Family : पहली शादी के फ्लौप होने पर या जीवनसाथी की मृत्यु के बाद व्यक्ति अकेला हो जाता है. इस अकेलेपन को दूर करने के लिए दूसरी शादी करना बेहतर विकल्प हो सकता है पर सवाल यह है कि पहली शादी से हुए बच्चों के रहते दूसरी शादी से बच्चे पैदा करना कितना सही है?

निशांत की बीवी कोरोना के दौरान मर गई. पहली बीवी से निशांत की 6 और 7 साल की 2 बेटियां थीं. पत्नी की मौत के वक्त तो निशांत ने तय किया था कि वह कभी दूसरी शादी नहीं करेगा लेकिन पत्नी की मौत के 5 साल गुजर जाने के बाद निशांत को जीवनसाथी की कमी खलने लगी. निशांत की साली कुसुम के भी 2 बच्चे थे और वह पिछले 3 साल से तलाकशुदा थी. निशांत और कुसुम एकदूसरे के करीब आए और 2024 में दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली.

निशांत और कुसुम के पहली शादी से दो-दो बच्चे थे. शादी के बाद दोनों के कुल मिला कर चार बच्चों की बड़ी फैमिली हो गई लेकिन चार बच्चों के इस परिवार में निशांत और कुसुम के अपने बच्चे की कमी खलने लगी. कुसुम के 2 बच्चों का बाप निशांत नहीं था तो निशांत के 2 बच्चों की मां कुसुम नहीं थी. दोनों का मन था कि दोनों का अपना भी एक बच्चा हो. लेकिन दोनों असमंजस की स्थिति में थे कि महंगाई के इस दौर में 5वें बच्चे को पैदा करना क्या सही फैसला होगा? क्या पहले के चारों बच्चों पर इस का बुरा असर नहीं पड़ेगा? क्या दोनों अपने सभी बच्चों के साथ न्याय कर पाएंगे?

निशांत और कुसुम के सवाल वाजिब हैं. पुराने दौर की बात अलग थी. परिवार बड़े हुआ करते थे जिस में पतिपत्नी के 8-9 बच्चे भी हों तो भी पल जाते थे. महंगाई के इस दौर में एक या दो बच्चे पालना भी मुश्किल है. आज के दौर में सभी लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं. पेरैंट्स के लिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना पहली प्राथमिकता हो गई है. खासकर मिडिल क्लास में तो बच्चों की परवरिश पर काफी खर्च किया जा रहा है. प्राइवेट स्कूल और कोचिंग के साथ बच्चों को कई तरह के एकैडमिक कोर्सेज भी करवाए जा रहे हैं.

भविष्य की चुनौतियां बेहद कठिन हैं, इसलिए लोग अपने बच्चों को ले कर काफी सजग हैं. यही कारण है कि लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं ताकि कम संसाधनों में भी बच्चों को अच्छी एजुकेशन हासिल हो सके. निशांत और कुसुम के पास कुल मिला कर चार बच्चे पहले से हैं, ऐसे में दोनों के लिए पांचवां बच्चा पैदा करना समझदारी का काम तो कतई नहीं है.

2 साल पहले रुखसाना के शौहर ने उसे तलाक दे कर दूसरी शादी कर ली. तलाक के वक्त रुखसाना का बच्चा 3 साल का ही था, इसलिए उस वक्त रुखसाना के मन में दूसरी शादी का खयाल बिलकुल नहीं आया लेकिन तलाक के 2 साल बाद रुखसाना की जिंदगी में समीर ने दस्तक दी. समीर रुखसाना से शादी करना चाहता था और उस के 5 साल के बेटे को भी अपनाने की बात करता था. लेकिन रुखसाना को मर्दों पर भरोसा नहीं रह गया था, इसलिए रुखसाना काफी समय तक समीर को टालती रही. लेकिन जब उसे लगा कि समीर हाथ से निकल जाएगा तो उस ने समीर से कोर्ट मैरिज कर ली.

शादी के बाद रुखसाना ने समीर को दूसरा बच्चा नहीं करने के लिए मना लिया था और समीर भी रुखसाना के बच्चे को अपने सगे बेटे की तरह प्यार करने लगा था लेकिन फिर समीर बच्चे के लिए जिद करने लगा तो रुखसाना भी समीर को मना नहीं कर पाई और शादी के 3 साल बाद रुखसाना समीर से प्रैग्नेंट हो गई. उस ने फिर से बेटे को जन्म दिया. इस वक्त तक समीर का पहला बेटा 8 साल का हो चुका था. अब समीर के अंदर का असली पिता नजर आने लगा था जो सिर्फ अपने बेटे को ही अपनी औलाद मानता था और रुखसाना के बेटे को देखना भी पसंद नहीं करता था.

समीर के इस बदले मिजाज को देखते हुए रुखसाना ने अपने छोटे से बेटे को अपनी मां के पास भेज दिया लेकिन जल्द ही रुखसाना की मां की डैथ हो गई और मामा के बच्चों के बीच रुखसाना के बेटे की परवरिश मुश्किल हो गई. समीर उस बच्चे को घर में लाने को बिलकुल तैयार नहीं था. आखिरकार, रुखसाना को अपने बेटे को बोर्डिंग स्कूल भेजना पड़ा लेकिन तब तक वह बच्चा इतना बिगड़ चुका था कि कुछ ही दिनों में बोर्डिंग स्कूल वालों ने बच्चे को स्कूल से बाहर कर दिया.

होते हैं मनमुटाव

ज्यादातर मामलों में यही होता है. पहली शादी से पैदा हुए बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार होना लाजिमी है. इस मामले में औरत और मर्द दोनों एकजैसे होते हैं. पार्टनर की पहली शादी से पैदा हुए बच्चों को कोई एक्सैप्ट नहीं करता. दूसरी शादी में यह एक बहुत बड़ा मसला है.

अगर औरत और मर्द दोनों के बच्चे हैं और फिर भी दोनों एकदूसरे से शादी करना चाहते हैं तो ऐसे मामलों में पेरैंटिंग इक्वल और बैलेंस रहती है क्योंकि दोनों की स्थिति एकजैसी होती है लेकिन अगर दोनों में से किसी एक के बच्चा है और दूसरे के कोई बच्चा नहीं है तो ऐसे मामले में बैलेंस होना मुश्किल होता है और ऐसी शादी में पहले वाले बच्चे के साथ भेदभाव होने की संभावना बढ़ जाती है.

दूसरी शादी के लिए मनचाहा पार्टनर इंतजार में हो और पहले पार्टनर के बच्चों को अपनाने के लिए भी तैयार हो तो ऐसे में दूसरी शादी करने में कोई हर्ज नहीं. दूसरी शादी के बाद यदि दोनों ओर कोई बच्चा नहीं है तो दोनों को बच्चा जरूर पैदा करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में किसी एक के पहले से बच्चा है तो यह देखना जरूरी है कि बच्चा ज्यादा छोटा तो नहीं.

अगर पहली शादी से पैदा हुआ बच्चा 10 साल से ज्यादा बड़ा नहीं है तब थोड़ा समझदारी दिखाना और उफनते हुए जज्बातों पर लगाम लगाना जरूरी हो जाता है. इस से बच्चे के विकास पर गहरा असर पड़ता है. अगर पहली शादी वाला बच्चा 5 साल के आसपास का हो तब मैनेज करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती.

15 साल के बच्चे समझदार हो जाते हैं. किशोर बच्चों पर पेरैंट्स की दूसरी शादी या दूसरी शादी से पैदा हुए बच्चों से कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर यह बच्चा लड़का हो तो वह इस उम्र तक इतना परिपक्व हो जाता है कि उस के साथ सौतेले व्यवहार की गुंजाइश कम हो जाती है लेकिन किशोरावस्था की लड़कियों के साथ सौतेले मां या बाप के बुरे बरताव की संभावना बनी रहती है. कई मामलों में देखा गया है कि सौतेले पिता ही घर की नाबालिग बच्चियों का यौनशोषण करते हैं.

घटती हैं आपराधिक घटनाएं

आरवी की 12 साल की बेटी थी. आरवी के पति की मौत हुए अरसा बीत चुका था. वह शादी के कुछ साल बाद ही विधवा हो गई थी. आरवी सुनील नाम के एक तलाकशुदा शख्स के साथ रिलेशन में थी और उस से शादी करना चाहती थी लेकिन 12 साल की बेटी सौम्या के कारण वह सुनील से शादी नहीं कर पा रही थी. आरवी की मां भी उसे दूसरी शादी करने से रोकती थी लेकिन बिना शादी के सुनील के साथ रिश्ता निभाना भी मुश्किल था. सुनील टैक्सी ड्राइवर था. आरवी ने सुनील से दूसरी शादी कर ली. आरवी जौब पर चली जाती और सुनील भी टैक्सी ले कर काम पर निकल जाता. शादी के 3 साल खुशी से गुजरे. इस बीच आरवी की बेटी सौम्या 15 साल की हो गई.

एक दिन आरवी अपने औफिस में थी कि उस के फोन पर सौम्या के स्कूल से फोन आया. उन्होंने बताया कि सौम्या की तबीयत अचानक खराब होने के कारण उसे मदन मोहन हौस्पिटल में भेजा गया है. आरवी दौड़ी हुई अस्पताल पहुंची तो सौम्या की हालत के बारे में जान कर उस के होश उड़ गए. सौम्या 5 महीने की प्रैग्नैंट थी और उस ने इस प्रैग्नैंसी से बचने के लिए किसी नीमहकीम की दवा खा ली थी जिस से उस की हालत बिगड़ गई और वह आईसीयू में पहुंच गई.

होश आने पर सौम्या ने पुलिस को जो बयान दिया उसे जान कर आरवी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. आरवी की पीठ पीछे उस का दूसरा पति सुनील आरवी की नाबालिग बेटी सौम्या से पिछले 2 साल से बलात्कार कर रहा था और आरवी को इस बात की भनक तक नहीं लगी.

इस तरह के मामलों को देखते हुए दूसरी शादी में सावधानी जरूर बरतनी चाहिए. अगर पहले से बच्चे हों और दूसरी शादी करनी ही पड़ जाए तो कोशिश कीजिए कि नए पार्टनर के साथ बच्चे न हों. अगर बच्चा पैदा करने में दोनों की सहमति हो तो तब भी एक से ज्यादा बच्चा पैदा न करें.

जीवन एक बार ही मिलता है. जीवन में शादी का न चल पाना या पार्टनर की मौत हो जाना दुखद जरूर होता है लेकिन ऐसा होने पर जीवन खत्म नहीं होता. जीवन के ऐसे दुखद मोड़ पर यदि विवेक और समझदारी से काम लेंगे तो यह नई शुरुआत करने का अवसर भी हो सकता है. जीवन में प्रयोग चलते रहने चाहिए. पहली शादी से पैदा हुए बच्चों के होते हुए दूसरी शादी करने में हर्ज क्या है. पहली शादी से बच्चे हों तो भी दूसरी शादी करने में कोई बुराई नहीं है. अगर दूसरा पार्टनर भी बच्चे चाहता हो तो यह उस का हक है.

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