कुछ समय पहले तक 16 वर्ष की उम्र एक ऐसी उम्र हुआ करती थी जिस में मासूमियत होती थी, मगर आज इंटरनैट, पेज 3 और सैकड़ों टीवी चैनल्स ने किशोरों की इस मासूमियत को छीन लिया है. फास्ट फूड वाली इस जेनरेशन को सबकुछ फास्ट चाहिए यहां तक कि उन में 16 बरस की उम्र में ही सैक्स करने की इच्छा जोर पकड़ने लगी है. स्कूलों, खासकर पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले किशोर वक्त से पहले मैच्योर होने लगे हैं. किशोरियां आपस में ऐसीऐसी बातें करने लगी हैं, जिन्हें सुन कर मांबाप के सिर शर्म से झुक जाएं. सैक्सी बातें करना, डिस्को में जा कर बीयर पीना, स्कूल बंक करना, सड़कों पर होहल्ला करना जैसी बातें आम हो गई हैं.

निर्देशक राज पुरोहित ने 15-16 साल के किशोरों की लाइफ पर ऐसी फिल्म बनाई है जो सचाई से रूबरू कराती है. यह फिल्म किशोरों को जिंदगी को करीब से समझने का मौका देती है. ‘सिक्सटीन’ कहानी है एक पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले 4 दोस्तों–तनीषा (वामिका गाबी), अनु (इजाबेल लेत्ते), निधि (महक मनवानी) और अश्विन (हाइफिल मैथ्यू) की. इन चारों को जिंदगी में तलाश है प्यार की. निधि को अपने बौयफ्रैंड रोहन का साथ चाहिए. तनीषा अपनी बूआ के घर रहती है. उसे एक परफैक्ट मैन चाहिए, जबकि अश्विन तनीषा पर मरता है. अनु बिंदास है, पर अकेली. तनीषा की बूआ जवान है, अकेली रहती है. एक नौजवान विक्रम (कीथ सिक्वेरिया) उस के घर बतौर पेइंगगेस्ट रहने आता है. वह एक लेखक है और एक किताब लिख रहा है. तभी तनीषा की जिंदगी में एक तबदीली आती है. उधर अश्विन की जिंदगी में भी बदलाव आता है. हर वक्त पिता की मार खाने वाले अश्विन के हाथों पिता का खून हो जाता है. इधर निधि को उस का बौयफ्रैंड प्रैग्नैंट कर देता है और अनु का एमएमएस सब के सामने आता है. इन चारों दोस्तों में आए बदलावों से वे टूट जाते हैं लेकिन अपनेअपने परिवारों का साथ मिलने पर वे पुन: संभल जाते हैं.

किशोरों में आने वाले इन बदलावों के लिए उन के शरीर में स्रवित होने वाले हार्मोन जिम्मेदार होते हैं जो उन्हें एकदूसरे की ओर आकर्षित करते हैं. यहां तक कि सैक्स करने के लिए भी उकसाते हैं. यह सब निर्देशक ने फिल्म के क्लाइमैक्स में समझाया है. फिल्म की कहानी साधारण होते हुए भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है और किशोरों की इस समस्या का समाधान करती है. फिल्म के लगभग सारे कलाकार नए हैं. तनीषा की भूमिका में वामिका गाबी ने सब से अच्छा अभिनय किया है. निर्देशन अच्छा है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है. छायांकन भी अच्छा है.

 

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