बात मेरी छोटी बहन की शादी की है. उस की शादी 6 जुलाई को होनी थी. बरसात का मौसम था. गांव से मेरी चाचीजी शादी में आई हुई थीं. मैं तैयार होने के लिए ब्यूटीपार्लर जाने लगी तो वे बोलीं कि मैं भी चलूंगी. मैं ने कहा, ‘‘ठीक है.’’ हम दोनों पार्लर चले गए. चाचीजी की आंखों के नीचे काले घेरे देख कर ब्यूटीशियन ने कहा, ‘‘आप ओले से मसाज कीजिए. काले घेरे काफी हद तक कम हो जाएंगे.’’ इस पर उन्होंने कहा कि ठीक है. एक मिनट बाद ही वे बोलीं, ‘‘हमारे यहां तो बारिश कभीकभी ही आती है और ओले तो गिरते ही नहीं. फिर ओले कैसे लगाएं?’’ एक पल तो हम दोनों को समझ नहीं आया कि वे क्या कह रही हैं पर दूसरे ही पल हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़े. दरअसल, चाचीजी ने ओले ब्यूटी क्रीम को बारिश के ओले समझ लिया था.

अचला गर्ग, जयपुर, (राज.)

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बात रोचक है. मेरे मित्र आगरा में रहते हैं. उन के बारबार आग्रह पर मैं परिवार सहित आगरा भ्रमण पर गया, आगरा में अनेक ऐतिहासिक स्थान हैं. लालकिला देखने के बाद हम ने प्रसिद्ध ताजमहल की तरफ रुख किया. वहां पर पहुंचते ही पास के रेहड़ी वाले दुकानदार जबरदस्ती अपनी दुकान की वस्तुएं दिखाने लगे.एक दुकानदार तो पीछे ही पड़ गया. वह मेरी पत्नी से बोला, ‘‘बहनजी, 30 रुपए में ताजमहल ले लो.’’ मेरी पत्नी, जो गरमी के मारे परेशान थी, झल्ला कर बोली, ‘‘हमें यह छोटा ताजमहल नहीं, वह बड़ा ताजमहल चाहिए, बोलो, कितने में दोगे?’’ उत्तर में वह दुकानदार बोला, ‘‘वह, वह तो इस छोटे ताजमहल के साथ फ्री है, उठा ले जाइए.’’ उस की इस बात पर हमारी हंसी छूट गई तथा हम ने उस का छोटा ताजमहल खरीद लिया.

शशि नेगी, नजफगढ़ (न.दि.)

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मेरी पड़ोसिन के घर में बहुत चूहे हो गए थे. उन को पकड़ने के लिए उन्होंने एक रात को चूहेदानी में रोटी का टुकड़ा लगाया. सुबह जब वह जागी, हलकाहलका अंधेरा था. उस ने देखा चूहेदानी में मोटा सा चूहा फंसा हुआ था. वह बहुत खुश हुई. किंतु चूहे के आसपास कुछ लाल टुकड़े देख कर सोचने लगी, चूहे के पास प्याज जैसे छिलके कैसे आ गए. थोड़ी देर बाद वह चूहेदानी उठा कर बाहर ले जाने लगी तो सरसर की आवाज सुन कर चूहेदानी को जमीन पर रख दिया क्योंकि लाललाल टुकड़े प्याज के छिलके न हो कर चूहे के छोटेछोटे बच्चे थे जिन को, चूहेदानी में सुरक्षित स्थान समझ कर, रात को चुहिया ने जन्म दिया.

कैलाश भदौरिया, गाजियाबाद (उ.प्र.)

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