Delhi Blast: लाल किले पर किए गए ब्लास्ट से एक बार फिर यह दोहरा दिया गया है कि धर्म के दुकानदार आम लोगों को धर्म की कल्पित कहानियों के सहारे किस तरह मरने-मारने के लिए, आज के साइंस, तकनीक, तर्क, ज्ञान के युग में भी, बहकाने में सफल हैं. इस ब्लास्ट में ब्लास्ट करने वालों ने अपनी जान भी दी और दूसरों की भी ली सिर्फ इसलिए कि उन से कहा गया कि जान से बड़ा धर्म है.

सदियों से धर्म के नाम पर जितना खून बहाया गया उतना जमीन, जोरू और जर के लिए नहीं. असल में, जर, जमीन, जोरू के किस्सों के बहाने अपना उल्लू धर्म ने ही सीधा किया है.

जो जानकारी अब तक मिली है उस के अनुसार अच्छी-भली मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को धर्म के ठेकेदारों ने विस्फोटक सामग्री जमा करने को तैयार कर लिया, पैसा भी जमा करवाया और फिर जोखिम ले कर अपने परिवारों को सदा के लिए जेलों में डाल देने वाला काम- जान दे कर जानें ले कर- करवा लिया.

जिस तरह आजकल एक बार फिर दुनियाभर में धर्म का व्यापार बढ़ रहा है और कमजोर युवा धर्म के प्रचारकों के चक्कर में आ जाते हैं, उस से साफ है कि विज्ञान और तकनीक ने जो सुविधाएं पिछले 300-400 सालों में मानव को दीं, उन पर धर्मगुरु पानी फेर देने में सफल हो रहे हैं. जिस दिन दिल्ली के लालकिले के पास बम विस्फोट हुआ उस के अगले दिन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में बम विस्फोट हुआ जिसमें भारत का हाथ होना लगभग नामुमकिन है. दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों जगह धर्म का नाम ले कर सुसाइड बॉम्बरों ने कहर ढहाया जिन्हें धर्म के नाम पर पट्टी पढ़ाई गई थी.

आज फिर पूरा विश्व धार्मिक विवादों में फंसा है जैसे पहले यूरोप बड़ी लड़ाइयों में फंसा रहता था और हर बार नई तकनीक का इस्तेमाल धर्म की जड़ें गहरी करने के लिए करता रहा है बजाय लोगों को सुख और सुरक्षा देने के.

यह दुनिया के व्यापारियों, उद्योगपतियों और वैज्ञानिकों की खुशी की बात है कि इसी दौरान लोकतंत्र की भावना पैदा हुई जिस में शासक धर्म की दुकानों को चलाने वालों से सत्ता छीन कर देशों का प्रबंध करने वाले बनते चले गए. हालांकि, आज भी आयतुल्लाओं, मौलवियों, पादरियों, पोपों, स्वामियों, गुरुओं की ज्यादा चलती है.

आज का मानव अगर 200-400 या 1,200 साल पहले के मानव से ज्यादा सुखी है, सुरक्षित है, पक्के मकानों में रहता है, स्वस्थ रहता है, आंधी तूफान से बचता है, सर्दी-गरमी से उसे फर्क नहीं पड़ता तो धर्मों के कारण नहीं बल्कि विज्ञान, तकनीक और लोकतंत्र के कारण है. सभी धर्म आज फिर से मानव को पुरातन काल की ओर धकेल रहे हैं.

पाकिस्तान, अफगानिस्तान के सहारे पूरा अरब क्षेत्र भाग कर यूरोप में गए अपने लोगों के बल पर आतंक मचा रहे है, अमेरिका में मागा गुट चर्च के क्रॉस को सिर पर रख कर सरकारी तंत्र को अपनों से हिंसा के लिए तैयार कर रहा है, भारत में धर्म के नाम पर नए धर्म-शहर पनप रहे हैं. पहले के शहरों में नई-नई धर्म की दुकानें खुल रही हैं. जो अपने-अपने भक्तों को दूसरों के खिलाफ खड़ा कर रही हैं. नुकसान आम आदमी का हो रहा है. पैसा तो जा ही रहा है, विवादों में बिना कारण जानें जा रही हैं, बस, धर्म की दुकानें चलती रहें, फलती-फूलती रहें. Delhi Blast.

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