लेखक – महेश कांत शिवा
Punjab News : जमाना बदल जाने की चाहे हम कितनी ही बातें करते हों, परंतु सच्चाई यह है कि आज भी हमारी सोच और मान्यताएं सदियों पुरानी हैं. प्रेम के दीवानों को ले कर आज भी दकियानूसी सोच सामने आती है. देश के सब से खुशहाल प्रदेश कहे जाने वाले पंजाब में आज प्रेम करना सब से बड़ा गुनाह हो गया है. पंजाब में प्रेमी युगल वहां की पंचायतों के निशाने पर हैं. प्रेम के दीवानों के लिए पंचायत के फैसलों से पार पाना मुश्किल साबित हो रहा है. एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न राज्यों की हाईकोर्ट प्रेमी युगलों को संरक्षण देने के और्डर दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर समाज का रुख बिलकुल ही अलग है. पंजाब में प्रेमी युगलों को न केवल बेघर और गांवों से निकाला जा रहा है, बल्कि उन का साथ देने वालों पर भी अत्याचार किया जा रहा है. पंजाब के ग्रामीण इलाकों में लव कपल्स को इतना प्रताडि़त किया जा रहा है, जैसे उन्होंने हत्या जैसा कोई अपराध कर दिया हो. यही कारण है कि पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों से प्रेमी युगल पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.
पंजाब में लव मैरिज करने वाले युगलों के लिए हर दूसरेतीसरे दिन फरमान जारी किए जा रहे हैं. पंचायतों द्वारा भाग कर शादी करने या परिजनों की रंजामंदी से भी प्रेम विवाह करने वाले युगलों को सभी तरह की सुविधाओं से वंचित करने समेत गांव और आसपास के गांवों में रहने पर पाबंदी लगाई जा रही है. ताजा मामला पंजाब के मोहाली जिले के गांव मानकपुर शरीफ का है. इस गांव में 1 अगस्त, 2025 को पंचायत बुलाई गई. पंचायत में सरपंच, ग्राम पंचायत सदस्य और गांव के गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए. इस दौरान फैसला सुनाया गया कि लव मैरिज करने वाला कपल गांव में नहीं रह सकेगा. गांव में लव मैरिज पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया.
गांव के सरपंच दलबीर सिंह के अनुसार, यह फैसला पंचायत सदस्यों और गांव वालों की सर्वसम्मति से लिया गया है. पंचायत द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यदि कोई गांव वाला प्रेम विवाह करने वाले युगल की मदद करता है तो पंचायत उस के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करेगी. प्रेमी जिस परिवार से संबंध रखते हैं, उस को भी पंचायत का फैसला मानना पड़ेगा. ऐसा न करने पर संबंधित परिवार को भी गांव से बाहर कर दिया जाएगा. पंचायत के इस फरमान को ले कर सरपंच दलबीर का तर्क है कि गांव में युवक और युवती द्वारा आपस में प्रेम विवाह कर लेने से गांव में विवाद की स्थिति बनती है. गांव की पंचायत नहीं चाहती कि गांव में किसी तरह का विवाद हो और शांति भंग हो.
वहीं, मोहाली की एसडीएम सोनम चौधरी का कहना है कि गांव की पंचायत द्वारा लिए फैसले की प्रशासन के पास कोई जानकारी नहीं है. उन का कहना है कि अगर कोई युवक या युवती 18 साल की उम्र पार कर चुके हैं उन्हें खुद का फैसला लेने का अधिकार है. सोनम चौधरी का कहना है कि इस तरह की शिकायत आती है तो उस पर कड़ा ऐक्शन लिया जाएगा. मोहाली जिले की मानकपुर शरीफ पंचायत द्वारा दिया गया यह फरमान अकेला नहीं है. 27 जुलाई को पंजाब के फरीदकोट जनपद के 2 गांव सिरसारी और अनोकपुरा की पंचायतों ने इस तरह का अजीब फैसला सुनाया है. इन दोनों गांवों में भी लव मैरिज या कोर्ट मैरिज करने पर बैन लगा दिया गया. दोनों गांवों की पंचायतों ने लव मैरिज के खिलाफ सा?ा प्रस्ताव पारित किया.
दोनों गांवों के पंचों और सरपंचों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए. यही नहीं, इन के द्वारा पंजाब सरकार से लव मैरिज रोकने के लिए कानून बनाने की मांग तक कर डाली गई. सिरसारी की सरपंच ज्ञान कौर और अनोकपुरा गांव के सरपंच का तर्क है कि लव मैरिज होने के बाद सामुदायिक हिंसा और हिंसक विवाद उभरते हैं. यहां तक कि मर्डर तक हो जाते हैं. विवाद और गांव की शांति बरकरार रखने के लिए पंचायत द्वारा यह फैसला लिया गया है. पंजाब में एक के बाद एक गांवों की पंचायतों द्वारा प्रेमी युगलों के खिलाफ फैसले लिए जा रहे हैं. बठिंडा के गांव कोर्ट शमीर में भी लव मैरिज करने पर प्रतिबंध लगाया गया है. इस के अलावा लुधियाना के गांव चकर की पंचायत द्वारा भी इस तरह का फरमान सुनाया जा चुका है.
लुधियाना के गांव चणकोईयां खुर्द की पंचायत द्वारा भी कुछ दिनों पहले इस तरह का फरमान जारी किया गया था कि कोई लड़का या लड़की आपस में विवाह करते हैं तो उन का न केवल सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा, बल्कि उन्हें गांव में भी नहीं रहने दिया जाएगा. इस फैसले की सूचना आसपास के दूसरे गांवों में भी भेजी गई और वहां की पंचायतों से भी लव कपल को गांव में न रहने देने की अपील की गई.
परिवार को गांव से बाहर निकाला
अब यह कहां का कानून है कि बेटा भाग कर शादी करे तो उस की सजा परिवार वालों को भुगतनी पड़े, लेकिन घलकलां गांव में ऐसा ही हुआ. पंजाब के मोगा जिले के गांव घलकलां में भी पंचायत द्वारा प्रेम विवाह करने पर बैन लगाया गया है. इस गांव का रहने वाला एक युवक पड़ोस में ही रहने वाली एक युवती से प्यार करता था. दोनों चोरीछिपे मिलते भी थे. दोनों ने घर से भागने का प्लान बनाया और 2 महीने पहले शहर जा कर 5 मई, 2025 को प्रेम विवाह कर लिया. इस बात का पता जब गांव की पंचायत को चला तो पंचायत और गांव के लोगों ने युवक के पिता तरसेम सिंह को गांव से निकलने का फरमान सुना दिया. 2 महीने पहले तरसेम और उस के परिवार को गांव से बाहर निकाल दिया गया. इस के बाद वे अपने रिश्तेदार के यहां जा कर रहने लगे.
21 जुलाई को तरसेम की पत्नी जसबीर कौर वापस लौटी तो गांव की महिला सरपंच का पति और लड़की के परिवार के लोगों ने उन के घर पर धावा बोल दिया. गांव की कुछ महिलाओं ने जसबीर कौर की चोटी और बाल पकड़ कर बुरी तरह से घसीटा और मारपीट की. इस मारपीट में जसबीर कौर के हाथ और सिर में चोट आई. किसी तरह से जसबीर कौर और परिवार के लोग अपनी जान बचा कर भागे. अब यह परिवार सड़क पर रात बिताने को मजबूर है. पीडि़त परिवार जब शिकायत ले कर थाने पहुंचा तो पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.
गांव की सरपंच के पति सुखचैन सिंह का कहना है कि गांव में जो भी लव मैरिज करेगा या भाग कर शादी करेगा, उसे गांव में नहीं रहने दिया जाएगा, इस तरह का प्रस्ताव पहले ही पारित किया जा चुका है. पंचायत के फैसले के अनुसार उन के घर पर ताला लगाया गया है. अगर यह कहा जाए कि पंजाब में पंचायतों के फैसलों को ले कर कोई जानकारी नहीं है तो गलत होगा. दरअसल, प्रस्ताव पारित करने के बाद बाकायदा स्थानीय प्रशासन को उस की कौपी भेजी जाती है. अब सवाल यह है कि सरकार और प्रशासन पंचायतों द्वारा लिए जाने वाले बेतुके फैसलों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? इस का एक बड़ा कारण यह है कि पंजाब में अधिकांश सरपंच प्रदेश की आम आदमी पार्टी के समर्थित हैं. सरकार बनाने में इन्होंने योगदान किया है. इसलिए यदि कोई व्यक्ति शिकायत भी करता है तो उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. सरकार के नुमाइंदे नहीं चाहते कि उन के वोटबैंक पर असर पड़े.
2027 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. आम आदमी पार्टी द्वारा इस की तैयारी भी की जा रही है. आम आदमी पार्टी गांव की ओर रुख कर रही है और वह नहीं चाहती कि पंचायतों के खिलाफ कोई भी कदम उठाया जाए, क्योंकि यदि पंचायतों के खिलाफ कोई भी कदम उठाया गया तो उस का असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.
ऐसी योजनाओं का क्या फायदा
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अंतरजातीय या प्रेम विवाह करने पर समाज कल्याण विभाग के माध्यम से वित्तीय सहायता दिए जाने की योजनाएं संचालित हैं. पंजाब में अंतरजातीय विवाह करने पर ढाई लाख रुपए की सहायता दिए जाने का प्रावधान है. पंजाब में पहले यह राशि 50 हजार रुपए थी परंतु इस इनाम का क्या औचित्य जब इनाम पाने वाला ही महफूज न रहे? Punjab News