‘बेशरम’ टेबल पर सजे उस लंच या डिनर की तरह है जिस में एक से बढ़ कर एक वेज और नौनवेज डिशेज सजी हुई हैं. देखने पर लगता है ये डिशेज टैस्टी होंगी, मगर खाने के बाद पता चलता है, ये डिशेज तो टैस्टलैस और बासी हैं.
‘बेशरम’ में रणबीर कपूर ने शर्मोहया की सारी हदें पार की हैं. इस फिल्म का निर्देशन ‘दबंग’ फिल्म बना चुके अभिनव कश्यप ने किया है. फिल्म में अगर आप कहानी ढूढें़गे तो निराशा ही हाथ लगेगी. ड्रामा, ऐक्शन और रोमांस से लदीफंदी इस कहानी की शुरुआत बबली (रणबीर) नाम के एक अनाथ से शुरू होती है
जो कारें चुराने का काम करता है. उस की मुलाकात तारा शर्मा (पल्लवी शारदा) से होती है. बबली का दिल उस पर आ जाता है. वह उस की मर्सिडीज कार चुरा कर एक हवाला किंग भीम सिंह चंदेल (जावेद जाफरी) को बेच देता है. इधर, तारा शर्मा चोरी की रिपोर्ट लिखवाने थाने जाती है. थाने में इंस्पैक्टर चुलबुल चौटाला (ऋषि कपूर) और उस की बीवी हैड कांस्टेबल बुलबुल चौटाला (नीतू सिंह) उस से रिश्वत मांगते हैं.
बबली को पता चलता है कि जो कार उस ने चुराई थी वह तारा शर्मा की थी, तो वह उसे साथ ले कर चंडीगढ़ रवाना होता है ताकि उस कार को दोबारा चुरा कर उसे लौटा सके. वह कार को दोबारा चुरा कर तारा शर्मा को लौटाता है परंतु कार की डिक्की में रखे चंदेल के करोड़ों रुपयों से भरे बैग को देख कर चौंक जाता है. अब चंदेल के गुंडे उस के पीछे लग जाते हैं. इंस्पैक्टर चुलबुल चौटाला तब बबली की मदद करता है.
कहानी 90 के दशक जैसी है. मध्यांतर से पहले भाग में 3 डांस गाने हैं और नायक, नायिका से फ्लर्ट करता टपोरी नजर आता है. अचानक से वह नायिका के प्यार में पागल हो जाता है. मध्यांतर के बाद वाले भाग में वह चंदेल के गुंडों से फाइटिंग करता नजर आता है.
फिल्म देखने लायक इसलिए नहीं है क्योंकि छिछोरी हरकतें तो लोग रोज खुद देखते हैं. उन्हें सिलसिलेवार पिरोना तक निर्देशक को न आया. इन से न सैक्सी चुटकुलों का मजा आया न हंसी आई. ऋषि कपूर और नीतू सिंह ने फिल्म में बढि़या ओवरऐक्ंिटग की है. फिल्म के गाने पहले ही पौपुलर हो चुके हैं. नायिका पल्लवी शारदा नई है और उस ने मेहनत की है.