Street Dogs : सुप्रीम कोर्ट के कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे कम से कम 70 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रेबीज टीकाकरण करें. यह एक बाध्यकारी प्रक्रिया होगी जिसे सभी को मानना ही होगा. इस के लिए राज्यों को अपनी प्रगति रिपोर्ट भी बनानी होगी और न करने कर जवाबदेही भी तय होगी.
इसे सही निर्णय कहा जाना चाहिए, क्योंकि बड़े शहरों से ले कर छोटे टाउन तक में कुत्तों का आतंक फैला हुआ है. कुत्तों के चलते लोग अपना रास्ता ही बदल लेते हैं. बात सिर्फ संख्या की नहीं है, इन से होने वाली बीमारी भी चिंता का विषय है. रेबीज जानलेवा है. 99.9 फीसदी मामले में मौत निश्चित है. यदि किसी को कुत्ते ने काट लिया तो इस की प्रति वैक्सीन डोज 350-500 रुपए तक की आती है. 5 डोज लगानी पड़ती हैं. कुत्ते के एक बाइट या पंजे के निशान तक से ही 2000 रुपए तक का खर्चा बैठ जाता है. जाहिर है इस का बड़ा भार सरकार को वहन करना पड़ता है और सरकार को सालाना 100 करोड़ रुपए इस बिन बुलाए दिक्कत पर खर्च करने पड़ते हैं.
अच्छी बात यह है कि केंद्र इस टारगेट को पूरा करने के लिए राज्यों को अनुदान देगी. जिस में नसबंदी और टीकाकरण के लिए प्रति कुत्ता 800 रुपए और प्रति बिल्ली 600 रुपए है. यही नहीं, फीडिंग जोन, रेबीज नियंत्रण इकाई बनाने और आश्रय स्थलों के उन्नयन के लिए अलग से फंड दिया जाएगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की दिक्कतों पर खुद ही संज्ञान ले कर सरकार को यह राह दिखाई है. 11 अगस्त के अपने फैसले पर संशोधन कर 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जिन कुत्तों को पकड़ा गया है उन्हें नसबंदी और एंटी रेबीज टीकाकरण के बाद फिर उन की जगह पर छोड़ दिया जाए. अब केंद्र सरकार ने पूरे देश में इसे लागू करने का फैसला किया है.