Bed Making : अब इतनी आसान तकनीक आ गई है जिस से लकड़ी का बेड कोई भी आसानी से बना सकता है. मजेदार बात यह कि इस का असेम्बल प्रोसेस इतना आसान है कि इस में कारपेंटर की जरूरत भी नहीं.
जब भी हम बेडरूम में एक शानदार बेड की बात करते हैं तो हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि लकड़ी कहां से आएगी ? कैसे लकड़ी की पहचान करें ? प्लाई से बने बेड टिकाऊ होंगे या नहीं ? इस को बनाने के लिए कारपेंटर कैसा होगा ? सही कारीगर नहीं हुऐ तो क्या होगा ? पैसे तो ज्यादा न ले ले ? हमारे बेडरूम से मैचिंग फर्नीचर कैसा होगा ? तमाम तरह के सवालों से परेशान हो कर लोग नए बेड या फर्नीचर का सपना ही त्याग देते हैं.
टैक्नलौजी ने इस परेशानी का हल निकाल दिया है. मजेदार बात यह है कि आप अपना बेड बिना किसी कारपेंटर की मदद के खुद ही फिट कर सकते हैं. इस के लिऐ न तो किसी कारपेंटर की मदद लेने की जरूरत है और न ही स्क्रू और कील जैसे जरूरती चीजों की. अपने बेड को बना कर उस पर लेटने का सुख कुछ अलग ही अनुभव देता है. यह आप की सोच, जरूरत और स्टाइल के तो होते ही हैं मजबूत किफायती और टिकाऊ भी होते हैं.
बिल्ट-इन या कस्टमाइज्ड फर्नीचर
अपने से फिट किये जाने वाले फर्नीचर को ‘बिल्ट-इन’ या ‘कस्टमाइज्ड फर्नीचर’ कहा जाता है. कमरे की जगह का अधिकतम प्रयोग करने के साथ ही साथ यह अपने बेहतरीन डिजाइन की वजह से पंसद किए जा रहे हैं. यह फर्नीचर कमरे की दीवारों और फर्श के साथ मैच करते हुए हो सकते हैं. अब फर्नीचर केवल वुडेन कलर तक सीमित नहीं रह गए है. यह पानी और दूसरी चीजों से जल्दी खराब नहीं होते हैं. जरूरत के हिसाब से इन को मजबूत बनाने के लिए स्टील की रौड या छड़ का उपयोग भी किया जाता है.
बेड, सोफा, अलमारी, किताबों की अलमारी, किचन कैबिनेट, बाथरूम वैनिटी और छोटीछोटी सजावट और जरूरत के सेल्फ, टेबिल और भी बहुत सारे प्रोडक्ट्स इस में शामिल हैं. इस की खास बात यह होती है कि यह कमरे की प्रत्येक इंच जगह का उपयोग करता है. बिल्ट-इन फर्नीचर घर को सुव्यवस्थित और आकर्षक लुक प्रदान करता है. यह आमतौर पर दीवारों या फर्श से जुड़ा होता है, जिस से यह मजबूत और स्थिर होता है. इस के जरिए कमरे के कोनों का बेहतरीन उपयोग हो सकता है.
इस को फिट कैसे करें
‘बिल्ट-इन फर्नीचर’ को दो तरह से फिट किया जा सकता है. अगर कस्टमर खुद इस को फिट करना चाहते हैं तो उन को सब से पहले एक टूल किट लेनी होती है. इस की कीमत फर्नीचर में जुड़ी नहीं होती है. एक बार खरीदने के बाद इस को संभाल कर रखें तो बारबार इस को खरीदना नहीं पड़ता है. जिस में स्क्रू ड्राइवर के साथ कई तरह स्क्रू ओपनर होते हैं. जिन को स्क्रू ड्राइवर में फिट कर के जरूरत के हिसाब ने नट बोल्ट को लगाने का काम किया जा सकता है. टूल किट में एक हथौड़ी, प्लास भी होते हैं. इस एक टूल किट के जरीए ही पूरा फर्नीचर फिट कर दिया जाता है.
अगर आप खुद इस फर्नीचर को फिट नहीं कर सकते तो आप के पास कारपेंटर भी भेजा जा सकता है. वह अपनी फीस अलग से लेता है. जैसे एक बेड 13 हजार का है तो 4 हजार अलग से देने होंगे कारपेंटर को. अपने से फर्नीचर को फिट करना बेहद सरल होता है. फर्नीचर के साथ ही साथ एक बुकलेट दी जाती है. जिस में ग्राफिक बना कर स्टेप बाई स्टेप यह समझाया जाता है कि कब क्या करना है. किस टूल का प्रयोग किस स्क्रू या नटबोल्ट को लगाने में करना है यह चित्रों के जरीये समझाया जाता है. फर्नीचर के साथ एक भी नट बोल्ट एक्सट्रा नहीं होता है. अगर एक भी स्टेप गलत हो जाता है तो आगे सही से फिटिंग नहीं होती है. गाइड लाइन के साथ फर्नीचर को फिट करना बेहद सरल होता है. स्क्रू और नटबोल्ट इतने अच्छी किस्म के बने होते हैं और इन को लौक करने का सिस्टम बहुत अच्छा होता है जिस से फर्नीचर हिलता डुलता नीं है. इस को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का एक ही तरीका होता है कि इन को खोल कर ही ले जाया जाए.
कौन सी कंपनी बना रही फर्नीचर
फर्नीचर की कीमत उस के साइज, लकड़ी, डिजाइन से तय होती है. आइकिया दुनिया की सब से मशहूर कंपनी है जो लकड़ी और उस जैसे प्रोडक्ट्स से फर्नीचर की बेहतरीन डिजाइन के फर्नीचर तैयार करने का काम करती है. आइकिया स्वीडन की कंपनी है. 1943 में इस की स्थापना इंगवार काम्पराड ने की थी. उन का सपना था कि कम कीमत में अच्छा फर्नीचर घर घर पहुंच सके. आइकिया 2008 से दुनिया की सब से बड़ी फर्नीचर के रूप में स्थापित हो गई है. कंपनी का मुख्यालय नीदरलैंड के डेल्फ्ट में है. इस की फैक्ट्री चीन के अलगअलग शहरों में है. आइकिया ने 2018 में भारत के हैदराबाद में अपना पहला स्टोर खोला था. इस के बाद कंपनी ने नवी मुंबई और बेंगलुरु में भी स्टोर खोले हैं. भारत में आइकिया का लक्ष्य 40 शहरों में स्टोर खोलना है.
भारत के मुकाबले स्वीडन एक बहुत छोटा देश है. इस के बावजूद वहां की फर्नीचर कपंनी आइकिया भारत के फर्नीचर बाजार में अपना एकाधिकार जमाने में सफल रही है. भारत में कंपनियां अब उस के तर्ज पर बिजनेस को आगे ला रही है. स्वीडन उत्तरी यूरोप के नोर्डिक क्षेत्र का हिस्सा है. स्वीडन आकार में बड़ा और जनसंख्या में छोटा है. यहां की जनसंख्या 1 करोड़ 5 लाख के करीब है. जो विश्व की जनसंख्या का 0.13 प्रतिशत हिस्सा है. यहां 20 से 64 आयुवर्ग में 84 फीसदी पुरुष 82 फीसदी महिलाऍन रोजगार करती हैं.
स्वीडन इतना लंबा है कि जब दक्षिणी छोर पर बर्फ खिल रही होती है, तब भी इस का उत्तरी भाग बर्फ से ढका रहता है. इस का दो तिहाई से ज्यादा भूभाग जंगल से ढका है और लगभग 1,00,000 झीलें हैं. यह यूरोप का पांचवा सब से बड़ा देश और आकार में लगभग कैलिफोर्निया के बराबर है. स्टोकहोम, गोटेबोर्ग और माल्मो यहां के प्रमुख शहर हैं. स्वीडन से निर्यात होने वाली वस्तुओं में लकड़ी के उत्पाद के साथ ही साथ वाहन और मशीनें, फार्मास्यूटिकल्स रसायन, इलेक्ट्रौनिक्स, खनिज, ऊर्जा, खाद्य पदार्थ, जूते और कपड़े प्रमुख हैं.
आइकिया मजबूत फ्रेम और स्लैट्स ठोस लकड़ी के फर्नीचर तैयार करती है. यह ओक, अखरोट, शीशम और सागौन जैसी लकड़ी का प्रयोग भी करते हैं. इस के साथ ही इंजीनियरिंग वुड का प्रयोग प्लाई बनाने में होता है. आइकिया जैसी कंई और कंपनिया भी है जो अलगअलग तरह से इस तरह के फर्नीचर बना रही है. इन में एमडी ट्रेड लाइन सब से प्रमुख कंपनी है. यह स्टोन और फर्नीचर के क्षेत्र में काम कर रही एक भरोसेमंद कंपनी है. भारत सहित पूरी दुनिया में यह अपने फर्नीचर पंहुचा रही है. कंपनी प्रेसीडैंट मुरलीधर आनंदीलाल का कहना है ‘कुशल शिल्पकला और गुणवत्ता ही हमारी ताकत है. हमारे प्रोडक्ट्स वैसे ही हो जैसे आप चाहते हैं.’
इंजीनियर्ड वुड कितना मजबूत
आज का सस्ता और टिकाऊ फर्नीचर इंजीनियर्ड वुड से तैयार होता है. इस को कम्पोजिट वुड भी कहा जाता है. यह लकड़ी के रेशों, कणों को एक साथ चिपका कर बनाई जाती है. इस के ऊपर पौलीलेयर लगाई जाती है. इस को चिकना और चमकदार बनाने के लिए रेजिन का प्रयोग किया जाता है. जिस से यह लकड़ी जल्दी खराब नहीं होती है.
इंजीनियर्ड वुड कई प्रकार का होता है. प्लाईवुड में लकड़ी की पतली परतों को एक साथ चिपका कर बनाया जाता है. ओरिएंटेड स्ट्रैंड बोर्ड (ओएसबी) लकड़ी के बड़े स्ट्रैंड्स को एक साथ चिपका कर बनाया जाता है. पार्टिकल बोड लकड़ी के छोटे कणों को एक साथ चिपका कर बनाया जाता है. मीडियम डेंसिटी फाइबरबोर्ड (एमडीएफ) लकड़ी के रेशों को एक साथ चिपका कर बनाया जाता है. लेमिनेटेड वेनियर लंबर (एलवीएल) लकड़ी के पतली छाल को एक साथ चिपका कर बनाया जाता है. क्रोस लैमिनेटेड टिम्बर (सीएलटी) लकड़ी के स्लैब को एकदूसरे के लंबाई में रख कर चिपका कर बनाया जाता है.
इंजीनियर्ड वुड लकड़ी से अधिक अधिक मजबूत और टिकाऊ होती है. इस में एक तरह के कैमिकल का प्रयोग करते हैं जिस से इस को दीमक से नुकसान नहीं होता. पानी से सड़ने का खतरा नहीं होता है. नमी के कारण सिकुड़ती या फूलती नहीं है. यह प्राकृतिक लकड़ी की तुलना में कम खर्चीली होती है. इस लिए इस से बने फर्नीचर सस्ते होते हैं. इस में अलगअलग तरह के डिजाइन बनाना आसान होता है. आग लगने पर यह जलती नहीं है. बहुत खराब हालत में भी केवल सुलगती है. जिस से आग लगने से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है.
इंजीनियर्ड वुड पर इंपोर्ट ड्यूटी 15 से 25 फीसदी होती है. यह कीमत और किस तरह का प्रोडक्ट्स प्रयोग किया गया है इस पर निर्भर करता है. इस के अलावा फर्नीचर की कीमत के हिसाब से ही जीएसटी लगाया जाता है. भारत में लड़की के फर्नीचर पर आमतौर पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है. लग्जरी फर्नीचर, लोहे और लकड़ी के फर्नीचर पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है. लकड़ी और प्लास्टिक के फर्नीचर पर 18 फीसदी जीएसटी है. कीमत के हिसाब में यह 10 हजार तक 12 फीसदी, 10 से 25 हजार तक 18 फीसदी और 25 हजार से अधिक पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है.
भारत में ‘बिल्ट-इन’ या ‘कस्टमाइज्ड फर्नीचर’ की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है. सरकार अगर इस कारोबार को सहायता दे तो आइकिया जैसी विदेशी कंपनियों के मुकाबले देशी कंपनिया भी आगे बढ़ सकती है. जिस से यहां भी रोजगार मिल सकेगा और फर्नीचर बाजार सस्ता भी हो सकेगा. बेरोजगार लोगों को काम मिल सकेगा. अभी भारत में लकड़ी का काम कराना बेहद मुश्किल, खर्चीला और समय लेने वाला है. एक कारपेंटर दिन का 800 रूपये से 1500 रुपए की मजदूरी लेता है. उस के पास काम करने वाले पुराने किस्म के औजार ही हैं. बिजली से चलने वाले नए किस्म के औजार और नटबोल्ट न होने से उस के द्वारा तैयार किए गए सामान बहुत खूबसूरत नहीं होते हैं.
सावधानी से करें फर्नीचर की देखभाल
इंजीनियर्ड वुड प्राकृतिक लकड़ी से अलग होती है. यह अपने रखरखाव में केयर मांगती है. इस का पालन करेंगे तो यह फर्नीचर काफी समय तक चलेगा.
• जब यह फर्नीचर आता है तभी उस में लिखा होता है कि कितना वजन सहन करने की क्षमता इस में होती है. वजन से अधिक क्षमता न डालें.
• फर्नीचर गंदा हो तो इस को साफ करने का कैमिकल आता है उस से साफ करें.
• फर्नीचर को कमरे को फिर से व्यवस्थित करते समय सावधानी बरतें ताकि खरोंच या गड्ढों से बचा जा सके.
• समयसमय पर इस के स्क्रू और बोल्ट, की जांच करते रहें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे कसे हुए और सुरक्षित हैं.
• फर्नीचर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते समय या मरम्मत के दौरान खरोंच, डेंट से बचाने के लिए कवर या कंबल का उपयोग करे.
• फर्नीचर को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए नियमित सफाई, पोलिशिंग और नमी से बचाव की आवश्यकता होती है. Bed Making