आज की सुबह कुछ खास है
हवाओं में अनोखा एहसास है
सांसों में नई ताजगी लिए
लगता है वह आसपास है
यों तो कुछ खास नहीं है उस में
पर फिर भी शायद कुछ बात है
अधखुली सी, बोझिल कोमल पलकों में
मीठी सी मस्ती और बरसों की प्यास है
कोमल से चेहरे पर वो पानी की छपकी
गालों से जिस ने लट बालों की झटकी
अलसाया सा बदन भी खाए हिचकोले
तुम ही बताओ ये दिल क्यों न डोले
हर कोई सुबह सुकून की तलाश करता है
खिलते चेहरे के दर्शन की आस करता है
पर शायद ही कोई खुशनसीब होता है
दामन में जिस के तेरा दीदार लिखा होता है.
महेश कुमार
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