Romantic Story In Hindi : जीवन की हर छोटीबड़ी खुशी को कल पर टालती थी मीरा पर वह कल कभी आता ही नहीं था. लेकिन आज वह समझ गई थी कि हर दिन, हर सुबह अपने साथ एक नया मौका ले कर आती है जिंदगी को महसूस करने का.
आज राजू की मां मीरा उस के कमरे की सफाई कर रही थी. परीक्षा खत्म हो गई थी, सोचा पुरानी किताबेंकौपियां कबाड़ी को दे दें. वैसे भी, इस साल राजू 12वीं पास कर चुका था. अब वह आगे की पढ़ाई के लिए होस्टल जाने वाला था. राजू का कमरा काफी भराभरा लगता था. मां फुरसत से उस के कमरे को साफ करने बैठी थी.
मीरा उस के पुराने खिलौनों को देख रही थी जो एकदम ही नए लग रहे थे. मीरा को याद आया कि जब भी राजू कहता कि मैं गिफ्ट में मिले खिलौने को खेलूं तो वह कहती कि फिर कभी खेलना, अभी निकालेगा तो बस 2 मिनट खेल कर गंदे कर देगा. देख, पैकेट में कितने अच्छे लगते हैं और उन खिलौनों को वह संभाल कर रख देती थी. आज राजू इतना बड़ा हो गया था कि शायद ये खिलौने, गिफ्ट में मिले हुए पैंसिल बौक्स, रंगीन चौक, टैडी और भी बहुतकुछ अब उस के काम के नहीं रह गए थे.
राजू की मां सोच रही थी, बेचारे राजू ने उसी समय खेल लिया होता तो कम से कम ऐसे नएनए खिलौने फेंकने तो न पड़ते. सोचतेसोचते वह सोच में डूबने लगी तो उस ने यह भी सोच ही लिया कि वह भी तो अपनी हर अच्छी साड़ी यों ही सहेज कर रखती है कहीं आनेजाने के लिए. हर अच्छी क्रौकरी वह रखती है मेहमानों के लिए और जब मेहमान आए हैं तो अकसर वह जल्दीजल्दी में उन्हीं कपप्लेटों में चायनाश्ता दे देती है जो रोज वाले होते हैं.
जीवन की हर छोटीबड़ी खुशी को वह कल पर टालती है और वह कल कभी आता ही नहीं है. अब इतना सब सोच कर उसे लगने लगा कि उस ने तो अपना जीवन बिलकुल भी नहीं जिया. सारी ख्वाहिशें जस की तस धरी हैं फुरसत के इंतजार में. जब भी सहेलियों ने पूछा किसी पिक्चर या पार्टी के लिए, कभी जा ही नहीं सकी. एक ही जवाब रहा उस का, फुरसत नहीं मिलती. अच्छी से अच्छी साड़ी कभी घूमने जाऊंगी तो पहनूंगी के चक्कर में धरी की धरी रह गई.
और ऐसे ही एक दिन जैसे वह राजू के खिलौने कबाड़ी को दे रही है वैसे ही उस की पूरी जिंदगी भी एक दिन बेकार ही रह जाएगी और वह भी अपने पसंदीदा सामान को रखेरखे बेकार कर देगी. सच तो यह है कि वह जिंदगी के कैनवास में भी मनमाफिक कोई रंग भर नहीं पाई.
इतना सोचते ही उस को एक तेज झटका लगा. उस ने सोचा, इसी पल से वह अपने आने वाले हर पल को भरपूर जिएगी.
वह कामधाम निबटा कर एक अच्छी सी साड़ी पहन कर निकल गई गार्डन में. वहां उसे उस की एक सहेली मिल गई. उस ने बोला, ‘‘क्या बात है, आज तू कैसे निकल आई, फुरसत मिल गई?’’ तो उस ने बड़े ही सलीके से कहा, ‘‘फुरसत मिलती नहीं, निकाली जाती है.’’ यह सुन कर मीरा की सहेली सोनिया ने कहा कि जय हो मीरा देवी की.
दोनों सहेलियों ने दिल खोल कर ठहाका लगाया और अपनी पसंदीदा पानीपूरी खा कर घर आ गईं. आज रात को खाना खाते हुए वह बड़ी ही प्रसन्न दिखाई दे रही थी.
पति ने उस के गले में अपनी बांहें डालते हुए कहा, ‘‘आज बड़ी ही खुश और सुंदर नजर आ रही हो, क्या कोई खजाना मिल गया है?’’
मीरा ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘खजाना तो मेरे पास कब से ही था. आज उस खजाने की चाबी मिल गई है.’’ यह कह कर मीरा ने उस दिन का पूरा वृत्तांत पति को सुना दिया कि कैसे राजू का कमरा साफ करते हुए उस के नएनवेले खिलौनों को देख कर उस का अपनी जिंदगी जीने का नजरिया बदल गया.
अब चौंकने की बारी उस के पति सुशील की थी. उस ने मीरा से कहा, ‘‘मीरा, तुम्हारी बातों से मेरी भी आंखें खुल गई हैं. मैं भी तुम को कभी कहीं घुमानेफिराने नहीं ले जा सका. देखो, आज राजू भी होस्टल चला गया. मैं उस को भी कभी पिकनिक पर नहीं ले जा सका. कितना रोता था जब छोटा सा था कि पापा, संडे को घूमने चला करो न. किंतु मैं कभी थकावट, कभी काम का रोना ले कर बैठा रह गया.’’
सुनील आगे भावुक हो कर बोला, ‘‘मीरा, बीते दिनों को वापस तो नहीं ला सकते लेकिन आज से हर पल को भरपूर जिएंगे, यह वादा है और तुम को जो खजाने की चाबी मिली है न, उस को हर पल दिल खोल कर लुटाएंगे हम दोनों और जो सोनी का वेबकैम किसी खास मौके के इंतजार में धूल खा रहा है उस से हर दिन तुम्हारी तसवीर खींचूंगा.’’
मीरा अब सुनील के सीने से लग गई. शायद वह भी भावुक हो गई थी सुनील की बातों से.