Cyber Crime : सोशल मीडिया पर लोगों को सेक्स ट्रैप में फंसाया जा रहा है. ऐसा करने वाले रील्स, पोस्ट, चैट या डेटिंग एप्स हर तरह के टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं. डिजिटल ठगी का यह नया मॉडल तेजी से पांव पसार रहा है.

डिजिटल युग ने आज के युवाओं को तेज रफ्तार और नई संभावनाओं का रास्ता दिया है. सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स और डेटिंग प्लेटफॉर्म ने न सिर्फ दोस्ती और मनोरंजन को आसान बनाया है बल्कि आय के नए तरीके भी खोले हैं. इसी माहौल में देह व्यापार ने भी अपना चेहरा बदला है. अब यह गली-कूचों से निकल कर मोबाइल स्क्रीन और वीडियो कॉल तक पहुंच चुका है.

लड़कियों की नई राह : स्वेच्छा और सुविधा

अब देह व्यापार की पुरानी तस्वीरें पीछे छूट चुकी हैं. पहले जहां लड़कियों को मजबूरी या लालच दे कर इस धंधे में लाया जाता था वहीं अब कई लड़कियां खुद सोशल मीडिया के जरिए सेवा देने का औफर डालती हैं. इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, डेटिंग ऐप्स, यहां तक कि निजी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर वे अपने प्रोफाइल बनाती हैं. आकर्षक तस्वीरें, वीडियो और ऑफर पैकेज डाल कर वे ग्राहक जुटाती हैं और घर बैठे पैसे कमाती हैं.

यह पूरी प्रक्रिया उन्हें 2 बड़े फायदे देती है— पहला, ग्राहक के साथ सीधा संपर्क, बिना किसी दलाल के; दूसरा, घर बैठे सुरक्षित माहौल. इस के लिए वे गुप्त नाम, फर्जी नंबर और डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल करती हैं.

ठगी का संगठित मॉडल

जहां कई लड़कियां इसे ‘अतिरिक्त आय’ या ‘फ्रीलांस काम’ के तौर पर देखती हैं वहीं एक बड़ा हिस्सा इसे ठगी का हथियार बना चुका है. ‘वीडियो कौल’ या ‘फोन सैक्स’ के नाम पर पहले एडवांस पेमेंट लिया जाता है, फिर ग्राहक को ब्लॉक कर दिया जाता है. कई बार मुफ्त में छोटा ‘ट्रेलर’ दे कर भरोसा जमाया जाता है. वीडियो कॉल पर आना, थोड़ी अश्लील हरकत करना और फिर रकम मांग लेना. इस के बाद खेल खत्म. ग्राहक का पैसा गायब और नंबर ब्लॉक. कई मामलों में ग्राहक की स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर के बाद में ब्लैकमेल भी किया जाता है.

पुलिस और वसूली का समीकरण

पुलिस को भी इस नए कारोबार की भनक है, लेकिन वर्चुअल प्लेटफॉर्म्स पर सब-कुछ गुमनाम होने के कारण कार्रवाई मुश्किल हो जाती है. कई मामलों में तब तक कोई बड़ी छापेमारी नहीं होती जब तक ‘अपना हिस्सा’ या ‘सुरक्षा शुल्क’ का खेल बीच में न हो. यह भी सच्चाई है कि जितना डिजिटल धंधा बढ़ रहा है, उतना ही ‘अनौपचारिक वसूली तंत्र’ भी विकसित हो रहा है.

‘घर बैठे कमाई’ का नया मॉडल

इन लड़कियों के लिए यह मॉडल आसान है. न जगह बदलने की जरूरत, न दलालों का नेटवर्क, न बड़े खर्चे. सब-कुछ मोबाइल पर. विज्ञापन, सौदे, भुगतान और ग्राहक गुप्त पहचान, डिजिटल वॉलेट और वीपीएन जैसे साधन उन्हें और भी सुरक्षित महसूस कराते हैं.

देह व्यापार से साइबर ठगी तक

इस कारोबार का सब से दिलचस्प पहलू यह है कि बहुत बार असल ‘सेवा’ देने की नौबत ही नहीं आती. केवल ‘वादा’ कर के एडवांस पेमैंट वसूलना, वीडियो बनाना और ब्लैकमेल करना ही असली कमाई बन जाता है. यानी, देह व्यापार अब केवल यौनसेवा का नहीं, बल्कि ‘साइबर ठगी’ और ‘वित्तीय जाल’ का भी रूप ले चुका है.

ग्राहक क्यों फंसते हैं?

ग्राहक अकसर गोपनीयता के कारण शिकायत नहीं करते. उन्हें डर होता है कि परिवार या समाज में बदनामी होगी. इसी चुप्पी के कारण ठग और ‘औनलाइन वर्कर्स’ और ज्यादा ताकतवर होते जाते हैं.

सोशल मीडिया कंपनियों की भूमिका

फर्जी अकाउंट, नकली फोटो और नकली ट्रांजैक्शन के इस खेल को रोकने में सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है. तेज कार्रवाई, वेरिफिकेशन और सुरक्षा टूल्स इस काले-धंधे को रोकने में मदद कर सकते हैं.

डिजिटल कमाई और साइबर सुरक्षा का संतुलन

आज यह सवाल भी उठता है कि क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ‘घरबैठे कमाई’ के नाम पर लड़कियां ठगी के जाल में खुद को और दूसरों को फंसा रही हैं? यह धंधा जहां उन्हें तत्काल नकद देता है, वहीं पुलिस, कानून और साइबर सेल के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है.

देह व्यापार का डिजिटल चेहरा पुराने धंधे से अलग है. यहां लड़कियां खुद तय करती हैं कि कैसे और कब काम करना है, किस ग्राहक से लेना है और कितना चार्ज करना है. लेकिन साथ ही, यह भी सच है कि इस नए मॉडल ने ठगी और ब्लैकमेल के लिए अनगिनत मौके बना दिए हैं. समाज को अब यह सम झना होगा कि यह ‘नैतिक पतन’ का रोना नहीं बल्कि एक ‘साइबर इकोनौमी’ है, जिस में ग्राहक और प्रदाता दोनों गुमनाम रहना चाहते हैं. पुलिस, साइबर सेल और सोशल मीडिया कंपनियों को मिल कर ऐसे नियम बनाने होंगे जिस से यह धंधा महज ‘साइबर क्राइम’ में तब्दील न हो और पीड़ित लोग सुरक्षित तरीके से अपनी शिकायत दर्ज करा सकें. Cyber Crime :

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