न कोई आहट न कोई साया है
न जाने दिल में कौन आया है
जिस की चर्चा गलीगली में है
मेरी नसनस में वो समाया है
जो दिया जल उठा था सीने में
अश्के गम से उसे बुझाया है
खो गए रास्ते धुंधलकों में
जब से हम ने कदम उठाया है
उड़ने लगती है फूल से शबनम
धूप का जिस चमन में साया है
ये तो पत्थरों का देश है ‘शशि’
हम ने तेरा बुत कहां बनाया है.
डा. शशि श्रीवास्तव
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
सब्सक्रिप्शन के साथ पाएं
500 से ज्यादा ऑडियो स्टोरीज
7 हजार से ज्यादा कहानियां
50 से ज्यादा नई कहानियां हर महीने
निजी समस्याओं के समाधान
समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और