Interesting Fact :

  1. तितली अपने पैरों से टैस्ट करती है

तितलियां सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि बेहद अनोखी भी होती हैं. उन के पैरों में ‘टैस्ट सैंसर्स’ होते हैं. वे किसी फूल पर बैठती हैं, तो अपने पैरों से उस फूल के रस यानी नैक्टर का स्वाद महसूस करती हैं.

  1. बिल्ली के कान – छोटे राडार

बिल्ली के हर कान में 32 छोटीछोटी मसल्स होती हैं. इसी वजह से वह दूर की बहुत हलकी आवाज़ भी सुन लेती है. जब बिल्ली किसी आवाज़ की दिशा जानना चाहती है तो वह अपने कानों को उस दिशा में मोड़ देती है, बिलकुल एक मिनी राडार की तरह.

  1. बारिश की मिट्टी की खुशबू – ‘पेट्रिकोर’

जब पहली बारिश होती है और मिट्टी से जो भीनी खुशबू आती है उसे पेट्रिकोर कहा जाता है. यह असल में पौधों से निकलने वाले तेल और मिट्टी के बैक्टीरिया की खुशबू होती है, जो बारिश की पहली बूंद से उठती है. यह खुशबू हमें सुकून देती है.

  1. सांता क्लौज: नीलेहरे से लाल कपड़ों तक का सफ़र

सांता क्लौज की शुरुआत आज जैसी नहीं थी. शुरुआती चित्रों और कलात्मक रूपों में सांता अलगअलग रंगों के कपड़े पहनते नजर आते थे, कभी नीले, कभी हरे, कभी भूरे और कई बार सफ़ेद. 1931 में कोकाकोला ने सर्दी की अपनी विज्ञापन मुहिम के लिए कलाकार हैडन सन्डब्लोम को सांता की तसवीरें बनाने के लिए चुना. उन्होंने सांता को मोटातगड़ा व हंसमुख सफेद दाढ़ी वाला और चमकीली लाल पोशाक पहने हुए दिखाया (जो कोकाकोला के ब्रैंड रंग से भी मेल खाती थी). इन विज्ञापनों ने इतनी लोकप्रियता हासिल की कि लाल कपड़ों वाला सांता क्लौज पूरी दुनिया में ‘स्टैंडर्ड’ छवि बन गया.

  1. भारत में समोसों की शुरुआत कैसे हुई?

समोसे मूल रूप से भारत में नहीं बने थे. इन की उत्पत्ति मध्य एशिया और मध्यपूर्व में हुई थी, जहां इन्हें ‘संबोसा’, ‘संबूसा’ या ‘संबुसक’ कहा जाता था. लगभग 10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच मध्य एशिया के व्यापारी और मुसाफ़िर भारत आए. वे अपने साथ यह भरा व तला हुआ नाश्ता लाए, जिसे भारत में धीरेधीरे समोसा कहा जाने लगा. भारत आने के बाद इस में काफी बदलाव हुए. पहले इस में मांस और मेवे भरे जाते थे. भारत में आ कर लोगों ने इस में आलू, मटर और मसाले भरने शुरू किए. समय के साथ यह देशभर का लोकप्रिय स्ट्रीट फूड बन गया.

  1. क्यों इंदौर को माना जाता है देश का सब से स्वच्छ शहर

इंदौर में लगातार कचरा प्रबंधन, सफाई व्यवस्था, सार्वजनिक स्वच्छता और नागरिक भागीदारी जैसे पहलुओं पर मजबूती से काम किया जाता है. सालों तक (लगातार 8वीं बार) भारत की वार्षिक स्वच्छता सर्वे में ‘सब से स्वच्छ शहर’ का खिताब जीता है. इस का मतलब है कि इंदौर न केवल सड़कों, गलियों व सार्वजनिक स्थानों में साफसफाई के लिए जाना जाता है बल्कि वहां रहने वाले लोगों की सक्रिय भागीदारी भी इसे सफल बनाती है. Interesting Fact :

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