Diwali Celebration: भारत को त्योहारों का देश माना जाता है. हर महीने या यों कहें कि हर हफ्ते छोटाबड़ा कोई न कोई त्योहार आ ही जाता है. भारत एक सैकुलर देश है जहां कई धर्म और संप्रदाय के लोग एकसाथ रहते हैं. दुर्गा पूजा, मुहर्रम, रामनवमी और गणेश चतुर्थी जैसे धार्मिक त्योहारों की बात छोड़ दी जाए तो कई त्योहार ऐसे भी हैं जो भारत की पंथनिरपेक्षता की छवि को मजबूत तो करते ही हैं, साथ ही, भारत की विविधता में एकता के सिद्धांत को खूबसूरती से व्यक्त भी करते हैं.  दीवाली भी एक ऐसा ही त्योहार है जो अब धर्म, जाति और संप्रदाय की संकीर्ण दीवारों में कैद नहीं ह गया है बल्कि यह त्योहार विश्व पटल पर भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुंदर व्याख्या करता हुआ नजर आ रहा है. कई मुल्कों में इस की रोशनी फैल चुकी है.

अमेरिका का वाइट हाउस हो या ब्रिटेन की संसद, आज विश्वभर में दीवाली को सैलिब्रेट किया जा रहा है. भारत का रहने वाला हिंदू हो ईसाई हो सिख हो या मुसलमान, यह त्योहार पूरे भारतीयों के गौरव का महान पर्व बन चुका है, इसलिए इस त्योहार को जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठ कर सैलिब्रेट करना चाहिए और प्रकाश के इस पर्व में मन के अंधकार को मिटा कर सभी को गले लगाना चाहिए.

दीवाली को बनाएं यादगार 

महिलाएं अपने मायके वालों को घर बुलाएं. पुरानी सहेलियों को इन्वाइट करें. फैमिली गैदरिंग करें. छोटीमोटी पार्टी का आयोजन करें. पड़ोसियों के घर जाएं, उन्हें घर पर बुलाएं. इन छोटीछोटी बातों से उत्सव यादगार बन जाएगा.

दीवाली पर उन दोस्तों को न भूलें जो आप के बहुत करीब हैं और उन दोस्तों को भी जरूर याद करें जो आप से दूर हैं. दूर के दोस्तों को सिर्फ मोबाइल पर हैप्पी दीवाली की ग्रीटिंग भेज कर अपना फर्ज पूरा न करें बल्कि उन्हें कौल करें और घर बुलाएं. दोस्तों के साथ छोटी पार्टी या गेट-टु-गैदर आयोजित करें. घर को खुद से सजाएं,  झालर लगाएं और इस काम में पड़ोसियों की भी मदद करें. दीवाली की पारंपरिक मिठाइयां जैसे लड्डू, बर्फी और गु िझया घर पर बनाएं तो ज्यादा बेहतर है लेकिन कई बार घर में पकवान बनाने के चक्कर में घर की औरतों का काम बढ़ जाता है जिस से वे त्योहारों को सैलिब्रेट करने में पीछे रह जाती हैं. घर की औरतों को भी दीवाली को सैलिब्रेट करने का पूरा मौका दें. इस के लिए उन के घरेलू कामों में उन की मदद करने में पीछे न हटें.

औरतें सिर्फ रसोई के लिए नहीं

औरतें सिर्फ रसोई के लिए नहीं होतीं. त्योहारों को सैलिब्रेट करने में उन्हें भी बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए. दीवाली के वक्त तो औरतों का काम इतना बढ़ जाता है कि उन्हें सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिल पाती. घर की साफसफाई और मेहमानों के लिए चायनाश्ता बनातेबनाते दीवाली बीत जाती है. दीवाली के लिए तैयार होने का वक्त जब मिलता है तब तक उत्सव फीका पड़ चुका होता है.

किचन के काम को हलका करने के लिए जरूरी चीजें पहले ही घर में ला कर रख देनी चाहिए ताकि किसी सामान की कमी के कारण औरतों का वक्त बरबाद न हो. दीवाली के दिन घर में काम करने वाली कामवाली को गिफ्ट दे कर छुट्टी कर दें ताकि वह भी दीवाली को सैलिब्रेट कर सके. किचन के वे काम जो मर्द कर सकते हैं उन्हें करने में शर्म या हिचक बिलकुल न करें. दीवाली के दिन  झाड़ूपोंछा, बरतनों की सफाई, घर की सफाई आदि काम मर्दों को करने चाहिए, इस से घर की औरतों का बहुत समय बच जाएगा.

दीवाली पर रखें पर्यावरण का खयाल

दीवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन पर्यावरण को प्रदूषित करने से खुशियों का यह त्योहार एक डिजास्टर बन जाता है. वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के अलावा इतना कचरा सड़कों पर इकट्ठा हो जाता है कि उसे हटाने में म्युनिसिपल वालों को कई दिन लग जाते हैं. दीवाली के बाद शहरों की हालत खराब हो जाती है. प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है. सांस लेने में परेशानियां होने लगती हैं. कचरे के कारण नालियां जाम हो जाती हैं. कचरे का पहाड़ लग जाता है. यह सब हमारी लापरवाही के कारण होता है.

दीवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन इन खुशियों के लिए पटाखे जरूरी नहीं, इसलिए पटाखों का उपयोग कम से कम करें. पौलीथिन बैग्स और डिस्पोजल वस्तुओं का प्रयोग भी कम करें. बिलकुल इकोफ्रैंडली दीवाली मनाएं. मिट्टी के दीये और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें. सामुदायिक दीवाली उत्सव में भाग लें. उत्सव के खास पलों को कैमरे में कैद करें. परिवार और दोस्तों के साथ मिल कर पुरानी दीवाली की यादें ताजा करें. इन छोटेछोटे प्रयासों से दीवाली को खुशहाल, सुरक्षित और यादगार बनाया जा सकता है.

दीवाली में सब से जरूरी काम

उत्सव सब के लिए होते हैं. इस दिन कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. अगर आप गांवकसबों में रहते हैं तो इस बात का खयाल रखें कि कोई घर उजाले से वंचित न रह जाए. कई ऐसे घर भी होते हैं जो आर्थिक तंगी से लाचार होते हैं. यदि आप सक्षम हैं तो ऐसे परिवार भी उत्सव मना सकें, इस बात की जिम्मेदारी तय करें. गांव के बुजुर्गों से मिलें. बच्चों से बात करें.

दीवाली के दिन लोग मंदिरों और घरों की साफसफाई तो बड़े चाव से करते हैं लेकिन वे सरकारी स्कूलों को भूल जाते हैं. जबकि, गांव के सरकारी स्कूल मंदिरमसजिद से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते हैं. इन्हीं स्कूलों से निकल कर बच्चे देश की व्यवस्था का हिस्सा बनते हैं. सो, युवाओं की टीम बनाएं और सरकारी स्कूलों की साफसफाई में जुट जाएं. स्कूलों में भी  झालर और दीये लगाएं.

मर्दऔरत मिल कर सैलिब्रेट करें

त्योहारों के दिन मर्दों के पास खूब वक्त होता है लेकिन वे बिजी होने का बहाना करते हैं. मर्दों की इस बहानेबाजी को औरतें सम झें और उन्हें खाली न रहने दें. जरूरत पड़े तो उन्हें आलू छीलने, प्याज काटने या मसाला पीसने जैसे कामों में लगाएं. पति मोबाइल पर रील देखें और औरतें किचन में काम करें, यह ठीक नहीं है.

घर में मर्द और औरतें साथ बैठ कर खाना खाएं. फैमिली गैदरिंग में औरतों को शामिल करें और उन्हें बोलने का मौका दें. किसी टौपिक पर डिबेट रखें और सब को अपनी राय रखने का मौका दें. Diwali Celebration

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