Sanchar Saathi App Controversy : सरकार के ‘संचार साथी ऐप’ पर सोशल मीडिया पर अलगअलग प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं. कई लोग इसे सही कदम बता रहे हैं तो कई इसे सरकारी सर्विलांस कह रहे हैं. आखिर मामला क्या है, जानते हैं.
फोन अब सिर्फ आम लोगों की जरूरत नहीं रह गया है बल्कि यह निजता की सब से बड़ी पहचान भी बन गया है. इंसान अपने निजी जीवन में क्या है, कैसा है, कौन है, इन सब का सटीक जवाब सिर्फ फोन के ही पास है. मगर क्या हो अगर फोन का सारा एक्सेस सरकार के पास हो? है न जौर्ज औरवेल के उपन्यास ‘1984’ जैसी कंपाने वाली बात, जहां बिग ब्रदर लोगों के हर हरकत पर नजर रखता था?
यह बात यहां क्यों कही जा रही है? दरअसल, भारत सरकार के डिपार्टमैंट औफ टैलीकम्युनिकेशन ने एक दिसंबर को भारत में सभी स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के लिए यह निर्देश जारी कर दिया कि अब वे जो भी मोबाइल प्रोड्यूस करेंगी उन में ‘संचार साथी’ ऐप प्रीइंस्टौल कर के देंगी. यानी, अब जो भी मोबाइल आम लोग खरीदेंगे उन में सरकार का ‘संचार साथी’ ऐप इंस्टौल रहेगा.
ख़ास बात यह कि इस के नियमों में सीधेसीधे लिख दिया गया है कि यह ऐसी ऐप होगी जिसे न तो डिलीट किया जा सकता है न ही वह डिसेबल्ड हो सकती है. यानी, खरीदार अब चाह कर भी इसे अपने मोबाइल से हटा नहीं सकता. अब इस पर बहस चल पड़ी है कि कहीं ऐप के जरिए सरकार आम लोगों के निजी जीवन में तो नहीं घुसना चाहती? वे क्या सोचते हैं, क्या करते हैं, क्या खाते हैं, कहां रहते हैं, कहां जाते हैं, किस से बात करते हैं, उन के किस से संबंध हैं, किस से संबंध बनाना चाहते हैं, क्या पौलिटिकल व्यू है? कहीं वह इन सब का डाटा तो अपने पास नहीं रखना चाहती?
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन





