जब किसी व्यक्ति के पास अपनी कंपनी द्वारा दिया गया हैल्थकवर होता है तो उस के मन में यही बात आमतौर पर आती है कि मैं अलग से हैल्थ इंश्योरैंस कवर क्यों लूं? अतिरिक्त प्रीमियम का बोझ क्यों उठाऊं दरअसल, जब भी आप किसी फाइनैंशियल प्लानर से मिलने जाएंगे तो उन की सलाह होगी कि भले आप को नियोक्ता की तरफ से हैल्थकवर मिला हुआ है लेकिन आप को अलग से पर्याप्त हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी लेनी चाहिए क्योंकि नौकरी छूटने या बदलने के साथ ही नियोक्ता की तरफ से मिले हैल्थ इंश्योरैंस का लाभ आप नहीं उठा पाएंगे. वह हैल्थकवर आप के नौकरी छोड़ने या फिर बदलने के साथ ही समाप्त हो जाएगा. ऐसी स्थिति में जरूरत पड़ने पर इलाज के लिए आप को अपनी जेब से पैसे खर्च करने होंगे.

जो लोग नौकरीपेशा हैं, कंपनी की तरफ से उन्हें उन के गे्रड और पद के अनुसार स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मिलती है जिस में आमतौर पर परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैं. कर्मचारी के पद और गे्रड के अनुसार नियोक्ता की तरफ से कराए गए स्वास्थ्य बीमा की राशि आमतौर पर 1 लाख रुपए से ले कर 4-5 लाख रुपए तक होती है. लेकिन किस व्यक्ति को कब, कौन सी, कैसी बीमारी हो जाए, यह कहना मुश्किल है, और सुपर स्पैशिलिटी हौस्पिटल में इलाज कराने की लागत तो भुक्तभोगी बेहतर समझ सकते हैं.

ऐसे में सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर अजय बजाज सलाह देते हैं, ‘‘भले ही कंपनी ने आप को हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी दी हो पर साथ में आप को अपने लिए टौपअप हैल्थकवर जरूर ले लेना चाहिए. इस से आप और आप का परिवार दोनों ही सुरक्षित रहते हैं.’’

क्या है टौपअप हैल्थकवर

टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस कवर वास्तव में मैडिकल रीइंबर्समैंट कवर है जिस की डिडक्टिबल राशि अधिक होती है. सामान्य शब्दों में कहें तो टौपअप कवर मैडिकल खर्च की निश्चित सीमा के बाद काम करना शुरू करता है.

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए, आप की कंपनी अगर आप को 3 लाख रुपए का हैल्थकवर उपलब्ध करा रही है तो इस के ऊपर होने वाले मैडिकल खर्च के लिए आप टौपअप इंश्योरैंस कवर का सहारा ले सकते हैं. 3 लाख रुपए के डिडक्टिबल के साथ आप चाहें तो 10 लाख रुपए का टौपअप कवर ले सकते हैं.

अब मान लीजिए किसी कारणवश आप को हौस्पिटलाइज होना पड़ा और कुल खर्च 5 लाख रुपए का आया. ऐसी परिस्थिति में 3 लाख रुपए का भुगतान नियोक्ता की तरफ से मिले हैल्थकवर से किया जाएगा और शेष 2 लाख रुपए का भुगतान टौपअप पौलिसी करेगी. अगर टौपअप इंश्योरैंस कवर लेने वाले व्यक्ति के पास पहले से कोई हैल्थ पौलिसी नहीं है तो डिडक्टिबल जितना खर्च भी उसे खुद ही वहन करना पडे़गा.

सस्ती होती है टौपअप पौलिसी

टौपअप पौलिसी अतिरिक्त स्वास्थ्य बीमा पौलिसी खरीदने के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक सस्ती होती है. अगर कोई व्यक्ति अपना स्वास्थ्य बीमा कवर बढ़ाना चाहता है तो नई पौलिसी लेने के बजाय टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी लेना ज्यादा सस्ता विकल्प है जबकि इस से मिलने वाले फायदे में कोई कमी नहीं होती.

कंपनी व पौलिसीधारक को लाभ

टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी बीमा कंपनियों के लिए भी फायदे का सौदा है क्योंकि बेस कवर की सीमा समाप्त होने के बाद ही टौपअप इंश्योरैंस पौलिसी प्रभावी होती है. दूसरी तरफ यह पौलिसीधारकों के लिए भी बेहतर है क्योंकि अतिरिक्त कवर के लिए उन्हें कम प्रीमियम देना होता है. किसी अस्पताल में इलाज के दौरान पौलिसीधारक को टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस की सीमा तक के खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है. इस से किसी बीमारी या फिर आपातकाल में पौलिसीधारक पर वित्तीय दबाव नहीं पड़ता है.

टौपअप और सुपर टौप पौलिसी

टौपअप और सुपर टौप पौलिसी में फर्क है. दोनों के लाभों में भी फर्क है. टौपअप पौलिसी के मामले में पौलिसीधारक जितनी बार अस्पताल में भरती होता है, गणना में कटौती की राशि (बेस कवर) उतनी बार शामिल की जाती है. सुपर टौपअप प्लान के मामले में बेस कवर की राशि पौलिसी अवधि में केवल एक बार लागू होती है. इसे एक उदाहरण के जरिए बेहतर समझा जा सकता है.

मान लीजिए, किसी व्यक्ति का 3 लाख रुपए का बेस कवर है और उसे इलाज के लिए साल में 2 बार अस्पताल में भरती होना पड़ता है जिस में उस के क्रमश: 4 लाख रुपए और 5 लाख रुपए खर्च होते हैं. टौपअप पौलिसी ऐसे मामले में क्रमश: 1 लाख और 2 लाख रुपए का भुगतान करेगी. लेकिन सुपर टौपअप पौलिसी के मामले में यह राशि 1 लाख रुपए और 5 लाख रुपए होगी क्योंकि बेसकवर की कटौती पौलिसी वर्ष में एक बार ही होती है.

कहां से लें टौपअप पौलिसी

यूनाइटेड इंडिया इंश्योरैंस, बजाज आलियांज, जनरल इंश्योरैंस, स्टार हैल्थ इंश्योरैंस और मैक्स बुपा आदि बीमा कंपनियां टौपअप और सुपर टौपअप पौलिसी उपलब्ध करा रही हैं. बजाज के अनुसार, हैल्थकेयर की लगातार बढ़ रही लागत के दौर में सुपर टौपअप या टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी लेना फायदे का सौदा है. ये पौलिसियां अलग से उतनी ही राशि का हैल्थ इंश्योरैंस कवर लेने की तुलना में ज्यादा सस्ती हैं.

इस तरह, गंभीर बीमारियों के समय असहनीय आर्थिक झटकों से बचने के लिए हैल्थ इंश्योरैंस तो लें ही, साथ ही टौपअप हैल्थकवर भी लें. टौपअप हैल्थकवर का प्रीमियम कम ही होता है. यह बीमारी के वक्त आप को आर्थिक चिंता से मुक्त रखता है.

कुल मिला कर बिना टौपअप पौलिसी के हैल्थकवर का रिस्क उतना ही होता है जितना बिना स्पेयर टायर के गाड़ी चलाना. इस मामले में टौपअप और सुपर टौपअप पौलिसी अतिरिक्त सुरक्षा देती है.

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