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बचपन में मीरा जब भी उड़ते हुए विमान को देखती थी तो उस की नन्ही सी आंखों में विस्मय छलक उठता. इतने छोटे से विमान में लोग कैसे बैठते होंगे, डर नहीं लगता होगा? और बड़ी होने तक विमान में बैठने का तो सपना भी कभी नहीं आया था.

लेकिन जिस बात का कभी सपना भी नहीं देखा था वह बात आज सच हो गई थी. वक्त ने कुछ ऐसी करवट ली थी कि आज वह विमान में बैठ कर सात समंदर पार जा रही थी. यही एकमात्र सत्य था बाकी सब झूठ. वैसे ऐसा तो कहानियों में या फिर फिल्मों में होता है कि कोई राजकुमार आ कर किसी गरीब घर की लड़की को ब्याह कर ले जाए लेकिन यहां तो वास्तव में उस के जीवन में यही हुआ था.

कालेज की पढ़ाई पूरी होते ही अंगद उस की जिंदगी में कहीं से आ धमका था. उस की एक दूर की रिश्तेदार ने अंगद को दिखाया था और अंगद को वह पसंद आ गई थी. सब काम इतनी शीघ्रता से हुआ था कि सोचने का कुछ मौका ही न मिला. घर वालों की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था. बिना किसी लेनदेन के बेटी को ऐसा घर और ऐसा वर मिला था. किसी भी गरीब मांबाप को इस से ज्यादा क्या चाहिए? बेटी राज करेगी. एक हफ्ते में ही चट मंगनी पट ब्याह हो गया.

अंगद ज्यादा रुक नहीं सकता था. शादी के दूसरे दिन ही उसे जाना पड़ा. मीरा के सब पेपर तैयार करने थे, वीजा जो लेना था. जाने में थोड़ा समय तो लगना ही था. मीरा उतने दिन सासससुर के पास ही रही. बुजुर्ग सासससुर, दोनों ही बहुत अच्छे थे. और फिर थोड़े ही दिनों में मीरा का जाना भी हो गया. आंखों में सपने संजोए मीरा आज विमान में उड़ रही थी. उस ने जो सपना देखा भी नहीं था आज वह हकीकत बन गया था.

विमान में बैठेबैठे मीरा की आंखों ने आज पहली बार कुछ रंगीन सपने देखने शुरू किए थे.

शिकागो के ओहेर एअरपोर्ट पर अंगद उसे लेने आया था. उस के साथ उस की एक दोस्त भी थी. अंगद ने उस की पहचान कराई, ‘‘मीरा, यह मेरी दोस्त, मेरियन. और मेरियन, ये है मीरा.’’

विदेश में तो ये सब सहज है. ऐसा मीरा ने सुन रखा था, इसलिए उसे कुछ बुरा न लगा. हंस के उस ने मेरियन से हाथ मिलाया. मेरियन मीरा का अनूठा सौंदर्य देख कर चकित हो गई थी. तीनों साथ ही घर आए.

नई दुलहन का स्वागतसत्कार तो यहां कौन करे? मीरा ने ऐसे ही घर में प्रवेश किया.

अंगद ने बाहर से कुछ मंगवा कर रखा था. तीनों ने साथ खाया. मीरा को अंगद की बातों में ऊष्मा की कमी महसूस हुई. लेकिन शायद किसी तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी के कारण होगा, ऐसा सोच कर मीरा कुछ बोली नहीं. खाना खाने के बाद अंगद ने मीरा को एक कमरा दिखा कर कहा, ‘‘मीरा, आज से यह तुम्हारा कमरा.’’

‘‘मेरा?’’ मीरा कुछ समझी नहीं. उस ने अंगद की ओर देखा.

मीरा की आंखों में तैरता प्रश्न अंगद समझ रहा था. अब स्पष्टता करने की घड़ी आ पहुंची थी.

‘‘देखो मीरा, मेरियन मेरी दोस्त ही नहीं बल्कि मेरी प्रेमिका भी है. हम दोनों 1 साल से साथ रहते हैं. मुझे पता है, तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा, पर क्या करूं? तुम से शादी करना मेरी मजबूरी थी. मेरे मातापिता ने शर्त रखी थी कि अगर मैं किसी भारतीय लड़की से शादी करूंगा तभी उन की मिल्कियत मुझे मिलेगी, इसीलिए तुम से शादी करनी पड़ी. उन्हें मेरियन के बारे में कुछ पता नहीं. वैसे तो मुझे पहले दिन ही तुम्हें ये सब बताना नहीं था, लेकिन मेरियन ने बोला था कि मुझे आज ही बोलना पड़ेगा. सौरी. लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था.’’

मेरियन सामने बैठ कर सब सुन रही थी. अंगद के साथ रहने से वह हिंदी समझने लगी थी और थोड़ाबहुत बोल भी लेती थी.

मेरियन मीरा के सामने ही बैठी सब देख रही थी, अब मीरा क्या करेगी?

थोड़ी देर मीरा कुछ बोल नहीं पाई. एक सन्नाटा सा रहा. मीरा का वैसे तो जोरजोर से चीखने का जी हो रहा था लेकिन कौन सुनेगा यहां? कौन था अपना यहां? जिस को अपना मान कर, जिस के सहारे आई थी वह खुद ही…

रोने का कोई मतलब ही नहीं दिख रहा था. इस आदमी ने पैसों के लिए एक नारी की जिंदगी दांव पर लगा दी थी. क्या कर सकती है वह?

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही.

फिर मीरा ने धीरे से पूछा, ‘‘अब मुझे क्या करना है?’’

‘‘देखो मीरा, मैं कोई ऐसा बुरा आदमी नहीं हूं. तुम्हें दुख पहुंचाने का मेरा कोई इरादा भी नहीं है और मैं यह भी अच्छी तरह जानता हूं कि इस से ज्यादा दुख की बात तुम्हारे लिए और कोई नहीं होगी. मुझे माफ करना. मेरा प्यार मेरी मजबूरी है. तुम यहां आराम से रह सकती हो. तुम्हें यहां कोई तकलीफ नहीं होगी. पर हमारे बीच पतिपत्नी का कोई संबंध नहीं होगा. तुम भूल जाओ कि मैं तुम्हारा पति हूं और मैं भूल जाऊंगा कि तुम मेरी पत्नी हो. हम दोस्त की हैसियत से साथसाथ रहेंगे.

2 साल के बाद तुम स्वदेश वापस जाना चाहोगी तो जा सकती हो. मेरे मातापिता की शर्त सिर्फ 2 साल के लिए ही है. फिर मुझे उन की संपत्ति मिल जाएगी. और तब अगर तुम चाहो तो दूसरी शादी भी कर सकती हो.’’

मीरा के मन में प्रश्न आया, ‘शादी के बाद एक रात जो हम ने साथ बिताई थी, उस का क्या?’

उस का मन हुआ कि अंगद को झंझोड़ कर इस बात का जवाब मांगे, क्या मुझे मेरा कौमार्य वापस दे सकते हो? लेकिन कोई फायदा नहीं था. उस ने धैर्य रख कर पूछा, ‘‘और यहां रह कर मुझे क्या करना होगा?’’

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