Raat Akeli Hai Movie Review : यह एक मर्डर मिस्ट्री है और 2020 में आई ‘रात अकेली है’ की सीक्वल है. पिछली फिल्म में एक छोटे शहर के पुलिसकर्मी की कहानी को दिखाया गया था जिसे परिवार के एक बुजुर्ग सदस्य की मौत की जांच के लिए बुलाया गया था.

पिछली फिल्म में पुलिसकर्मी की भूमिका निभाने वाला पुलिस इंस्पेक्टर जटिल यादव (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) एक प्रभावशाली परिवार में हुए मर्डरों की गुत्थी सुलझाते नजर आया था. इस फिल्म में वह जघन्य मर्डर केस ‘द बंसल मर्डर्स’ की न सिर्फ गुत्थी सुलझाता है, समाज की घिनौनी पौलिटिक्स से नकाब उठाता भी है.

कहानी उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर के एक प्रतिष्ठित बंसल परिवार से शुरू होती है. एक ही रात में परिवार के 6 सदस्यों की रहस्यमय मौत हो जाती है. यह परिवार बड़ी बेटी मीरा (चित्रांगदा सिंह) के बेटे की बरसी के लिए फार्महाउस में इकट्ठा हुआ है. मामला हाई प्रोफाइल है. पुलिस प्रशासन सतर्क है. इंस्पैक्टर जटिल यादव (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) मामले की जांच करता है. जैसेजैसे परतें खुलती हैं, कहानी अंधविश्वास, काले जादू और आध्यात्मिक प्रभावों की ओर बढ़ती है. गुरु मां और उन्हें मानने वाले लोगों का नाम सामने आते ही मामला और उलझ जाता है. अवैध निर्माण व गरीबों के नाम पर होने वाली राजनीति भी जांच का हिस्सा बनती है.

फिल्म में यह सवाल भी उठाया गया है कि क्या जनता का काम और दबाव केस की दिशा बदल सकता है. इस तरह की सामूहिक हत्याओं/आत्महत्याओं के पीछे धार्मिक अंधविश्वास और कोई न कोई गुरु मां या गुरु महात्मा होता है जो परिवार के मुखिया को बहलाफुसला कर अपने वश में कर लेता है और उसे भगवान से मिलवाने का वादा कर उस के पूरे परिवार को खत्म कर देने का खेल धर्म के नाम पर रचता है. 2018 में दिल्ली के बुराड़ी गांव में एक ही परिवार के 11 लोगों की आत्महत्या से यही पता चला था कि पूरा परिवार घोर अंधविश्वासी था और भगवान से मिलने के लिए ही उन्होंने आत्महत्याएं की थीं. इस के पीछे भी एक तथाकथित गुरुजी का हाथ था जिस ने परिवार के मुखिया को धर्मकर्म में उलझा कर पूरे परिवार को आत्महत्या करने पर मजबूर किया.

यह फिल्म कुछकुछ इसी तरह की बातों से प्रेरित है. फिल्मकार समाज में घटी घटनाओं को आधार बना कर ही तो अपनी फिल्में बनाते हैं. खैर, इंस्पैक्टर जटिल यादव जैसेजैसे अपनी जांच आगे बढ़ाता है, शक की सूई नशेड़ी बेटे, चालाक रिश्तेदार, रहस्यमयी गुरु मां, परिवार की बची हुई महिला नीरा बंसल (चित्रांगदा सिंह) पर घूमती है. पुलिस प्रशासन केस को जल्दी निबटाना चाहता है लेकिन इंस्पैक्टर यादव को मामले में कुछ गहरा नजर आने लगता है. जैसेजैसे जांच आगे बढ़ती है, अमीरीगरीबी की खाई, सत्ता का दुरुपयोग और दबा हुआ सच सामने आने लगता है. खूनी कौन है, इसे क्लाइमैक्स तक रहस्य बनाए रखा गया है और दर्शक दम साधे क्लाइमैक्स का इंतजार करते रहते हैं.

फिल्म की यह कहानी टर्न और ट्विस्ट्स से भरी पड़ी है. कहानी धीरेधीरे आगे बढ़ती है. धीरेधीरे बढऩे वाली कहानी उन दर्शकों को भाएगी जिन्हें पुलिस की जांच और इंटैंस क्राइम पसंद है. फिल्म असल जिंदगी पर आधारित नहीं है, मगर सीधेतौर पर 2018 के बुराड़ी मौतों का जिक्र करती है. हालांकि कुछ रेफरैंस ऐसे हैं जो फिल्म के असली होने का आभास देते हैं मगर कहानी काल्पनिक ही है.

रात का सन्नाटा माहौल को गमगीन और रहस्यमयी बनाने का काम करता है. इन्वैस्टिगेशन के दौरान कुछ सीन लंबे है. गुरु मां के किरदार को और गहराई दी जाती तो अच्छा था. जटिल यादव की भूमिका में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक बार फिर बढ़िया एक्टिंग की है. राधिका आप्टे छोटी सी भूमिका में असर छोड़ती है. चित्रांगदा सिंह का अभिनय भी अच्छा है. फोरैंसिक अफसर की भूमिका में रेवती ने शानदार परफौर्मेंस दी है. बैकग्राउंड म्यूजिक सस्पैंस को मजबूत करता है संपादन कसा हुआ है. फिल्म का माहौल डार्क और सस्पैंस से भरपूर है. सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. Raat Akeli Hai Movie Review :

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