से पूरा होता रहता है, उसी तरह 8 से 10 फीसदी रकम बिल्डर को चुकाई जाती है. इस तरीके से आप की पेमेंट 2 और 3 साल की अवधि तक फैल जाती है. जो खरीदार इस प्लान के तहत होम लोन लेते हैं उन्हें फायदा मिलता है क्योंकि बिल्डर को घर के निर्माण के साथ भुगतान किया जाता है. घर की वास्तविक ईएमआई घर का पजेशन मिलने के बाद ही शुरू होती है.

यह प्लान छोटे खरीदारों के लिए काफी अच्छा है क्योंकि इस में जोखिम कम है और आप का पैसा फंसता नहीं है. कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान थोड़ा महंगा होता है. बाकी के प्लान की तुलना में इस में खरीदार को केवल 5 से 6 फीसदी छूट ही दी जाती है. इतना ही नहीं, हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां इस के लिए प्री-ईएमआई बैनिफिट चार्ज करती हैं जोकि पजेशन मिलने के बाद 5 किस्तों में क्लेम की जा सकती हैं. यह फायदा 1.5 लाख रुपए के ब्याज पर ही होता है जिसे वास्तविक ईएमआई में क्लेम किया जा सकता है. इस प्लान के जरिए कई बार आप को काफी नुकसान हो सकता है, खासतौर पर तब जबकि आप पजेशन मिलने से पहले किराए पर रह रहे हों.

टाइम लिंक्ड पेमैंट प्लान

यह प्लान बिल्डर के हक में ज्यादा काम करता है. इस में अनुबंध के तहत घर के कुल मूल्य की बिल्डर द्वारा तय की गई एक निश्चित राशि उस के द्वारा दी गई समयसीमा के अंदर चुकानी होती है. बाकी की रकम का भुगतान भी बिल्डर द्वारा दिए गए समय पर करना पड़ता है फिर चाहे प्रोजैक्ट पूरा करने में देरी क्यों न हो रही हो. यह सब से खराब स्थिति है जबकि आप बिल्डर के साथ अनुबंध में बंध जाते हैं.

फ्लैक्सी पेमैंट प्लान

घर खरीदने वालों के लिए यह उपयुक्त प्लान है. भुगतान के अन्य विकल्पों की तरह इस प्लान में भी 10 फीसदी रकम बुकिंग कराते वक्त चुकानी पड़ती है. बाकी 30 से 40 फीसदी राशि बुकिंग के 30 दिनों के अंदर चुकाई जाती है. बकाया रकम निर्माण से जुड़ी होती है और जैसेजैसे यह पूरा होता है, वैसेवैसे भुगतान किया जाता है. इस की शुरुआती पेमैंट कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान से थोड़ी ज्यादा होती है. यही कारण है कि आप को घर की कुल कीमत पर 5 से 6 फीसदी तक का डिस्काउंट मिल जाता है. अगर डाउन पेमैंट प्लान से तुलना करें तो शुरुआती रकम बहुत ज्यादा भी नहीं है और अन्य फायदों को देखते हुए यह प्लान छोटे खरीदारों के लिए किफायती है. इस के तहत पार्ट पेमैंट में कोई प्री-ईएमआई नहीं है. इस से आप के पैसे भी बच जाते हैं.

कौन सा प्लान है बेहतर

पहली बार देखने में सभी प्लान आकर्षक लगते हैं लेकिन जब आप घर की खरीदारी करें तो इन के बारे में ठोस जानकारी जरूर ले लें. प्रमुख बात यह है कि रियल एस्टेट मार्केट एक अनियंत्रित व असंगठित बाजार है. अगर प्रोजैक्ट पूरा होने में देरी होती है तो आप के पास शिकायत करने का विकल्प नहीं बचेगा. दूसरी बात यह है कि पिछले कुछ सालों में आकर्षक छूट के बावजूद टाइम पेमैंट स्कीम की चमक घटी है. कर्जदाता भी ऐसे प्रोजैक्ट के लिए फंड उपलब्ध कराने से थोड़ा बचते हैं. इस के विपरीत कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान आप के लिए अच्छा साबित हो सकता है पर इस में आप को ज्यादा भुगतान करना होगा क्योंकि छूट नहीं मिलती है. कुल मिला कर फ्लैक्सी प्लान आप की हर जरूरत को पूरा कर सकता है क्योंकि इस में छूट तो मिलती ही है, साथ ही आप कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान का फायदा भी उठा सकते हैं जिस से कुछ जिम्मेदारियां बिल्डर के कंधों पर भी आ जाती हैं.       

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