Hindi Satire:

लेखक: गोविंद सेन

भई, आजकल तो लोग कार को ऐसे पार्क करते हैं जैसे मुगलों ने सड़कें उन की खातिर बनवाई हों. कोई गली, कोई नुक्कड़, कोई मोड़… सब ‘पार्किंग जोन’ घोषित हो चुके हैं. अगर किसी ने टोका तो  जवाब साफ- ‘सड़क क्या तेरे बाप की है?’

हम, हमारी, हमारे आदि शब्द बहुत शक्तिवर्धक होते हैं. इन से अनेक समस्याओं का निदान चुटकी बजाते ही हो जाता है. सुल्टे सिंह कार लाए तो उल्टे सिंह को अपनी शान खतरे में जान पड़ी. उन्होंने आव देखा न ताव, किस्त से कार उठा लाए और उसे हाथी की तरह अपने घर के सामने खड़ी कर दी.

उल्टे सिंह ने शान से पंडित जी से उस की विधि-विधान से पूजा करवाई. उस ने सोचा कि आजकल तो हवाई जहाज से ले कर चंद्रयान तक की पूजा करवाई जाती है. हम कार की पूजा क्यों न करवाएं. कोई यह न सम झे कि हम धर्मप्रेमी नहीं हैं. पूजा की प्रक्रिया में बेदाग श्वेतवर्णी कार पर सिंदूर से बेडौल सतिया भी बनवा लिया. प्रसाद में पाव-भर मिठाई का प्रसाद बांट कर पड़ोसियों को निपटा दिया.

सोशल मीडिया पर भी उन्होंने ‘कारदिखाई’की रस्म अदा कर दी थी. लोग सम झ लें कि हम भी कार वाले हो गए हैं. सुल्टे सिंह को मिठाई का एक टुकड़ा दे कर इस भाव से देखा कि हम भी अब कार वाले हो गए हैं, बे-कार नहीं रहे. उन्होंने सुल्टे सिंह से कहा-‘कार तो हम 4 महीने पहले ही ले आते लेकिन सोचा कि लाएंगे तो फिर अच्छी कार ही लाएंगे. थोड़ा अधिक पैसा तो जरूर लगा लेकिन कार अच्छी आ गई.’ उन के सामने वे अपनी महंगी कार का बखान करना न भूले.

उन्होंने सुल्टे सिंह की कार पर उड़ती हुई नजर डाली जैसे कह रहे हों कि यह क्या पुराने मॉडल की कार उठा लाए. बकरी के नाम पर कुत्ते का बच्चा. बेच क्यों नहीं देते. हमारी तरह नए मॉडल की कार क्यों नहीं लाते. सुल्टे सिंह उल्टे सिंह के भावों को भांप गया. सुल्टे सिंह ने उल्टे सिंह को खा जाने वाली नजरों से देखा जैसे वे उन्हें मिठाई नहीं, जहर देने आए हों. मन में आया कि इस मिठाईरूपी प्रसाद को इन्हीं के सामने कुत्ते को खिला दें पर सुल्टे सिंह धर्मप्रेमी थे, प्रसाद का अपमान न कर सके.

कार को सुल्टे सिंह ने घर के सामने सड़क पर ऐसे पार्क की जैसे सड़क उन के बाप की ही हो. सड़क कालोनी के नक्शे में 20 फुट थी लेकिन हकीकत में वह कहीं 9 तो कहीं 8 तो कहीं 5 फुट की ही रह जाती थी. सब ने 5 से 8 फुट तक सड़क को अपने बाप की सम झ कर उस पर अपना स्थायी कब्जा कर लिया था. किसी ने फर्सियां रख दी थीं. किसी ने सीमेंट से पक्का कर लिया था. किसी ने बाउंड्री वॉल बना ली थी. किसी ने लोहे का 6 फुट लंबा एंगल का स्टैंड रख दिया था.

एक ने बाहर चबूतरा बना कर सिंदूरी रंग में पुते कोई देव स्थापित कर त्रिशूल गाड़ दिया था. वहां गाहे-बगाहे अगरबत्ती खोंसते रहते थे. हाथ जोड़ और आँखें मींच कर खड़े रहते थे. उन के घर के भीतर भी एक पूजा घर था. कालोनी में 3 पूजाघर थे लेकिन उन के मन में इतना भक्ति भाव भरा था कि वे अपने चारों ओर पूजाघर चाहते थे.

अस्थायी कब्जे की तो कोई सीमा ही नहीं थी. अपने दोपहिया वाहन वहीं सड़क पर टिका कर भूल जाना आम बात हो गई थी. किसी को कोई असुविधा हो तो हो, सड़क हमारे बाप की है. बेचारे भूखे सूअर, गाएं और आवारा कुत्ते वाहनों के बीच में मुश्किल से अपना रास्ता बना पाते थे. वे मूक प्राणी मनुष्यों के साथ जैसे-तैसे एडजस्ट कर रहे थे. वे उन्हें क्या कहते. वे मनुष्यों के लालच को  झेलने को अभिशप्त थे.

उल्टे सिंह को अपनी कार को थोड़ा दूर रखना पड़ रहा था. अपने चार मंजिला मकान में उन्होंने पार्किंग बनाने की मूर्खता नहीं की. उन्होंने नीचे से ऊपर तक मकान को किराएदारों से भर दिया था. हर महीने हर कमरा पैसा बरसा रहा था. कार पार्किंग बनाते तो वह 2 कमरों की जगह खा जाती. कार रखने के लिए सड़क हैं न. उल्टे सिंह अच्छी तरह से जानता था कि सड़क सब की नहीं, उस के अपने बाप की ही है.

एक दोपहर एक कुत्ता आकस्मिक रूप से आया और टांग ऊंची कर के बेदाग कार पर मूत्र विसर्जन कर उसे पवित्र कर गया. जब तक उल्टे सिंह कुत्ते को इस पवित्र कर्म से रोकते, वह अपना काम कर चुका था. उल्टे सिंह की मेहनत जल कर राख हो गई.

उन के हाथ में यदि बंदूक होती तो वे कुत्ते को तुरंत गोली मार देते. कुत्ता शान से यह सोचते हुए निकल गया कि सड़क सिर्फ सुल्टे सिंह-उल्टे सिंह की ही नहीं, हमारे बाप की भी है. हमारे बाप की सड़क पर कार रखोगे तो हम यही करेंगे, जनाब. Hindi Satire.

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