समुद्र में इंसानों पर शार्क मछलियों के हमलों को टैलीविजन के डिस्कवरी और नैशनल ज्योग्राफिक चैनलों पर अकसर दिखाया जाता है. विदेशों में तो शार्क के हमलों पर कई फिल्में भी बनी हैं. ‘शार्क अटैक’, ‘शार्क नाइट’, ‘शार्क जोन’ आदि कुछ ऐसी ही फिल्में हैं. ‘वार्निंग’ भी शार्क अटैक पर बनी फिल्म है, जिसे पानी के अंदर शूट किया गया है. यह फिल्म भारत की पहली अंडरवाटर 3डी फिल्म है. निर्देशक गुरमीत सिंह ने कुछ नया और ऐडवैंचरस बनाने की कोशिश तो की है लेकिन कामयाब नहीं हो सके हैं.
फिल्म की कहानी 5 दोस्तों की है, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनाअपना कैरियर चुन कर एकदूसरे से अलग हो जाते हैं. 5 साल बाद ये पांचों एक वाटर ऐडवैंचर टूर में फिजी में मिलते हैं. तरन (संतोष बारमोला) सब को एक याट पर सवार हो कर समुद्र की सैर करने के लिए राजी कर लेता है. इस टूर में साबरी (मंजरी फड़नीस) अपनी बच्ची और पति दीपक (जितिन गुलाटी) के साथ है. तरन अपनी गर्लफ्रैंड (सुजाना रौड्रिग्स) के साथ है.
सभी याट से उतर कर समुद्र में स्विमिंग करने लगते हैं. तभी तरन का हाथ याट पर लगे एक बटन पर लग जाता है जिस से पानी से याट पर जाने का रास्ता बंद हो जाता है. इस बीच, पानी में हलचल होती है. पानी के अंदर एक शार्क मछली है. याट पर साबरी की बेटी रो रही है. सभी याट पर चढ़ने की असफल कोशिश करते हैं. अचानक सुजाना की मौत हो जाती है. तरन की कोशिश से साबरी और उस का पति याट पर चढ़ जाते हैं. तभी तरन को शार्क अपना शिकार बना लेती है. किसी तरह साबरी और उस का पति किनारे पर पहुंच जाते हैं.
फिल्म की इस कहानी में तैर कर समुद्र पार करने के लिए गए सुमित सूरी और मधुरिमा तुली का क्या हुआ, इसे निर्देशक ने गोल कर दिया है.
नए कलाकारों को ले कर बनाई गई यह फिल्म न तो रोमांचक बन पाई है न ही डरावनी. टैक्नोलौजी के लिहाज से भी फिल्म में कोई नई बात नजर नहीं आती. हां, कुछ 3डी इफैक्ट्स अच्छे बन पड़े हैं. शार्क मछली के आने से फिल्म में थ्रिल भी नहीं पैदा हो सका है.फिल्म का निर्देशन साधारण है. गीत- संगीत कुछ अच्छा है. महिला किरदारों को बिकनी पहने और शराब व बीयर की बोतलें हाथ में उठाए मौजमस्ती करते दिखाया गया है. अभिनय के मामले में सभी कलाकार अनाड़ी हैं. फिल्म का छायांकन ठीक है.