यह फिल्म वर्ष 2004 में आई फिल्म ‘मस्ती’ का सीक्वल तो नहीं है परंतु बहुतकुछ उस जैसी है. पूरी फिल्म पोर्नोग्राफिक कौमेडी से भरी पड़ी है. सैक्स फैंटेसी और द्विअर्थी संवादों से मालामाल यह फिल्म अग्रिम पंक्ति के दर्शकों को ध्यान में रख कर बनाई गई लगती है. परिवार के किसी सदस्य के साथ बैठ कर देखने लायक यह कतई नहीं है. पता नहीं सैंसर बोर्ड वालों ने इसे पास कैसे कर दिया.

इस तरह की बोल्ड सब्जैक्ट वाली फिल्में अब काफी बनने लगी हैं. इस तरह की फिल्म टीवी धारावाहिकों की निर्माता एकता कपूर भी बनाने लगी हैं. थोड़ा इंतजार करिए, उन की अगली पोर्नोग्राफिक फिल्म ‘रागिनी एमएमएस 2’ तैयार हो चुकी है, शीघ्र ही वह परदे पर होगी. इस तरह की फिल्में समाज में विकृतियां ही पैदा करती हैं.

‘ग्रैंड मस्ती’ की कहानी एकदम साधारण है. कालेज की पढ़ाई पूरी कर चुके तीन दोस्तों मीत (विवेक ओबराय), अमर (रितेश देशमुख) और प्रेम (आफताब शिवदासानी) की अब शादी हो चुकी है. पर तीनों ही अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं हैं. उन की सैक्स लाइफ बोरिंग है. तीनों एक दिन अपने पुराने कालेज पहुंच जाते हैं. वहां वे पिं्रसिपल (प्रदीप रावत) के रोबदार चेहरे को देख कांप जाते हैं. उन के खौफ के चलते कोई लड़का किसी लड़की की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखता. कालेज में इन तीनों की मुलाकात पिं्रसिपल की बेटी मैरी (ब्रूना अब्दुल्ला), बहन रोज (मरियम जकरिया) और बीवी मारलो (कायनात अरोड़ा) से होती है. तीनों ही उन के प्रेमजाल में फंस जाते हैं, मगर तीनों की बीवियां ऐन मौके पर उन्हें इस मुसीबत से बचा लेती हैं.

इस फिल्म में शुरू से आखिर तक निर्देशक ने पूरा ध्यान अंग प्रदर्शन और द्विअर्थी संवादों पर लगाया है. दर्जनों सुंदरियां बिकनी पहने फ्लर्ट करती हुई आप को दिख जाएंगी. फिल्म का क्लाइमैक्स ठंडा और घिसापिटा है. फिल्म का संगीत औसत है. छायांकन अच्छा है. ग्रैंड मस्ती की मस्ती से बच कर रहें, कहीं ऐसी मस्ती आप पर भारी न पड़ जाए.   

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