जनाब जेब हलकी हो तो हो, यारदोस्तों को अपनी उपलब्धियों और समृद्ध जीवन के किस्से बयान करने से मिलने वाला असीम आनंद संपूर्ण घाटे की भरपाई कर देता है. लेकिन कम्बख्त कुछ वक्त से मुझे मिली ‘आई स्पैशलिस्ट’ की व्यंग्यात्मक मानद उपाधि ने सारा गुड़गोबर कर रखा है.
वैसे इस उम्र में भी मेरे चक्षुद्वय सहीसलामत हैं. मुझे नेत्र विशेषज्ञ से कंप्यूटर द्वारा आंखों की जांच व दोष निवारण हेतु उपनेत्र अर्थात चश्मे की बिलकुल आवश्यकता नहीं है. मेरी समस्या अंगरेजी वर्णमाला के नौवें अक्षर ‘आई’ से जुड़ी है. मुझे मैं सर्वनाम की कारक रचना मैं ने, मुझे, मुझ को, मुझ से, मुझे, मेरे लिए, मेरा, मेरे, मेरी, मुझ में, मुझ पर से गहरा लगाव रहा है.
मैं यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक हूं. गुजरे जमाने में क्लास भी लिया करता था. प्रोफैसर फिर विभागाध्यक्ष पद की प्राप्ति के बाद इस कार्य से पूर्णमुक्ति मिल चुकी है. प्रदेश के मुखिया अपनी बिरादरी से बने और लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहे. उन्होंने प्रोफैसर पद प्राप्ति की राह में बिछे रोड़े किनारे लगाए. पनघट की कठिन डगर आसान हो गई. मेरी डगमगाती नैया भी किनारे लग गई. वर्तमान में मेरे अपने प्रदेश में प्रोफैसरों की संख्या सर्वाधिक है. मेरा प्रदेश सचमुच महान है.
मेरा वर्तमान औफिस चैंबर काफी बड़ा है. अनेक आरामदेह कुरसियां लगी हैं.
2 एअरकंडीशनर टंगे हैं. दोस्तों की अच्छीखासी टोली है. सभी जुटते हैं. गपशप का दौर चलता है. अपनी सैलेरी जस्टीफाई हो जाती है.
देर की चुप्पी से बोरियत हो रही थी. टोली के जुटने में थोड़ी देर थी. मैं ने अपनी महंगी सोने की चेन वाली इंपोर्टेड घड़ी की सूइयों पर नजरें टिकाईं. आज की चर्चा के विषय का मैं ने चयन कर लिया था.
स्वीट, नमकीन, चाय, कोल्ड डिं्रक के दौर के साथ यारदोस्तों को अपनी बातें सुनाने में असीम सुख की प्राप्ति होती है.
‘‘मेरी मैडम फेसबुक से जुड़ी हैं. कई हजार फ्रैंड बनाए हैं,’’ मैं ने टोली को जानकारी दी.
‘‘मैडम का कोई जवाब नहीं. अपने जमाने में हेमा मालिनी का टाइटल मिला था,’’ राजीव सक्सेना ने मेरी ही बताई पुरानी बात दोहराई.
‘‘बड़ी अचीवमैंट है. शाही टोस्ट और काजू की बरफी से कम में बात नहीं बनेगी,’’ धीरेंद्र ओझा ने महंगे स्वीट की डिमांड पेश की. ओझा ने टिफिन लाना बंद कर दिया था. मेरे चैंबर में पदार्पण के साथ ही उस की जीभ गीली होने लगती थी.
मैं ने सहर्ष हामी भरी. अच्छाखासा डोज देना था. सक्सेना ने अटैंडैंट को बुला कर आज का मेनू समझाया.
‘‘बिटिया विदेश भ्रमण से कब लौट रही हैं?’’ कमल पांडे मेरी कमजोरी जानता था. मेनू में कोल्ड ड्रिंक जुड़वाने के लिए अकसर बिटिया की बातें उठाया करता था.
‘‘सुहाना अभी मोंबासा में है. मोंबासा केन्या का बड़ा शहर है. बेहतरीन जगह है. वहां के रेस्तराओं में हर देश के व्यंजन परोसे जाते हैं. मल्टीप्लैक्स में बौलीवुड की सभी हिट फिल्में दिखाई जाती हैं.’’
पांडे ने मुझे बिटिया की बात बताने का मौका दिया. मैं ने उस का भरपूर फायदा उठाया.
‘‘बिटिया ने चैक भेजा है. हमारी मैरिज ऐनिवर्सरी है,’’ मैं ने सिटी बैंक का चैक लहराया. इस मौके के लिए ही मैं ने चैक कपबोर्ड में डाल रखा था.
सक्सेना ने मेरे हाथ से चैक ले कर उसे विभागीय नोटिस की तरह सर्कुलेट किया. चैक देख कर जोड़ीदारों को ईर्ष्या हुई. मेरी छाती गर्व से चौड़ी हो गई.
‘‘25 साल पूरे हो गए. सिल्वर जुबली आ गई. मैडम ने अपने को काफी अच्छा मैंटेन किया हुआ है. लेडीलक भी बेहद मेहरबान है. वैसे मुझ जैसे दिलफेंक दोस्तों से खतरा भी है,’’ चौबे मजाकिया लहजे में बोला.
‘‘मैडम काफी ऐक्टिव हैं. अच्छे कौंटैक्ट्स हैं. अपने फिगर के प्रति सजग हैं. कितनी तारीफ करूं. रुकती नहीं जुबां. इक हुस्न परी दिल में है जो मुझ से मुखातिब है,’’ मैं ने चौबे के कौंप्लीमैंट्स को सहज भाव से स्वीकार किया. अपनी जीवनसंगिनी के सम्मान में फिल्मी गीत की पंक्तियां सुनाईं.
मैं तालियां ऐक्सपैक्ट कर रहा था. लेकिन मुझे निराश होना पड़ा. शायद मैं सुर में नहीं था.
‘‘सुहाना बिटिया सैलिब्रेशन को फाइनैंस कर रही है. वैसे बिटिया गोल्डेन इवैंट प्रायोजित करे, पर्सनली मुझे तो अच्छा नहीं लगेगा,’’ संजय शुक्ला मुसकरा कर बोला.
‘‘बिटिया ने पसंदीदा गिफ्ट के लिए चैक भेजा है. उस का अभी काफी लंबा प्रोग्राम है. आना संभव नहीं होगा. मैरिज ऐनिवर्सरी सैलिबे्रशन फाइव स्टार होटल में अरेंज किया जाएगा. अतिविशिष्ट अतिथि रहेंगे. वृहत आयोजन होगा,’’ मैं ने शुक्ला को लाजवाब कर दिया.
स्वीट, नमकीन, कोल्ड ड्रिंक सर्व की जा चुकी थी. सभी आनंद उठा रहे थे.
‘‘बंटी जरमनी से बेंगलुरु वापस आ गया है. हमें बुलाया है. हैल्थ की पूरी जांच करानी है. एक एमएनसी ने पूरी फैमिली का हैल्थ कवर प्रोवाइड किया है,’’ मैं ने अपने बड़े साहबजादे के जरमनी प्रवास का किस्सा बयान किया, कंपनी की सक्सैस में बंटी के योगदान की चर्चा की.
‘‘बटलू पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. थोड़ा पिछड़ गया है,’’ यादव ने मेरे छोटे साहबजादे की बात उठाई.
‘‘बटलू की राजनीति में दिलचस्पी है. उसी दिशा में अग्रसर है. प्रगति संतोषजनक है. परिवार की पूरी सहमति है,’’ मैं ने यादव की सलाह को सिरे से नकार दिया.
इस तरह की टाइम पास बैठकें चलती रहती हैं. थोड़ी जेब हलकी होती है. लेकिन अपनी उपलब्धियों, ऐशोआराम, समृद्ध जीवनस्तर के किस्से बयान करने में असीम आनंद की अनुभूति होती है. तकलीफदेह घुटनों की टीस कुछ पलों के लिए विस्मृत हो जाती है.
आवास पर अपने मध्यवर्गीय संबंधियों से भी संवाद होते हैं. मेरे वैस्टर्न लाइफ स्टाइल से उन्हें ईर्ष्या होती है. टौयलेट में टिश्यू पेपर से वे नाकभौं सिकोड़ते हैं. देश में चल रहे गंभीर जल संकट से अनजान व इस संकट के समाधान के प्रति असंवेदनशील हैं.
वैसे इन दिनों मेरे चैंबर की बैठकों में उपस्थिति में गिरावट आ गई है. आवास पर नियमित रूप से आने वाले रिश्तेदार भी कन्नी काटने लगे हैं. यारदोस्तों ने मुंह फेर लिया है. ओझा टिफिन ले कर आने लगा है.
‘1-2 स्वीट में बहुतकुछ सुनना, हजम करना पड़ता है. खीसें निपोरनी पड़ती हैं. सचमुच कठिन कार्य है. कान पक जाते हैं. बहुत बोर करता है. ‘आई स्पैशलिस्ट’ को झेलना हकीकत में काफी पेशेंस का काम है,’ मेरे प्रति ये कमैंट्स हैं, अतिविश्वस्त सूत्रों से मुझे पता चला है.
‘आई’ शब्द से मेरा जुड़ाव कब और क्यों हुआ, मुझे मालूम नहीं. शायद यह एक जन्मजात गुणअवगुण है या जैनेटिक लक्षणविकार है. मैं ने अपने संगीसाथी, सहयोगी, यारदोस्त, सगेसंबंधी सब से अच्छा व्यवहार किया है. कठिन परिस्थितियों में आर्थिक संकट से भी उबारा है. उपरोक्त सामाजिक संस्थानों ने ही मुझे ‘आई स्पैशलिस्ट’ की मानद उपाधि प्रदान की है.
अपनी, अपने कुनबे की बातें करना क्या कोई भ्रष्टाचार है जिस में अनेक राजनेताओं व नौकरशाहों की संलिप्तता संदेह से परे है? जीवनसंगिनी की तारीफ, अपने पुत्रपुत्रियों की योग्यतानुसार उपार्जित उत्कृष्ट उपलब्धियों की चर्चा करना क्या संज्ञेय अपराध है? मेरे साथ सचमुच ज्यादती हो रही है. अपने संगीसाथियों, यारदोस्तों, सगेसंबंधियों का मेरे प्रति वर्तमान आचरण अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण व मेरी समझ के परे है.