ढलती उम्र में देश के प्रमुख नेता 88 वर्षीय नारायणदत्त तिवारी ने अपनी पहले की प्रेमिका 70 साल की उज्ज्वला शर्मा के साथ शादी कर ली है. देश में वे पहले ऐसे हाई प्रोफाइल राजनेता हैं जिन्होंने ऐसा किया है. नारायणदत्त तिवारी को ऐसा करने का साहस इसलिए हो सका क्योंकि अब उन का राजनीतिक जीवन खत्म सा हो गया है. कांग्रेस पार्टी ने उन से किनारा कर लिया है. 15 मई, 2014 को जब नारायणदत्त तिवारी ने उज्ज्वला शर्मा से लखनऊ के मालएवेन्यू स्थित सरकारी आवास में शादी की तो उन के परिवार की तरफ से कोई भी मौजूद नहीं था. शादी में शामिल मेहमानों से ज्यादा मीडिया के लोग थे. नारायणदत्त तिवारी के साथ लंबे समय से रह रहे उन के निजी सचिव यानी ओएसडी भवानी भट्ट इस शादी से खुश नहीं थे. वे उन का साथ छोड़ कर चले गए.
नारायणदत्त तिवारी की शादी लखनऊ के जिस आवास में हो रही थी उस से मात्र 5 किलोमीटर दूर महानगर में उन के बडे़ भाई रमेश तिवारी का परिवार रहता है. 84 साल के रमेश तिवारी इस शादी से बेहद दुखी और परेशान थे.
भवानी भट्ट कहते हैं, ‘‘नारायणदत्त तिवारी की इस समय तबीयत ठीक नहीं रहती है. उन की मानसिक हालत ठीक नहीं रहती है. इस समय उन से कुछ भी कराया जा सकता है. इस का मतलब यह नहीं कि उस में नारायणदत्त तिवारी की सहमति है.’’ भवानी आगे कहते हैं कि जिस समय नारायणदत्त तिवारी की उज्ज्वला शर्मा से शादी हो रही थी उस समय तिवारी का परिवार रो रहा था.
यही नहीं, इस शादी के दौरान उज्ज्वला और नारायणदत्त तिवारी के पुत्र रोहित शर्मा को भी नहीं देखा गया. उज्ज्वला शर्मा की ओर से उन के परिवार के कुछ करीबी लोग ही शामिल थे. नारायणदत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के 3 और उत्तराखंड के 1 बार मुख्यमंत्री रहे. केंद्र सरकार में मंत्री और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रहे. इस के बाद भी उन की शादी में कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ. इस से साफ पता चलता है कि समाज अभी ऐसी शदियों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.
नारायणदत्त तिवारी की पहली पत्नी का निधन हो चुका है और उन के कोई संतान न थी. इस कारण खुल कर किसी ने इस शादी का विरोध भले न किया हो पर उज्ज्वला शर्मा के लिए आगे की जिंदगी सरल नहीं है. नारायणदत्त तिवारी बडे़ नेता हैं, ऐसे में उन का खुल कर विरोध करने का साहस किसी में भले न हो सका हो पर दबी जबान से सभी इस कदम को सही नहीं मान रहे हैं.
नारायणदत्त तिवारी और उज्ज्वला शर्मा के रिश्ते को नाम तबमिला जब 88 साल के नारायणदत्त तिवारी ने 70 साल की उज्ज्वला शर्मा से विधिवत शादी की. इस शादी में 100 से अधिक मेहमान हिस्सा ले रहे थे. दिन में करीब 12 बजे सोलहशृंगार किए उज्ज्वला शर्मा बाहर निकलीं.
दूल्हा बने नारायणदत्त तिवारी बारबार उज्ज्वला की भाभी को बातचीत के लिए अपने पास बुला रहे थे. उज्ज्वला की भाभी ने ही उन का सिंदूरदान किया. उज्ज्वला ने खुद ही मंडप सजाया था. दोनों ने सात फेरे ले कर अपने संबंधों को शादी का रूपदिया.
शादी को कानूनी जामा पहनाने के लिए 19 मई को उज्ज्वला शर्मा के साथ नारायण दत्त तिवारी लखनऊ कचहरी गए और अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराया. शादी का प्रमाणपत्र पा कर उज्ज्वला शर्मा को लग सकता है कि उन की जीत हो गई है. लेकिन सही मानों में उन की जीत तभी होगी जब समाज उन को स्वीकार कर लेगा. यह शादी अपनेआप में बहुत अलग है.
गिरतीसंभलती जिंदगी
लंबी अदालती लड़ाई लड़ने के बाद रोहित शर्मा यह साबित कर पाए कि वे नारायणदत्त तिवारी और उज्ज्वला शर्मा के पुत्र हैं. ‘पितृत्व विवाद’ के नाम से मशहूर हुए इस मुकदमे का फैसला डीएनए टैस्ट रिपोर्ट के जरिए किया गया जिस से रोहित शर्मा को नारायणदत्त तिवारी का ‘जैविक पुत्र’ माना गया. इस पूरे घटनाक्रम को याद कर आज भी उज्ज्वला की आंखें भर आती हैं.
उज्ज्वला कहती हैं, ‘‘तिवारीजी के कोई संतान न थी. इसलिए वे खुद बच्चों का जन्म चाहते थे. रोहित के जन्म के 14 साल तक मैं इंतजार करती रही कि वे अपनी तरफ से पहल करें लेकिन हुआ कुछ नहीं. वे मिलने आते थे, रोहित के लिए उपहार लाते थे, उसे प्यार करते, उस का जन्मदिन मनाते थे. फिर धीरेधीरे रिश्तों का रंग उतरने लगा.
‘‘साल 2002 में एक बार हमारा रिश्ता बना. पर 2005 तक फिर सब खत्म हो गया. इस के बाद रोहित ने साल 2008 में अपने हक की लड़ाई शुरू की. अंत में अदालत ने डीएनए टैस्ट के बाद रोहित को उन का बेटा मान लिया. इस के बाद तिवारीजी के साथ रहने वाले कुछ लोग नहीं चाहते थे कि हम साथसाथ रहें पर अब सब ठीक हो गया है.’’
उज्ज्वला ने नारायणदत्त तिवारी की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ले ली है. वे खुद सुबह उठती हैं. इस के बाद 10 बजे नारायणदत्त तिवारी उठते हैं. शाम को दोनों सैर पर जाते हैं. घर में आने वाले मेहमानों से मिलते हैं. उज्ज्वला कहती हैं, ‘‘दोनों के बीच फिलहाल नई शादी होने जैसा प्यार है.