चांदनी रात थी तारों की छांव थी
तेरेमेरे बीच में फासले न दीवार थी
सुर संगीत का मधुर संगम
हमें पास ला रहा था
कुछ अनकही बातें जबां पे ला रहा था
तेरा मुसकरा कर नजरें झुकाना
मेरे मन को यों गुदगुदाना
आधे रास्ते में रोक कर तेरा घर को जाना
अलविदा कहना मुड़ जाना
उदासी में मुझे यों छोड़ जाना
सुबह की किरणों में
मुझे तारों का इंतजार था
तेरी मुसकराहट देखने को दिल बेकरार था
आ गया वो पल अब मिलेंगे हम
पर आज ये क्या तेरा हाथ
किसी और के हाथ में था.
- तुलिका श्रीवास्तव
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