रोशनी गुल हो जाए इस से पहले
सब के लिए कुछ कर जाऊं
मौत से पहले ही कहीं
मैं मर न जाऊं
कर्ज है मुझ पर
सफर के साथियों का
काश कुछ मेरे बस में होता
उतार देती हर एक का कर्ज
बहुत कमजोर हो गए मेरे हाथ
साथी दूर चले गए
मुझे थोड़ी हिम्मत मिले
थोड़ा सा सफर और तय करना है.
-ललिता सेठी
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